नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच कम से कम चार राफेल लड़ाकू विमान 27 जुलाई को अंबाला में लैण्ड करने वाले हैं और अपेक्षित समय से पहले ही लड़ाई के लिए तैयार हो जाएंगे, क्योंकि फ्रांस ने अपने अत्याधुनिक मिसाइलों की वो शुरुआती खेप भारत को दे दी है, जो उसकी एयरफोर्स में जानी थी.
एक सूत्र ने बताया, ‘एयरक्राफ्ट की डिलीवरी के लिए भारत और फ्रांस के बीच 27 जुलाई की तारीख़ तय हुई है. चार विमान तो निश्चित रूप से आएंगे, जबकि कोशिश ये की जा रही है कि कुल 6 जेट्स आ जाएं.’
सूत्रों के अनुसार, इन जेट्स को अपेक्षित समय से पहले लड़ाई के काम में लगाया जा सकता है, चूंकि फ्रांस ने अपने कुछ सबसे आधुनिक मिसाइल्स – मीटियॉर और स्कैल्प- जो उसकी अपनी एयरफोर्स के लिए थे. भारत के राफेल जेट्स के लिए दे दिए हैं. पहले ये मिसाइल लड़ाकू जेट्स की डिलीवरी के कुछ महीनों के बाद दिए जाने थे.
दिप्रिंट ने सबसे पहले 20 मार्च को ख़बर दी थी कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण राफेल फाइटर जेट्स की मई में होने वाली डिलीवरी में देरी हो सकती है. 14 अप्रैल को दिप्रिंट ने ख़बर दी कि ये डिलीवरी जुलाई में की जाएगी.
दो मिड-एयर रीफ्यूलर्स के साथ यूएई के रास्ते आएंगे विमान
योजना के मुताबिक़ राफेल जेट्स फ्रांस के इस्त्रेस से उड़ान भरेंगे और यूएई में अबू धाबी के पास अल-धफरा के फ्रांसीसी हवाई ठिकाने पर उतरेंगे. वहां रात बिताने के बाद ये विमान हरियाणा के अंबाला के लिए निकलेंगे, जो इंडियन एयर फोर्स (आईएएफ) की 17वीं स्क्वॉड्रन ‘गोल्डन एरोज़’ का ठिकाना है.
एक दूसरे सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘इन फाइटर्स को भारतीय पायलट्स उड़ाएंगे, जो सीधा 10 घंटे तक उड़ेंगे (अल धफरा तक). वो रात भर वहीं रुकेंगे और अगले दिन अंबाला के लिए निकल पड़ेंगे.’
सूत्रों ने बताया कि शुरूआती प्लान ये था कि ये विमान कई देशों में रुकते हुए आएंगे. लेकिन फिर कोविड महामारी का मतलब ये हुआ कि पायलट को हर बेस पर क्वारंटीन करना पड़ता.
अब ये तय किया गया है कि फ्रेंच एयरबस के दो मिड-एयर रिफ्यूलर्स, जेट्स के साथ उड़ान भरेंगे. सूत्रों ने बताया कि यूएई के रास्ते में कम से कम दो बार मिड-एयर रीफ्यूलिंग की जाएगी.
अगले दिन अंबाला की यात्रा के लिए भारत के मिड-एयर रीफ्यूलर्स उनके साथ हो जाएंगे. भारतीय वायु सेना के पायलट्स अभी फ्रांस में रीफ्यूलिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि ये पहले ट्रेनिंग का हिस्सा नहीं था.
फ्रांस ने अपने मिसाइल्स भारत को दिए
सूत्रों ने बताया कि सितम्बर 2016 में भारत और फ्रांस के बीच साइन किए गए समझौते में कहा गया था कि राफेल की डिलीवरी मई 2020 में की जाएगी और मुख्य हथियारों का पैकेज अक्तूबर में आएगा.
लेकिन अनुरोध के बाद फ्रांस ने अपने वो मिसाइल्स भारत को दे दिए, जो उसकी अपनी एयर फोर्स को जाने थे. वो जल्दी आना शुरू हो गए हैं.
इन मिसाइलों में बियॉण्ड विज़ुअल रेंज (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाला और 120 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम मिसाइल- मीटियॉर और लंबी दूरी का हवा से ज़मीन पर मार करने वाला क्रूज़ मिसाइ-स्कैल्प शामिल है, जो 600 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को निशाना बना सकता है.
एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘इसका मतलब है कि रफायल अपेक्षित समय से काफी पहले ही लड़ाई के लिए तैयार हो सकता है. मीटियॉर और स्कैल्प को पहले ही रफायल के साथ जोड़ दिया गया है, जो यहां आ रहे हैं.’
मीटियॉर को रफायल के वैपंस सिस्टम के साथ जोड़ने का मतलब है कि एक भारतीय रफायल विमान, भारतीय हवाई क्षेत्र को पार किए बिना ही 100 किलोमीटर दूर से किसी दुश्मन विमान को गिरा सकता है.
राफेल विमान अपने साथ 5.1 मीटर लम्बे एक या दो स्कैल्प मिसाइल कैरी कर सकता है. इसके शामिल होने का मतलब है कि भारतीय राफेल को 600 किलोमीटर दूर दुश्मन इलाक़े में किसी लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए, भारतीय हवाई क्षेत्र के पार नहीं जाना होगा.
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मीडिया ने तो ऐसा प्रचार किया था, कि हमें लगा भारत को छः-सात युद्ध राफेल जिता भी चुका