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Friday, 1 November, 2024
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राज्यसभा में उठा रश्मि सामंत का मुद्दा, विदेश मंत्री ने कहा- नस्लवाद के खिलाफ नहीं मूंद सकते आंखें

मनीपाल इंस्टीट्यूट की पूर्व छात्रा इस वक्त अपने राज्य गृह कर्नाटक वापस लौट चुकी हैं. सामंत पहली भारतीय महिला थी जो कि ओयूएसयू की अध्यक्ष चुनी गईं थीं.

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नई दिल्ली: राज्यसभा में बीजेपी के अश्विन वैष्णव ने यूके में कथित रूप से रश्मि सामंत के साथ हुए नस्लवाद के मुद्दे को उठाया है. उन्होंने कहा कि ऑक्सफोर्ड की छात्रा रश्मि सामंत को परेशान किया गया ताकि वो छात्रसंघ के नेता के पद से इस्तीफा दे दें. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता के हिंदू धार्मिक विश्वासों को भी निशाना बनाया गया.

इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, ‘यूके के साथ हमारे संबंध काफी मजबूत हैं. हम इस मुद्दे पर नज़र रखेंगे और जरूरत पड़ने पर देखेंगे. हम हमेशा नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य मुद्दों पर विचार करते रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत महात्मा गांधी की भूमि है और हम किसी भी तरह के नस्लवाद के खिलाफ आंखें नहीं मूंद सकते हैं.

बता दें कि 22 साल की रश्मि को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनकी कुछ पुरानी सोशल मीडिया पोस्ट को कथित रूप से नस्लवादी पाया गया था.

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘चूंकि हम लोग एक जैसी संस्कृति के नहीं हैं और हमारे समाजों का विकास भी एक जैसा नहीं हुआ है इसलिए यह संभव है कि जो लोग यहां के मूल निवासी नहीं हैं वे लोग इन विचारधाराओं से परिचित न हों. यहां के छात्रों को सुरक्षा देने जैसा कुछ भी नहीं है. इसके लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में रेग्युलेशन होना चाहिए.’

मनीपाल इंस्टीट्यूट की पूर्व छात्रा इस वक्त अपने राज्य गृह कर्नाटक वापस लौट चुकी हैं. सामंत पहली भारतीय महिला थी जो कि ओयूएसयू की अध्यक्ष चुनी गईं थीं. उन्होंने 11 फरवरी को चुनाव जीता था. उन्हें 3708 संभव वोटों में से 1966 वोट मिले थे.

हालांकि, इसके बाद साल 2017 के उनके कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट को कथित रूप से नस्लवादी, एंटी-सेमेटिक और ट्रांसफोबिक पाया गया था.

विदेश मंत्री ने कहा कि विदेशों में पढ़ रहे छात्रों कि कल्याण के लिए हम चिंतित हैं. पूरे विश्व में दूतावासों को निर्देश दिए गए हैं कि वे छात्रों से संपर्क में रहें, उनकी स्थिति का जायज़ा लें और जब भी जरूरत हो तो उनके लौटने की उचित व्यवस्था करें.
रश्मि ने ये भी कहा कि ऑक्सफोर्ड में किसी प्रोफेसर को मेरी मां की जय श्रीराम का प्लेकार्ड लिए हुए फोटो दिखी तो उन्हें मेरी मां को इस्लामोफोबिक कहते हुए पाया गया जो कि गलत है. मेरी मां के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. उन्हें अपने धर्म को मानने का अधिकार है.’

(सोनिया अग्रवाल के इनपुट के साथ)


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