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Friday, 22 November, 2024
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छत्तीसगढ़ में क्वारेंटाइन किये गए लोगों ने कहा- उन्हें बेवजह निज़ामुद्दीन मरकज़ से जोड़ा जा रहा है

मार्च के महीने में छत्तीसगढ़ के जो लोग दिल्ली प्रवास के दौरान जाने-अनजाने में निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन या क्षेत्र के किसी स्थान से गुजरे उन्हें भी तबलीगी जमात में शामिल किया गया है.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में 159 लोगों को निजामुद्दीन के तबलीग़ी जमात से संबंध बताते हुए उन्हें कथित तौर पर सरकार की तरफ से जारी एक सूची में शामिल बताया जा रहा है. बाद में सूची में शामिल सभी 159 व्यक्तियों को 31 मार्च और 1 अप्रैल के बीच होम क्वारंटाइन और आइसोलेशन में रखा दिया गया है.

सूची में शामिल कुछ व्यक्तियों से जब दिप्रिंट द्वारा संपर्क किया गया तो इन्होंने बताया कि उनका तबलीग़ी जमात से कोई संबंध नहीं है बल्कि क्वारंटाइन में रखे जाने के कारण उन्हें सामाजिक प्रताड़ना का दंश झेलना पड़ रहा है. संपर्क किये गए सभी लोगों का मनना है कि उनको क्वारंटाइन में इसी सूची के आधार पर रखा गया है जबकि वे सब 15-20 दिन पहले ही दिल्ली से अपने घर लौट आये थे. लोगों ने कहा कि उनका नाम मार्च के महीने में दिल्ली प्रवास के दौरान जाने-अनजाने में निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन या क्षेत्र के किसी स्थान से गुजरने की वजह से शामिल किया गया है.

हालांकि राज्य के गृह विभाग ने सरकार द्वारा तैयार की गयी ऐसी किसी भी सूची के जारी होने से इंकार किया है लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त इस सूची में शामिल सभी लोग राज्य सरकार के द्वारा या तो होम क्वारंटाइन में हैं या फिर आइसोलेशन में रखे गए हैं. सूत्रों के अनुसार 159 लोगों में तबलीग़ी मरकज़ में भागीदारी करने वालों के साथ अधिकतर वे हैं जो उसी दौरान अपने निजी या फिर व्यावसायिक कार्यों से दिल्ली प्रवास पर थे.

सूची में नामित क्वारंटाइन में रखे गए लोगों का कहना है कि उनकी लोकेशन मोबाइल फोन ट्रैकिंग के माध्यम से 12 मार्च से 15-16 मार्च के बीच निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन के या फिर क्षेत्र के पास किसी अन्य स्थान में ट्रेस की गई होगी लेकिन इसका अर्थ यह नही है कि सभी लोग तबलीग़ी मरकज़ में शामिल होने गए थे. 159 लोगों की सूची में करीब 100 से भी ज्यादा लोग गैर मुस्लिम हैं ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया माध्यम से भी चर्चा में बने हुए हैं.

31 मार्च से परिवार सहित लगातार स्वास्थ्य विभाग द्वारा आइसोलेशन में रखे गए अम्बिकापुर निवासी उमेश पांडेय का कहना है कि ‘पड़ोसी हमारे परिवार को अब पसंद नही करते, 31 मार्च के बाद मुझे 400-500 फोन आ चुके हैं, सबको सफाई देना पड़ रहा है की दिल्ली के तबलीग़ी जमात मरकज़ से हमारा कोई सरोकार नही है. मुझे क्वारंटाइन या फिर आइसोलेशन से परहेज नही है लेकिन ऐसा क्यों किया गया यह तो बताया जाए. मैं दिल्ली हर साल की तरह इस साल भी उपभोक्ता संरक्षण के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए गया था और निजामुद्दीन क्षेत्र के एक होटल में रुका था लेकिन 17 मार्च को वापस आ गया था.

वह कहते हैं कि इस लिस्ट में नाम आने के बाद मेरे बारे में कुछ लोगों द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है कि में तबलीग़ी मरकज़ में शामिल था. मेरी और मेरे परिवार की सामाजिक प्रताड़ना हो रही है. हमें संदिग्ध की तरह देखा जा रहा है. दिल्ली की क्राइम ब्रांच से लेकर छत्तीसगढ़ की पुलिस ने भी तफ्तीश किया है’

बता दें कि 31 मार्च को ही दिल्ली के तबलीग़ी जमात मरकज़ संकट का खुलासा हुआ था.


यह भी पढ़ेंः तबलीग़ी मरकज़ में छत्तीसगढ़ के 159 लोग थे शामिल, 101 की हुई पुष्टि, अन्य की खोज जारी


ऐसे ही कुछ विचार है बिलासपुर जिले के रहने वाले कारोबारी कमल कुमार पोपटानी का है. पोपटानी भी पांडेय की तरह परिवार सहित 31 मार्च से ही आइसोलेशन में हैं. दिप्रिंट द्वारा संपर्क करने पर पोपटानी ने बताया, ‘सरकार का यह कदम हमारे समझ में नही आया. मैं दिल्ली अपने दुकान के लिए खरीदारी करने हमेशा जाता हूं. इस बार मैं खरीदी कर 16 मार्च को लौट आया था. 30 मार्च तक सब सामान्य रहा लेकिन 31 मार्च के बाद जब सरकार द्वारा 159 कथित संदिग्धों की सूची जारी की गई और हमे आइसोलेशन में रख दिया गया. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के अधिकारियों के मुझे लगातार कॉल आती है. मेरे अपने परिवार, पड़ोसी और जानने वाले सभी ने हमारे ऊपर आरोप लगाया कि मैं तबलीग़ी जमात में शामिल हुआ था. क्या ऐसा कभी हो सकता है. सरकार के इस रवैये से मेरा पूरा परिवार एक प्रकार से सामाजिक बहिष्कार का शिकार हो गया है.’

बिलासपुर जिले के लूतरा शरीफ क्षेत्र के रहने वाले अब्दुल रहमान ने दिप्रिंट से अपनी व्यथा बताते हुए कहा, ‘मै अपनी पत्नी सहित दिल्ली से 15 मार्च को लौटा था लेकिन मेरे पूरे परिवार को आइसोलेशन में 31 मार्च से रखा गया है जो समझ से परे. पहले स्वास्थ्य विभाग फिर पुलिस साइबर सेल से कॉल आई और पूरे परिवार का सैंपल लिया गया. अब कोरोना संदिग्ध मानकर सभी ने हमसे दूरी बना ली है. मेरे बारे में प्रचारित किया जा रहा है कि मैं तबलीग़ी जमात में गया था, जिससे आस पास के गांवों में हमारी काफी फजीहत हुई है. सच्चाई यह है कि हम धार्मिक आधार पर भी तबलीग़ी जमात का विरोध करते हैं और इससे हमारा कुछ भी लेना-देना नहीं है. हमारी इतनी अधिक बदनामी हो चुकी है कि मेरे पिताजी ने अब फैसला किया कि लॉकडाउन के बाद कितना भी पैसा खर्च करना पड़े देशभर में समाचर पत्रों के माध्यम से बदनाम करने वालों को जवाब देंगे.’

सरकार द्वारा जारी इस सूची में ऐसे लोगों के नाम भी हैं जिनका मोबाइल नंबर छत्तीसगढ़ का तो है लेकिन वे अब राज्य से बाहर हैं. ऐसा ही कुछ हुआ बीएसएफ के उपनिरीक्षक शान्तनु मुखर्जी के साथ हुआ है जो करीब दो साल पहले भिलाई में कार्यरत थे लेकिन वर्तमान में दिल्ली में तैनात हैं. दिप्रिंट से बात करते हुए शान्तनु कहते हैं, ‘यह कैसी सूची किसने जारी की. मुझे पहले छत्तीसगढ़ के कोविड-19 कंट्रोल रूम से कॉल आया था फिर राज्य पुलिस कंट्रोल सेंटर से. उन्होंने मेरे स्वास्थ्य और तैनाती वाले स्थान की जानकारी ली. हालांकि मेरे द्वारा वास्तिकता बताने पर कि यह सिम छत्तीसगढ़ में तैनाती के दौरान लिया गया था कॉल आने बन्द हो गए.’

शान्तनु ने बताया की वर्तमान में उनकी यूनिट की लोकेशन निजामुद्दीन क्षेत्र के नजदीक ही है. शान्तनु जैसा हाल उत्तर प्रदेश के रामपुर के रहने वाले सीआरपीएफ के उप निरीक्षक मक्खन सिंह यादव का भी है. यादव ने अपना सिम कुछ साल पहले लिया था जब वे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में तैनात थे. परन्तु अब उनका स्थानंतरण दिल्ली हो चुका है. सपंर्क करने पर दिप्रिंट को उन्होंने बताया, ‘मुझे कोरोना सस्पेक्ट समझकर छत्तीसगढ़ और दिल्ली पुलिस दोनों का फ़ोन आया था लेकिन जब मैंने उनको सच्चाई से रूबरू कराया तो उसके बाद किसी का कोई फोन नही आया. मुझे समझ नहीं आया की यह सब कैसे हो रहा था.’

महासमुंद जिले की रहने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्नातक प्रथम वर्ष की एक छात्रा जो 1 अप्रैल से स्थानीय सरकारी अस्पताल में आइसोलेशन में रखी गई हैं ने दिप्रिंट को बताया, ‘दिल्ली से आने के बाद मैं 19 दिनों तक अपने घर में रहीं हूं लेकिन 1 अप्रैल को मुझे हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया. मुझे नहीं पता की सरकार द्वारा किस लिस्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है. जब मुझमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है तो मुझे जबर्दस्ती यहां क्यों लाया गया. यह एक टार्चर जैसा लग रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने यहां पर सुविधाएं तो दी हैं लेकिन विभाग द्वारा मेरे मना करने के बावजूद भी तबलीग़ी जमात से संबंध बताकर यहां लाया गया है. इस बात से मुझे और मेरे परिवार को आघात पहुंचा है. मैंने बार-बार आग्रह किया कि मेरे अंदर कोरोना वाले एक भी लक्षण नहीं हैं, मुझे रखना भी है तो होम क्वारंटाइन में रखा जाय लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नहीं माना. मेरी समझ में नहीं आ रहा मुझे यहां क्यों रखा है.’

बता दें सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 31 मार्च को तबलीग़ी जमात मरकज़ में कोरोनावायरस संक्रमित जमातियों का पर्दाफाश हुआ तो छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में ऐसे सभी लोगों की जानकारी, जो उस क्षेत्र में मरकज़ के समय मौजूद थे, उनके मोबाइल फोन के ट्रैकिंग माध्यम से उन्हें 31 मार्च से 1 अप्रैल के बीच क्वारंटाइन कर दिया गया.

सरकार द्वारा जुटाई गयी नामों की जानकारी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को भेजकर ऐसे सभी लोगों को आइसोलेशन या क्वारंटाइन में रखने के लिए आदेशित किया गया था.

सरकार ने किसी भी सूची के जारी होने का किया खंडन

दिप्रिंट ने जब गृह विभाग से पूछा कि क्या सरकार द्वारा निज़ामुद्दीन में तबलीग़ी जमात मरकज़ से सबंध रखने वालों की सूची जारी की गयी है तो राज्य के प्रमुख सचिव गृह सुब्रत साहू ने नकार दिया. उनका कहना है, ‘सरकार द्वारा ऐसी कोई सूची जारी नही की गयी है. सोशल मीडिया द्वारा ऐसी तीन सूचियों की जानकारी मिली हैं लेकिन सरकार ने ऐसी कोई सूची नहीं तैयार कराया है.’

साहू ने आगे कहा, ‘जिन लोगों को क्वारंटाइन किया गया है उन्हें सरकार के उस आदेश के तहत किया गया है जिसमें सरकार ने 31 मार्च के बाद प्रदेश में बाहर से आने वाले सभी व्यक्तिओं को इसोलशम में रखने को कहा गया था.’

प्रदेश में 9 कोविड-19 मरीज स्वस्थ, अब सिर्फ एक अस्पताल में

छत्तीसगढ़ में सोमवार को कोरोनावायरस से संक्रमित एक और मरीज को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है. राज्य में कोरोना से संक्रमित 10 मरीजों में से 9 इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं. एक मात्र बचे मरीज का का एम्स रायपुर में इलाज चल रहा है. इसकी स्थिति में सुधार है. यहां उल्लेखनीय है कि रविवार 5 अप्रैल को कोरोना से संक्रमित चार मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.

ज्ञात हो कि प्रदेश में कोविड-19 का 10वां मरीज कोरबा जिले के कटघोरा तहसील में शानिवर को मिला था. माना जा रहा है इसका ताल्लुल निज़ामुद्दीन के तबलीग़ी मरकज़ से था.

ज्ञात हो कि प्रदेश में 6 अप्रैल तक कोरोनावायरस के कुल 2303 संभावित व्यक्तियों की पहचान कर सैंपल जांचा गया है. अभी तक 2281 सैंपल के परिणाम नेगेटिव रहे हैं और 12 की जांच जारी है.

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