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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'प्रत्येक दांत के निशान पर 10,000 रुपये', पंजाब और हरियाणा HC ने कुत्ते के काटने पर तय किया मुआवजा

‘प्रत्येक दांत के निशान पर 10,000 रुपये’, पंजाब और हरियाणा HC ने कुत्ते के काटने पर तय किया मुआवजा

193 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सार्वजनिक सड़कों पर जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और घटनाओं के संबंध में मुआवजे के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए.

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गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में कुत्ते के काटने के पीड़ितों को उनके शरीर पर आए हर एक दांत के निशान के लिए न्यूनतम 10,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा.

यदि कुत्ते के काटने से बहुत गहरा घाव या फिर शरीर का मांस बहार आ जाता है, तो व्यक्ति को प्रति 0.2 सेमी घाव के लिए न्यूनतम 20,000 रुपये दिए जाएंगे. सार्वजनिक सड़कों और गलियों पर जानवरों के कारण होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान के लिए 193 याचिकाओं का निपटारा करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया.

यदि ऐसी घटनाओं में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनके लीगल उत्तराधिकारी को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा. अदालत ने कहा, स्थायी अक्षमता के लिए, जैसा कि सिविल सर्जन द्वारा निर्धारित किया गया है, मुआवजा 2 लाख रुपये होगा.

मुआवजा देय होगा, चाहे जानवर पालतू हो, आवारा हो, जंगली हो या फिर किसी के द्वारा त्यागा हुआ हो, और भुगतान का दायित्व प्रशासन पर होगा, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज निकाय और शहरी क्षेत्राधिकार में नगरपालिका एजेंसियां पर, यदि धन की कमी पर राज्य सरकार भी आगे आएगी.

हालांकि, अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार को “चूक करने वाली एजेंसियों, राज्य की सहायक संस्थाओं, या किसी व्यक्ति, यदि कोई हो, तो से राशि वसूल करने का अधिकार होगा.”

इसका मतलब यह है कि यदि सार्वजनिक स्थान पर किसी पालतू जानवर के कारण चोट लगती है, तो सरकार उनके मालिकों से मुआवजे की राशि मांग सकती है.

इस साल 18 अगस्त को जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने फैसला सुनाया था, लेकिन इसे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अब अपलोड किया गया है.

अन्य बातों के अलावा, अदालत ने हरियाणा और पंजाब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ – उसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए ‘एनिमल अटैक एक्सीडेंट कम्पेन्सेशन कमिटी’ नामक जिला-स्तरीय पैनल स्थापित करने का निर्देश दिया है.

अदालत के अनुसार, पैनल में अध्यक्ष के रूप में संबंधित उपायुक्त, और पुलिस अधीक्षक/पुलिस उपाधीक्षक (यातायात), उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, जिला परिवहन अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी के प्रतिनिधि और और उप निदेशक (पशुपालन) सदस्य के रूप में शामिल होंगे.

एक बार आवश्यक दस्तावेज जमा हो जाने के बाद, समिति को दावा दायर करने के चार महीने के भीतर भुगतान को मंजूरी देनी होगी.

अदालत ने निर्देश दिया है कि फैसले की प्रतियां तत्काल कार्रवाई और अनुपालन के लिए हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के प्रमुख सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशकों के कार्यालयों में तुरंत जमा की जाएं.

अदालत के समक्ष यह 193 मामले वर्ष 2016 से 2023 के बीच दर्ज किए गए थे.

‘राज्य की जिम्मेदारी’

हाई कोर्ट ने कहा कि वैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ अन्य उच्च न्यायालयों के उदाहरण भी स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि राज्य के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (जो राजमार्गों की देखरेख करता है) सहित इसकी एजेंसियां और सहायक उपकरण, अपनी सड़कों/गलियों को कुत्तों सहित आवारा/जंगली जानवरों के खतरे से सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लेते हैं.

आदेश के अनुसार, “राज्य की विफलता के लिए लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता. दावेदारों के अधिकार और अधिक स्पष्ट हो गए हैं क्योंकि राज्य राजमार्गों और सड़कों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों से सड़क कर/उपयोगकर्ता शुल्क एकत्र कर रहे हैं और स्थानीय निकाय भी निवासियों से विभिन्न प्रकार के कर/शुल्क/उपकर एकत्र कर रहे हैं. ऐसे में निवासी और उन मालिकों पर जुर्माना लगा सकते हैं जो अपने जानवरों को जंजीरों में बांधने/रखने या नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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