नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ ‘सौतेला’ व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को जंतर मंतर पर धरना दिया. अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब से कांग्रेस के सभी विधायक और सांसद भी मौजूद थे.
पंजाब के किसानों को बचाने के लिए एक मिशन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने और राज्य के अन्य विधायकों ने पंजाब के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान दिलाने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलने की मांग की थी. पंजाब में किसान तीन नए बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
अमरिंदर सिंह के साथ जंतर मंतर पर लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस, पंजाबी एकता पार्टी के विधायक सुखपाल खैरा और शिरोमणि अकाली दल (डी) के विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा भी धरना प्रदर्शन में शामिल हुए. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी को धरने में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया क्योंकि दिल्ली में उनकी सरकार ने किसानों को बचाने के लिए संशोधन विधेयक पारित नहीं किये.
मुख्यमंत्री ने राजघाट में राष्ट्रपिता को पुष्प अर्पित किए और बाद में मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें और पंजाब के अन्य विधायकों को समय देने से इनकार कर दिया है. पंजाब की गंभीर चिंताओं पर राष्ट्रपति भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, ‘वह राष्ट्र के प्रमुख हैं और हम उन्हें पंजाब के हालात के बारे में बताना चाहते थे और उम्मीद करते थे कि वह केंद्र सरकार से बात करेंगे.’
अमरिंदर सिंह ने पंजाब के राज्यपाल की भूमिका पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की, जिन्होंने विधानसभा में उनके सर्वसम्मति से पारित होने के बाद उन्हें राज्य के संशोधन बिलों को अभी तक राष्ट्रपति के पास आगे नहीं बढ़ाया है.
यह भी पढ़ें: वायरल लॉकडाउन फोटो में रोते बिहारी प्रवासी को अब भी ‘तेजस्वी के वादे’ वाली नौकरी का इंतजार
‘केंद्र का सौतेला व्यवहार’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम विधेयकों पर बात नहीं करना चाहते थे, हम जानते हैं कि राष्ट्रपति को अभी तक वह प्राप्त नहीं हुआ है. वह अभी तक राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनोर के पास है. उन्हें विधेयकों में देरी करने की आदत है.’
‘राज्यपाल की इसमें कोई भूमिका नहीं है, उन्हें अब तक राष्ट्रपति को बिल भेजना चाहिए था, वे इस तरह के मामलों में केवल एक पोस्ट-बॉक्स हैं, इसलिए उन्होंने अब तक विधेयकों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया है?’ मुख्यमंत्री ने संकेत दिया कि राज्यपाल अभी भी एक और विधेयक पर बैठे थे- पंजाब राज्य विधानमंडल (अयोग्यता की रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019- उनकी सरकार ने एक साल पहले प्रस्तुत किया था.
पिछले महीने पंजाब विधानसभा ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को खारिज करते हुए एक प्रस्ताव अपनाया और चार विधेयक पारित किए. तीन कृषि बिल – किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 का किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 – 2020 हाल ही में संसद द्वारा पारित किया गया.
इस दौरान सीएम ने यह भी कहा, ‘रेलवे सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है, कोयला समाप्त हो गया है, मेरे पास कुछ भी नहीं है, और हमारे पास जो पैसा बचा है हम उन पैसों से नेशनल ग्रिड से बिजली खरीद रहे हैं. पिछले तीन महीने से जीएसटी की संवैधानिक गारंटी मिलने की त्रैमासिक गारंटी अभी तक फुलफिल नहीं की गई है. यह मार्च से लंबित है और 10,000 करोड रुपये बकाया है. यह सौतेला व्यवहार गलत है.
सीएम ने यह भी कहा कि किसानों द्वारा फार्म बिलों के विरोध में अनिश्चितकालीन ‘रेल रोको’ प्रदर्शन के बाद से ही वहां मालगाड़ियों की आवाजाही पर रोक है. यह रोक रेलवे ने सितंबर से लगा रखी है.
सीएम ने आगे कहा, ‘ यह मोर्चा बंदी नहीं है.’ हमलोगों ने राष्ट्रपति से पंजाब के हालात को बताने के लिए समय मांगा था लेकिन उन्होंने नहीं दिया है. फिर हमलोगों ने सोचा की हम जाएंगे और अपने व्यूज उन्हें बताएंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय नहीं मांगा है लेकिन उचित समय पर मांगूंगा.
कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि कानून किसानों के हितों के विरोधी हैं और कार्पोरेट घरानों के हित में हैं.
हालांकि केंद्र ने जोर दिया है कि नए कानून किसानों के हित में हैं.
यह भी पढ़ें: बिजली संकट, यूरिया की कमी, अनाज के ऊंचे ढेर- मालगाड़ियों के रद्द होने का पंजाब पर असर