नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी हो गई है कि वो प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) से चल नहीं पा रही है. राजन ने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के दौरान सत्ता के केंद्रीकरण पर निशाना साधा है.
राजन ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था काफी बड़ी हो गई है की शीर्ष पर बैठे लोगों से संभल नहीं रही है. उनके इसे संभालने का अभी तक का अनुभव काफी खराब रहा है.’
राजन ने यह सारी बातें शुक्रवार को ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान कहीं. ब्राउन विश्वविद्यालय के वॉट्सन इंस्टीट्यूट में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में टिप्पणी की.
उन्होंने कहा, यह सरकार काफी केंद्रित है. सरकार के पास आर्थिक विकास का कोई मॉडल नहीं है. सत्ता का केंद्रीकरण न केवल केंद्र सरकार में बल्कि पीएमओ में भी है.
राजन ने कहा पीएमओ में जो फिलहाल काम हो रहा है वो ब्यूरोक्रेसी के दम पर हो रहा है. मंत्रियों को फैसलों से दूर रखा जा रहा है.
राजन ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार के पास राजनीतिक विजन तो है लेकिन आर्थिक दृष्टि से कोई विज़न नहीं है. आर्थिक तौर पर कई सारी अनिश्चितता बनी हुई है.’
राजन का बयान उस वक्त आया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था काफी कमजोर है. पिछले छह सालों में इस साल जून की तिमाही में जीडीपी अपने न्यूनतम स्तर 5 फीसदी पर थी.
बहुसंख्यकवाद पर
राजन ने अपने भाषण में ‘बांटने वाली बहुसंख्यकवादी पॉपुलिज्म’ पर निशाना साधा. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के अनुच्छेद 370, विपक्षी नेताओं पर जांच एजेंसियों द्वारा कराए जाने वाली जांच को लेकर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा बहुसंख्यकवाद के दम पर फिलहाल तो चुनाव जीत सकते हैं लेकिन इससे देश काफी पीछे चला जाएगा.
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राजन ने कहा, ‘भारत को अपने लोकतंत्र और संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है न कि अधिनायकवादी ताकतों के उभार की.’
बैंकिंग
2014 में मोदी सरकार ने वादा किया था कि सरकार बैंकों को अपने फैसले लेने के लिए छूट देगी और नई दिल्ली से बैंको को कोई फोन नहीं जाएगा कि किसी को लोन दो.
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘मुद्रा योजना जैसी नई योजनाएं जिसके तहत सभी बैंको को लोन देने के लिए कहा जा रहा है इससे बैंको पर काफी दबाव बन रहा है. ऐसे फैसले बैंको के कर्ज देने के सिद्धांतों के खिलाफ है.’
राजन ने कहा कि सरकार बैंकों को छोटे और मझौले उद्योगों को कर्ज देने के लिए कह रही है. इसकी नतीजा एनपीए के रूप में देखने के मिल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘एमएसएमई को लोन देना सही साबित नहीं हो रहा है. इससे बैंकों पर दबाव बढ़ रहा है.’
राजन ने कहा कि हम ‘लोन मेला’ की तरफ बढ़ रहे हैं. जिसमें कर्ज देने के सिद्धांत काम नहीं आते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आउटरीच प्रोग्राम को लेकर राजन ने यह बात कही.
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