श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाये गये आरोप शुक्रवार को हटा दिये गये. राज्य के गृह सचिव शालीन काबरा ने एक आदेश में कहा कि 17 सितम्बर को अब्दुल्ला पर लगाया गया पीएसए को हटा दिया गया है. अब्दुल्ला पर लगाये गये पीएसए की अवधि 13 दिसम्बर को बढ़ा दी गई थी. आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है. जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा कानून 1978 की धारा (1) के तहत उन्हें बंदी बना कर रखा गया था. पिछले सात महीने से वह बंदी थे.
शशि थरूर ने किया स्वागत
फारुक अब्दुल्ला को देर से रिलीज किए जाने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वागत करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ‘मुझे आशा है कि वह जल्द ही लोकसभा की पहली बेंच पर नजर आएंगे जो उनकी जगह है. उन्होंने आगे लिखा है कि वह अपने राज्य और राष्ट्र की स्थिति का सामना करने वाले मुद्दों को संबोधित कर सकते हैं. उनका डिटेंशन अपमानजनक था.’
Welcome the belated release of Dr Farooq Abdullah. I hope he will soon resume his rightful place on the front bench of the Lok Sabha, where he can address with his usual compelling vigour the issues facing his state & the state of the nation. His detention was a disgrace. pic.twitter.com/TnCR2BZ04x
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 13, 2020
इस बीच फारुक अब्दुल्ला के पुत्र पर पीएसए लगाए जाने कि खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्लाह ने सर्वोच्च न्यायालय में हेबियस कोरपस याचिका दायर की थी. पीडीपी नेता मेहबूबा मुफ्ती के बेटी इल्तिजा ने भी बाद में ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.