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Wednesday, 20 November, 2024
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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा शहजाद अली राजनीति से प्रेरित थे- उनकी भूमिका ‘नाममात्र’ की थी

शाहीन बाग में प्रदर्शन पूरे चरम पर होने के बीच दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली आप ने अब कहा है कि अली के भाजपा में शामिल होने से पता चलता है कि पूरे प्रदर्शन की ‘पटकथा भाजपा ने लिखी’ थी.

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नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाले लोगों ने शहजाद अली, जो रविवार को भाजपा में शामिल हो गए थे, को आंदोलन का एक ‘नगण्य’ हिस्सा बताया है और उन पर राजनीतिक अवसरवादिता का आरोप लगाया है.

पिछले साल पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन से जुड़े रहे अली ने रविवार को भाजपा का दामन थाम लिया था, और उनके इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि पूरा विरोध प्रदर्शन ‘स्क्रिप्टेड’ था.

शाहीन बाग में मोबाइल और उससे जुड़ी एसेसरीज की दुकान चलाने वाले अली ने कहा कि वह भाजपा संग ‘संवाद’ की शुरुआत के लिए पार्टी में शामिल हुए हैं. अली ने दिप्रिंट से कहा, ‘हां, मैंने सीएए के खिलाफ विरोध जताया था. लेकिन हर विरोध का अंत एक संवाद है. मैं सीएए के बारे में भाजपा नेताओं के साथ बातचीत करना चाहता हूं.’

हालांकि, उन्होंने इस पर कोई जवाब देने से इनकार कर दिया कि क्या वह अब भी चाहते हैं कि सीएए को रद्द किया जाना चाहिए या नहीं—यही वह मांग थी जो सीएए विरोधी प्रदर्शनों का केंद्रबिंदु थी, और जिसने कोविड-19 महामारी के कारण प्रदर्शन खत्म होने से पहले दिसंबर मध्य से मार्च अंत तक पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन वाली जगहों में सबसे अहम था.

शहजाद अली से जुड़ी खबर पर अपनी प्रतिक्रिया में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह पूरे आंदोलन की छवि बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका कभी भी कोई चेहरा नहीं था. शाहीन बाग प्रदर्शन के प्रमुख आयोजकों में से एक रितु कौशिक ने दिप्रिंट से कहा, ‘सैकड़ों-हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया होगा, विरोध करने वालों में कोई एक चेहरा या एक नेता नहीं था. बस यही नहीं वह तो दादियां-नानियां थी जिन्होंने विरोध को जारी रखा.’

कौशिक ने यह भी कहा कि अली को कभी सेंटर स्टेज संभालने की अनुमति नहीं दी गई थी.

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने नाम न देने की शर्त पर बताया, ‘उनकी भूमिका और योगदान हमेशा नाममात्र का ही था. वह राजनीति प्रेरित था, जैसा कि अब स्पष्ट भी हो गया है.’

संयोग से फरवरी 2019 में अली को राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का दिल्ली प्रमुख बनाया गया था- इसी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में सीएए विरोधी कई प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था. आरयूसी महासचिव ताहिर मदनी को प्रदर्शनों के कारण फरवरी में आजमगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था, और उन्हें मई में रिहा किया गया था.

आरयूसी के साथ अली का जुड़ाव केवल कुछ महीनों तक ही चला, जिसके बाद उन्हें समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से मुलाकात करते देखा गया, जिनकी तस्वीरें सामने आ रही हैं. लेकिन अली ने आधिकारिक तौर पर पार्टी में शामिल होने की बात इनकार करते हुए कहा कि वह केवल ‘एक सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत’ से यादव से मिले थे.

शाहीन बाग पूरी तरह स्क्रिप्टेड : आप

शाहीन बाग में प्रदर्शन पूरे चरम पर होने के बीच दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली आप ने अब कहा है कि अली के भाजपा में शामिल होने से पता चलता है कि पूरे प्रदर्शन की ‘पटकथा भाजपा ने लिखी’ थी, और पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए आंदोलनकारियों के हर एक कदम को पूर्वनिर्धारित कर रखा था.


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आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को कहा, ‘पूरा शाहीन बाग प्रदर्शन भाजपा की तरफ से स्क्रिप्टेड था. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने विरोध प्रदर्शन के प्रत्येक चरण की पटकथा लिखी थी.’

दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले जनवरी 2020 में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था.

सिसोदिया ने न्यूज18 कॉन्क्लेव में कहा था, ‘मैं शाहीन बाग के साथ खड़ा हूं…केजरीवाल ने सीएए का खुलकर विरोध किया है.’

हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान प्रदर्शन स्थल खाली कराने को लेकर कहा था कि अगर दिल्ली सरकार का पुलिस पर नियंत्रण होता तो ‘हम दो घंटे के भीतर इलाके को साफ कर देते.’

कौशिक ने कहा, ‘यह बेहद अनुचित है कि सीएए के खिलाफ लड़ाई में कभी सक्रिय तौर पर हमारा समर्थन नहीं करने वाली आप ने अचानक ही यह विवाद भुनाने का फैसला कर लिया है.’

राजनीतिक विश्लेषक और ‘राइज ऑफ सैफ्रान पावर’ के संपादक मुजीबुर रहमान का कहना है कि आप के दावे ‘निराधार और वास्तविकता से परे’ हैं.

रहमान ने कहा, ‘यह दर्शाने वाला कोई सबूत नहीं है कि शाहीन बाग भाजपा की दिमागी उपज था. अगर कुछ हुआ तो यह कि आप को इस आंदोलन से जबर्दस्त फायदा हुआ क्योंकि असल में परंपरागत रूप से कांग्रेस को वोट देने वाले तमाम मुसलमानों ने उसे छोड़ दिया और इसके बजाये आप को वोट दिया. आप के अमानतुल्ला खान इस फायदे का प्रमाण हैं.’

अमानतुल्ला खान दिल्ली के ओखला निर्वाचन क्षेत्र से जीते हैं, जिसमें शाहीन बाग भी आता है.

शाहीन बाग आंदोलन से चुनावों में ‘ध्रुवीकरण’ होने के आप के आरोपों पर रहमान ने कहा कि ध्रुवीकरण से भाजपा को व्यापक स्तर पर फायदा मिला हो सकता है. उन्होंने आगे जोड़ा, ‘आमतौर पर ध्रुवीकरण से भाजपा हमेशा फायदे में रहती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे आंदोलन के पीछे भाजपा का हाथ होने के तौर पर पेश किया जा सकता है.’

दिल्ली चुनावों से पहले भाजपा ने भी आप पर शाहीन बाग आंदोलन को ‘प्रायोजित’ करने का आरोप लगाया था और चुनाव आयोग से इस पर हो रहे खर्च को आप उम्मीदवारों के खाते में जोड़ने का अनुरोध किया था.

शाहीन बाग से 50 से अधिक लोग पार्टी में शामिल : भाजपा

दिल्ली भाजपा नेता निगहत अब्बास ने बताया कि अली समेत मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग भाजपा में शामिल हुए हैं जिसमें 50 शाहीन बाग के हैं और बाकी ओखला और निजामुद्दीन के हैं. इनमें सीएए का समर्थन करने वालों के साथ-साथ इसका विरोध करने वाले भी शामिल हैं.

दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा, ‘उन्होंने (कांग्रेस और आप) सीएए पर समुदाय को गुमराह किया था. समुदाय विशेषकर शाहीन बाग के लोगों को अब समझ आ गया है कि सीएए कोई नागरिकता छीनने नहीं जा रहा बल्कि देने वाला है.

फरवरी में दिल्ली के चुनाव होने तक भाजपा ने शाहीन बाग को केंद्रीय चुनावी मुद्दा बना दिया था. शाहीन बाग के आंदोलनकारियों पर भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा था, ‘ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी मां-बहनों का अपहरण करेंगे, उनका बलात्कार करेंगे, उन्हें मार डालेंगे.’

दिल्ली चुनावों से पहले प्रचार अभियान के दौरान अपने भाषण में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदाताओं से कहा था कि ‘ईवीएम का बटन इतने गुस्से से दबाना कि करंट शाहीन बाग को लगे.’

नाम नहीं बताना चाह रहे एक और आंदोलनकारी ने कहा, ‘आश्चर्य की बात तो यह है कि वो भाजपा खुद को उन्हीं प्रदर्शनकारियों के साथ जोड़ रही है, जिनकी वह पहले आलोचना करती थी और बलात्कारी और अपहरणकर्ता होने का आरोप लगाती थी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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