चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने जब 2017 में खतरनाक नशे की लत को दूर करने के लिए आउटपेशेंट ओपिऑयड असिस्टेड ट्रीटमेंट (OOAT) कार्यक्रम शुरू किया था, तो उम्मीद थी कि यह राज्य की गंभीर ड्रग समस्या का स्थायी समाधान देगा.
लेकिन आठ साल बाद, राज्य कैबिनेट ने कार्यक्रम में पूरी तरह बदलाव को मंजूरी दे दी है. यह राज्य के ड्रग्स के खिलाफ अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप, दवाइयों का गायब होना और नशा-मुक्ति दवाइयों की अवैध बिक्री जैसे बड़े अनियमितताएं सामने आई थीं.
नई प्रणाली के तहत, दवाइयों की सप्लाई पर नियंत्रण और काले बाजार में होने वाले दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार ने यह तय किया है कि पंजाब में कोई भी निजी व्यक्ति अधिकतम पांच नशा-मुक्ति केंद्र चला सकता है. यह केंद्र OOAT सेंटर के रूप में भी काम करते हैं. इस फैसले से कई केंद्र बंद होंगे, क्योंकि राज्य के 177 निजी केंद्रों में से 117 सिर्फ 10 लोगों द्वारा चलाए जा रहे हैं.
OOAT सेंटर हेरोइन, अफीम और उनसे बने नशों के आदी लोगों को ब्यूप्रेनॉर्फिन-नालोक्सोन (BNX) नाम की दवा देते हैं, ताकि नशे पर नियंत्रण किया जा सके.
पंजाब सब्सटेंस यूज़ डिसऑर्डर ट्रीटमेंट एंड काउंसलिंग एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर्स रूल्स, 2025, गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंतिम रूप से जारी किए गए.
नए नियमों में हर पंजीकृत नशा पीड़ित की दवा लेते समय बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी गई है, ताकि उसकी पहचान पक्की हो सके. इसका मकसद फर्जी मरीजों का रजिस्ट्रेशन रोकना और दवा की चोरी व ब्लैक मार्केट में बिक्री बंद करना है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. कुमार राहुल ने दिप्रिंट को बताया कि इन नियमों से खासकर निजी केंद्रों में नशा-मुक्ति दवा की सप्लाई की पूरी प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, “कुछ समस्याएं लगातार सामने आ रही थीं, जिन्हें हम इन नियमों से खत्म करना चाहते हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि जिन व्यक्तियों के कई केंद्र हैं, उन्हें मरीजों को दूसरे केंद्रों में शिफ्ट करने के लिए छह महीने दिए गए हैं.
डॉ. राहुल ने कहा, “कार्यक्रम का सबसे बड़ा मकसद नशा करने वालों को खतरनाक ड्रग्स से दूर रखना है, उन्हें एक सुरक्षित विकल्प देकर. हालांकि आदर्श रूप में, उन्हें हर तरह के नशे से पूरी तरह छुड़ाना ही हमारा अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.”
कार्यक्रम शुरू होने के बाद से, सरकार ने 547 सरकारी OOAT क्लीनिक और 177 लाइसेंसशुदा निजी नशा-मुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं. मिलाकर, 10.31 लाख से ज़्यादा पंजीकृत नशा पीड़ितों को यह दवा रोज़ दी जाती है.
सरकारी केंद्रों में दवा मुफ्त मिलती है, जबकि निजी केंद्रों में एक गोली 25 से 40 रुपये तक बिकती है. यदि दवा को अवैध रूप से खुले बाजार में बेचा जाए, तो एक गोली 300 रुपये तक में बिक सकती है.
निजी केंद्रों में दवा के अत्यधिक महंगी होने की शिकायतों के बावजूद, नए नियमों में टैबलेट की कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं लगाया गया है.
इसके अलावा, अनियमितताएं होने और रिकवरी दर बहुत कम होने के बावजूद, सरकार ने इस सब्सटिट्यूशन रणनीति की प्रभावशीलता का कोई ठीक-ठाक ऑडिट भी नहीं किया है.
मार्च 2023 में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा था कि 2017 से फरवरी 2023 तक सरकारी केंद्रों में केवल 1.4 प्रतिशत पंजीकृत मरीजों ने रिकवरी की, जबकि निजी केंद्रों में सिर्फ 0.47 प्रतिशत मरीजों ने अपना इलाज पूरा किया.
बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं का उपयोग
पंजाब पिछले एक दशक से गंभीर ड्रग संकट से जूझ रहा है. चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के 2016 के एक राज्यव्यापी सर्वे के अनुसार, पंजाब की 15.4 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी रूप में नशे का सेवन कर रही थी.
इस महीने जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में पंजाब ने लगातार दूसरे वर्ष सबसे अधिक ड्रग ओवरडोज़ मौतें दर्ज कीं—कुल 89 मौतें.
1 मार्च को राज्य ने ‘युद्ध नशियां विरुद्ध’ नाम से एक बड़ा ड्रग नियंत्रण अभियान शुरू किया, जो तीन-स्तंभ रणनीति—एन्फोर्समेंट, डी-एडिक्शन और प्रिवेंशन (EDP) पर आधारित है.
अभियान की शुरुआत से अब तक 23,000 से अधिक मामलों में 34,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस दौरान 1,500 किलो से अधिक हेरोइन और लगभग 40 लाख फार्मास्यूटिकल टैबलेट बरामद की गई हैं.
OOAT क्लीनिकों के माध्यम से ड्रग सब्सटिट्यूशन रणनीति कांग्रेस सरकार के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में शुरू की गई थी.
उद्देश्य था कि हेरोइन (चिट्टा) और अन्य ओपिऑयड जैसे जानलेवा नशों का सेवन करने वाले लोगों को BNX देकर इन खतरनाक पदार्थों से दूर किया जाए, जिसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है.
नशा करने वालों को प्रोत्साहित किया गया कि वे सरकारी या लाइसेंसशुदा निजी केंद्रों में पंजीकरण कराएं, जहाँ से उन्हें अपनी दैनिक जरूरत के अनुसार BNX आउटपेशेंट तरीके से मिल सके.
BNX एक नियंत्रित दवा है और खुले बाजार में उपलब्ध नहीं है.
पंजाब सरकार इसे हर साल अनुमानित आवश्यकता के आधार पर निर्माताओं से खरीदती है. केवल लाइसेंसशुदा निजी केंद्र ही इस दवा को सीधे निर्माताओं से खरीद सकते हैं.
सभी केंद्रों से मरीजों को दवा का वितरण एक ऑनलाइन केंद्रीकृत मॉनिटरिंग सिस्टम के ज़रिए सख्ती से नियंत्रित किया जाना था.
इन सुरक्षा उपायों के बावजूद, वर्षों में यह कार्यक्रम कई विवादों में घिर गया, जिनमें BNX के निर्माताओं द्वारा कई निजी केंद्र चलाना, टैबलेटों का गायब होना और उनका खुले बाजार में बेचा जाना शामिल था.
निजी केंद्रों से BNX का डायवर्जन
सबसे प्रमुख मामलों में से एक चंडीगढ़ के डॉक्टर अमित बंसल से जुड़ा है, जिन्हें जनवरी में उनके नशा-मुक्ति केंद्रों में अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के समय, बंसल राज्य के 16 जिलों में 22 निजी डी-एडिक्शन केंद्र चला रहे थे.
विजिलेंस ब्यूरो ने 1 जनवरी को बंसल की गिरफ्तारी के बाद एक प्रेस बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनके केंद्रों के लिए allot की गई दवाइयाँ खुले बाजार में महंगे दामों पर उन लोगों को बेची जा रही थीं जो या तो इन केंद्रों की सूची में नहीं थे या फर्जी पहचान पर पंजीकृत थे.
विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने कहा कि मोहाली में राज्य के ड्रग नियंत्रण टास्क फोर्स ने 2022 में BNX की अवैध बिक्री के आरोपों के चलते बंसल के कर्मचारियों के खिलाफ एक और केस दर्ज किया था.
जून 2023 में जालंधर के नकोदर में भी इसी आरोप में बंसल के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत एक और FIR दर्ज हुई. विजिलेंस ब्यूरो ने कहा कि लाइसेंस निलंबित होने के बावजूद, बंसल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मदद से इस मामले को “दबा दिया”.
नवंबर 2024 में पटियाला में बंसल के कर्मचारियों के खिलाफ केंद्र से BNX divert कर खुले बाजार में बेचने के आरोप में फिर FIR दर्ज हुई.
विजिलेंस ब्यूरो के मामले के बाद, सरकार ने बंसल द्वारा चलाए जा रहे सभी केंद्रों के लाइसेंस रद्द कर दिए और व्यापक जांच शुरू की. बंसल मार्च तक जेल में रहे, जब उन्हें जमानत मिली.
लेकिन अप्रैल में, पटियाला पुलिस ने बंसल के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज किया, जब स्वास्थ्य विभाग की जांच समिति ने पाया कि पटियाला के उनके एक केंद्र ने 1 अप्रैल से 13 नवंबर 2024 के बीच 26 लाख BNX टैबलेट बेचे, जबकि उस समय केंद्र में केवल 55 पंजीकृत मरीज थे. रिपोर्ट में कहा गया कि 31,000 से अधिक BNX टैबलेट की बिक्री का कोई रिकॉर्ड नहीं था.
बहु-FIR के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बंसल के खिलाफ जांच शुरू की. जुलाई में, ED ने पंजाब के कई स्थानों और मुंबई में छापे मारे. उसी महीने, ED ने बंसल की 21 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ अटैच कर दीं.
2022 और 2023 के मामलों में पंजाब पुलिस ने अनट्रेस/कैंसलेशन रिपोर्ट दाखिल कर दी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जांच बंसल के खिलाफ जारी है.
समान निर्माता और स्पलायर्स
जनवरी में बंसल की गिरफ्तारी के बाद, तत्कालीन विजिलेंस ब्यूरो प्रमुख वरिंदर कुमार ने मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि कुछ निजी ऑपरेटर पूरे BNX सप्लाई चेन पर कब्जा कर रहे हैं.
उन्होंने लिखा, “पता चला है कि ऐसे अधिकांश केंद्र कुछ ही व्यक्तियों के स्वामित्व या प्रबंधन में हैं और उन्होंने इन्हें सिर्फ अपना फायदा कमाने के लिए एक लाभदायक निजी कारोबार/सिंडिकेट बना दिया है.”
उन्होंने आगे कहा, “इनमें से कई केंद्रों के मालिकों ने अपनी खुद की दवा फैक्ट्रियां भी लगाई गई हैं और वे दवाइयां अपने और अन्य नशा-मुक्ति केंद्रों को सप्लाई कर रही हैं. इसके अलावा, यह भी पता चला है कि ये टैबलेट खुले बाजार में भी बेचे जा रहे हैं.”
कुमार ने पंजाब में एक से अधिक नशा-मुक्ति केंद्र चलाने वालों की सूची भी दी. बंसल राज्य में सबसे अधिक, 22 केंद्र चला रहे थे. एक अन्य सप्लायर, रोहित टकियार, लगभग 21 केंद्र चला रहे थे और उनकी अपनी दवा फैक्ट्री गुजरात में थी. इसी तरह, पठानकोट का महाजन समूह 11 केंद्र चला रहा था और उसकी भी दवा फैक्ट्री गुजरात में थी.
विजिलेंस प्रमुख ने मुख्य सचिव को लिखा, “इन नशा-मुक्ति केंद्रों को कुछ व्यक्तियों ने निजी मुनाफे के लिए एक व्यवसाय में बदल दिया है, जिससे इन केंद्रों को लाइसेंस देने के सरकार के वास्तविक उद्देश्य को नुकसान पहुंचा है.”
उन्होंने आगे लिखा, “उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए सुझाव है कि नशा-मुक्ति केंद्र चलाने के लिए लाइसेंस देने की शर्तों/नियमों की दोबारा समीक्षा की जाए, ताकि व्यक्तिगत हित रखने वाले व्यक्तियों द्वारा किसी भी तरह की हेराफेरी को रोका जा सके.”
मानक गुणवत्ता नहीं, चोरी
BNX की गुणवत्ता और टैबलेटों की अवैध बिक्री बड़े चुनौतियां थीं.
अक्टूबर 2018 में, स्वास्थ्य विभाग की एक आंतरिक जांच में पाया गया कि पंजाब के डी-एडिक्शन केंद्रों को दी जा रही BNX दवा में कानूनी सीमा से 25 प्रतिशत अधिक सक्रिय तत्व मौजूद था. चार प्रमुख ब्यूप्रेनॉर्फिन सप्लायरों में से दो निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए, जबकि एक सप्लायर की दवा सीमा से कम थी.
सरकार ने इन दवाइयों को मानक से कम घोषित किया और तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चंद्रा ने इनकी सप्लाई रोकने की सिफारिश की.
कुमार राहुल ने दिप्रिंट को बताया, “नए नियमों के तहत दवा की गुणवत्ता और उसकी क्षमता की जांच नियमित रूप से करनी होगी.”
सालों से BNX टैबलेटों की चोरी और अवैध बिकवाली इन केंद्रों में एक लगातार बनी रहने वाली समस्या रही है.
पिछले सप्ताह, पंजाब के मोगा के सिविल अस्पताल से 7 लाख रुपये मूल्य की BNX चोरी हो गई. अगस्त 2018 में, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने लुधियाना में एक थोक विक्रेता पर छापा मारा था और ब्यूप्रेनॉर्फिन-नालोक्सोन की 1.6 लाख अवैध रूप से रखी गई टैबलेटें जब्त की थीं.
नवंबर 2019 में, तत्कालीन पंजाब स्वास्थ्य सचिव अनुराग अग्रवाल ने 23 निजी डी-एडिक्शन केंद्रों और एक फार्मास्यूटिकल कंपनी को नोटिस जारी किए, इन केंद्रों से 5 करोड़ से अधिक गायब BNX टैबलेटों पर स्पष्टीकरण माँगा गया.
हालांकि, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने अग्रवाल की कार्रवाई को निराधार और “पक्षपातपूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इससे “सरकार को शर्मिंदगी” हुई है.
मंत्री द्वारा विभाग को क्लीन चिट देने के बावजूद, BNX टैबलेटों के गायब होने का मामला राज्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया और विपक्ष ने इसे 2022 के चुनाव में मुख्य मुद्दे के रूप में उठाया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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