scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेशHC नए सिरे से पंजाब शराब प्लांट आंदोलन की जांच के लिए राजी, लेकिन एक शर्त पर - पहले बंद हो प्रदर्शन

HC नए सिरे से पंजाब शराब प्लांट आंदोलन की जांच के लिए राजी, लेकिन एक शर्त पर – पहले बंद हो प्रदर्शन

सैकड़ों की संख्या में जुटे स्थानीय ग्रामीण इस साल जुलाई से ही मंसूरवाल गांव स्थित मालब्रोस कारखाने के सामने धरना दे रहे हैं, उनका आरोप है कि इसके कचरे ने आसपास की हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित कर दिया है.

Text Size:

चंडीगढ़: पंजाब पुलिस के जवानों ने मंगलवार को मंसूरवाल गांव में एक शराब फैक्ट्री के बाहर उन प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जो वहां जुलाई से धरना दे रहे ग्रामीणों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एकत्र हुए थे. इन ग्रामीणों का आरोप है कि यह प्लांट पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है.

पुलिस ने मंगलवार को लगातार तीसरे दिन इन प्रदर्शनकारियों से संघर्ष किया, क्योंकि उन्होंने अमृतसर बठिंडा राजमार्ग पर इस गांव की तरफ जाने वाले लिंक रोड पर लगे बैरिकेड्स को तोड़ते हुए धरना स्थल तक का रास्ता बना लिया था.

इसमें से ज्यादातर आंदोलनकारी भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न गुटों से सम्बद्ध थे.

हालांकि अधिकांश प्रदर्शनकारियों ने पैदल मार्च किया, मगर एक जीप ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस को अपने रास्ते से हटा दिया. पुलिस ने दावा किया कि जब उन्होंने इस वाहन पर लाठियां बरसाईं तो किसानों ने पलटवार किया जिसमें उनके 12 जवान घायल हो गए.

हालांकि थोड़ी देर बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इस इलाके में आने दिया. उनमें से कई ने मंसूरवाल को अन्य गांवों से जोड़ने वाली सड़कों के अंदर से विरोध स्थल तक अपना रास्ता बना लिया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मंगलवार को हुए टकरावों के बाद, पुलिस ने विरोध स्थल के हर प्रवेश बिंदु को सील कर दिया. यहां तक कि लिंक रोड पर बसों और ट्रकों को पार्क करने की भी अनुमति नहीं थी.

इस साल जुलाई के बाद से ही ग्रामीण मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के कारखाने के बाहर धरना दे रहे हैं, जिससे इस कारखाने को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उनका आरोप है कि कारखाने के अपशिष्ट (कचरे के रूप में बचे हुए) उत्पाद आसपास के 35 गांवों की हवा, मिट्टी और भूजल को प्रदूषित कर रहे हैं.

इस कारखाने के मालिक – शराब कारोबारी और क्षेत्र के पूर्व अकाली दल विधायक दीप मल्होत्रा – ने अपने प्रतिष्ठान को चालू करने के लिए इस साल जुलाई में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

अपने आदेशों की एक लंबी श्रृंखला में, उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस विरोध-प्रदर्शन को कारखाने के गेट से कम-से-कम 300 मीटर दूर शिफ्ट कर दिया जाए ताकि वहां काम शुरू हो सके. राज्य सरकार को दी गई समय सीमा आज समाप्त हो गई.

अदालत के इन कई सारे आदेशों और समय सीमा के समाप्त होने के बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री को सील करने की अपनी मांग को दोहराते हुए अपनी बात से झुकने से इनकार कर दिया. वे यह भी चाहते हैं कि पंजाब सरकार द्वारा साल 2021 में दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र वापस ले लिया जाए.

मंगलवार को हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस विनोद भारद्वाज ने प्रदर्शनकारियों को 48 घंटे का और समय दिया और उनके वकीलों से कहा कि वे उन्हें कारखाने का रास्ता साफ करने के लिए राजी करें.

जस्टिस भारद्वाज ने एक तकनीकी समिति द्वारा प्रदूषण के आरोपों की गहन जांच के लिए की जा रही आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग पर भी सहमति व्यक्त की, लेकिन केवल इस शर्त पर कि वे पहले उस जगह (धरना स्थल) को खाली कर दें.

इस बीच, राज्य सरकार के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि कारखाने में प्रवेश के लिए एक वैकल्पिक द्वार की सुविधा दी गई है, और सफाई कर्मचारी भी परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.

सुनवाई की शुरूआत में जस्टिस भारद्वाज ने प्रदर्शनकारियों के वकील द्वारा रखी गई किसी भी दलील को सुनने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि कानून का सम्मान नहीं करने वालों की बात नहीं सुनी जाएगी. बाद में, उन्होंने कहा, ‘पहले आप साइट खाली करें और फिर मैं आपकी बात सुनूंगा.’

11 अक्टूबर और 22 नवंबर को दिए गए अपने पिछले दो आदेशों में जस्टिस भारद्वाज ने राज्य सरकार से करोड़ों के नुकसान का दावा करने वाले फैक्ट्री मालिक को दिए जाने वाले संभावित मुआवजे के तौर पर 20 करोड़ रुपये हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने को कहा था.

फिर 22 नवंबर के अपने आदेश में, जस्टिस भारद्वाज ने सरकार से प्रदर्शनकारियों के विवरण के साथ-साथ उनकी संपत्ति के विवरण को सूचीबद्ध करने के लिए कहा था, ताकि कारखाने के मालिक को मुआवजा देने के लिए उनकी संपत्ति कुर्क की जा सके.

मंगलवार को जैसे ही जस्टिस भारद्वाज ने कुर्की का आदेश देना शुरू किया, आंदोलनकारियों के एक वकील आर.एस. बैंस ने यह कहते हुए, अदालत का ध्यान खींचा कि विरोध के मुख्य विषय – कारखाने द्वारा फैलाये गए कथित प्रदूषण – पर कोई चर्चा नहीं की गई है.

बैंस ने कहा, ‘इसके बजाय, अदालत प्रदर्शनकारियों को हटाने तथा प्रदर्शनकारियों की संपत्ति और उनकी उपज की कुर्की का आदेश देते हुए शराब कारोबारी को मुआवजा देने पर जोर दे रही है.’

उन्होंने कहा, ‘जीवन का अधिकार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि व्यापार करने का अधिकार.’

इस पर, जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता अदालत को डराने की कोशिश कर रहे थे और लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. जवाब में बैंस ने पलटवार किया कि वह लोगों को लुभाने लिहाज से पहले ही बहुत लोकप्रिय हैं और ऐसा लगता है कि अदालत ही प्रदर्शनकारियों के वकीलों को डराने की कोशिश कर रही थी.

बैंस ने कहा कि अदालत काफी कठोरता से आदेश पारित कर रही है, जिससे हालात और भी खराब हो सकते हैं.

जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि उनके आदेशों को सुप्रीम कोर्ट सहित किसी भी अपीलीय अदालत में चुनौती दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘कृपया इनमें से किसी भी अपीलीय अदालत से संपर्क करें और मेरे आदेशों की परख कर लें.’

एक अन्य प्रदर्शनकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जी.के. मान ने जोर देकर कहा कि उन्हें शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है, जिस पर न्यायाधीश ने कहा कि, ‘2,000 पुलिस सहित पूरी पुलिस मशीनरी, साइट पर तैनात है, और आप कहते हैं कि यह एक शांतिपूर्ण विरोध है?’

इसके बाद एडवोकेट बैंस और मान ने अदालत को बताया कि कैसे पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल- एनजीटी) की एक निगरानी समिति – जिसने इस कारखाने को क्लीन चिट दी थी – की रिपोर्ट गलत थी. उन्होंने प्रदूषण के आरोपों की गहन जांच की मांग की.

हालांकि, कारखाने के वकील पुनीत बाली ने अदालत को बताया कि एनजीटीकी निगरानी समिति ने इन आरोपों की गहन जांच की है.

बाली ने कहा, ‘हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जसबीर सिंह की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति द्वारा की गई जांच के हर चरण पर प्रदर्शनकारी शामिल थे. निगरानी समिति के सदस्यों को फैक्ट्री के अंदर से कहीं से भी नमूने लेने की अनुमति दी गई थी, जहां से प्रदर्शनकारी चाहते थे.’

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रामलाल खन्ना) | (संपादन: अलमिना ख़ातून)


यह भी पढ़ें: 2024 चुनाव में नीतीश कुमार होंगे नरेंद्र मोदी के सामने? कुढ़नी सीट उपचुनाव की हार के क्या हैं मायने


share & View comments