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Sunday, 22 December, 2024
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पंडितों ने दिलाई भ्रूण हत्या न करने की शपथ, 518 जोड़ों का सरकार ने कराया सामूहिक विवाह

नवदंपत्तियों को जिसमें छः जोड़े मुस्लिम और ईसाई समुदायों से भी थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं बधाई दी. वहीं गायत्री परिवार के पण्डितों ने उन्हें भ्रूण हत्या के खिलाफ शपथ दिलाई.

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रायपुर: पिछले दिनों 500 से अधिक जोड़ों की सामूहिक विवाह समारोह के दौरान उस समय पूरा माहौल बदल गया जब पंडित शादी के मंत्रोच्चारण के दौरान दूल्हा-दुल्हन को भ्रूण हत्या न करने और बच्चियों को पढ़ाने को लेकर शपथ दिलाई. जोगी सरकार द्वारा शुरू किए गए सामूहिक विवाह कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस नीत भूपेश बघेल सरकार ने पिछले दिनों गरीब परिवारों के  500 से अधिक जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया साथ ही उन्हें नए जीवन में प्रवेश की शुभकामनाएं देते हुए घर-गृहस्थी से जुड़े उपहार भी दिए.

नवदंपत्तियों को जिसमे छः जोड़े मुस्लिम और ईसाई समुदायों से भी थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं बधाई दी वहीं गायत्री परिवार के पण्डितों ने उन्हें भ्रूण हत्या के खिलाफ शपथ दिलाया.

पूर्व में किये गए एलान के अनुसार छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने 25 फरवरी को 518 गरीब और जरूरतमंद परिवारों के जोड़ो का सामूहिक विवाह कराकर उनको 25000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी है. हालांकि सरकार द्वारा दूसरे समुदायों की संख्या जो बताई गयी थी विवाह स्थल में उससे कम ही दिखाई दी.

दिप्रिंट से बात करते हुए प्रदेश की राजधानी रायपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर से आए दूल्हा साजिद खान जिसका निकाह पास के ही दूसरे गांव मुगेला-कुटेला की नजमा से हो रहा था ने कहा, ‘मैं एक दिहाड़ी ड्राइवर हूं, मेरी माली हालात ऐसी नही हैं कि अपनी शादी के लिए ज्यादा धन जुटा पाता. सरकार द्वारा दी गयी मदद से यह संभव हो पाया है.’ ऐसी ही कुछ भावना नजमा ने भी व्यक्त किया और बताया की उसके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और इतने सक्षम नही हैं कि उसकी शादी अपनी तरफ से करा पाएं.

वहीं रायपुर की रहनेवाली दुल्हन सरोजनी साहू, जिसका विवाह मोटर मैकेनिक रोहित साहू से हो रहा था, के पिता सुखलाल साहू कहते हैं, ‘मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं, जो कमाई होती है उससे परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो जाता है. मेरे और भी बच्चे हैं. इस सामूहिक विवाह के अयोजन से ही बेटी का विवाह संभव हो पाया है.’

रायपुर के गुढ़ियारी से आयी एक अन्य दुल्हन शील मेश्राम के पिता विनोद मेश्राम का कहना था कि ‘मेरी दिहाड़ी से मासिक 6000 रुपये की कमाई होती है, परिवार में और भी बच्चे हैं. मुझे समझ नही आ रहा था कि यह कैसे संभव हो पायेगा लेकिन तभी मुझे किसी ने सरकार द्वारा कराए जाने वाले सामूहिक विवाह के विषय में जानकारी दी और हम यहां तक पहुंच सके.’

गायत्री पीठ के सानिग्ध में आयोजित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में 25 फरवरी को दोपहर इस वृहद सामूहिक विवाह का आयोजन तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार सम्पन्न हुआ यद्दपि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा सत्र में व्यस्तता के कारण काफी देर से शामिल हो पाए जिस वजह से नव दंपत्तियों के विदाई कार्यक्रम में देरी हुई. राज्य महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित यह सामूहिक विवाह कार्यक्रम पूरे वैदिक विधि विधान एवं मंत्रोचारण के साथ गायत्री पीठ के पंडितों द्वारा सम्पन्न कराया गया.

इन जोड़ों के साथ चार दिव्यांग जोड़ों ने भी सामूहिक विवाह में सात फेरे लेकर जीवन भर साथ रहने का वचन दिया. नव दम्पत्तियों ने सात फेरों और सात वचनों के साथ ही भू्रण हत्या का विरोध, बेटी के प्रति भेद-भाव नहीं करने, बेटी का स्वाभिमान एवं गौरव बनाए रखने की भी शपथ ली.

नव विवाहितों को संबोधित करते हुए बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कभी भी दहेज प्रथा नहीं रही है. आशीर्वाद स्वरूप टिकावन के रूप में वधु के नये दाम्पत्य जीवन की शुरूआत के लिए जरूरी सामग्री दी जाती है. मुख्यमंत्री के अनुसार कन्या विवाह योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 15 हजार रुपए को बढ़ाकर 25 हजार रूपए कर दिया गया है. इस राशि से 20 हजार की उपहार सामग्री तथा पांच हजार रूपए विवाह आयोजन व्यवस्था पर खर्च की जाती है.

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी जोड़ों को एक-एक पौधा, सुपोषण टोकरी, एक हजार रूपए का चेक सहित अनिवार्य विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र और दैनिक जीवन के उपयोगी की सामग्री भी प्रदान किया. उन्होंने छत्तीसगढ़ी हाना ‘घर बना के देख, बिहाव करके देख’ कहते हुए विवाह को एक जिम्मेदारी बताया. मुख्यमंत्री ने सामूहिक विवाह को लेकर नजरिया और भाव बदलने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ‘सोच बदलो सितारे बदल जाते हैं, नजरे बदलो नजारे बदल जाते हैं’.

सरकार द्वारा सामग्री के रूप में वर-वधू को वैवाहिक कपड़े, श्रृंगार के समान, सूटकेस, अलमारी, पंखा, स्मार्ट मोबाइल फोन, गद्दा, चादर, तकिया, जूता-चप्पल, चांदी के पायल, बिछिया एवं मंगलसूत्र, प्रेशर कूकर, थाली, कटोरा, गिलास, जग, पानी की टंकी प्रदान किये गए.

गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ का लिंगानुपात 991 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष है.

इसे एक संयोग ही कहा जाए कि प्रदेश में सामूहिक विवाह की शुरुआत भूपेश बघेल ने वर्ष 2002 में अजीत जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए रायपुर के आर.डी. तिवारी स्कूल में 22 जोड़ों की शादी कराकर की थी. इसके बाद उन्होंने 2003 में सेलूद में 27 जोड़ों का विवाह करवाया. सामूहिक विवाह का यह सिलसिला भाजपा की रमन सिंह सरकार ने 2004 में सत्ताबदल के बाद भी जारी रखा.

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