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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशधारा 370 हटाने के ख़िलाफ़ लेफ्ट ने निकाला मार्च, सरकार से की फैसला वापस लेने की मांग

धारा 370 हटाने के ख़िलाफ़ लेफ्ट ने निकाला मार्च, सरकार से की फैसला वापस लेने की मांग

रैली में शामिल एक कश्मीरी युवक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'कश्मीरियों के साथ अन्याय हुआ है. वहां कितने दिनों तक फौज रहेगी? फौज हटेगी तब पता चलेगा.'

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नई दिल्ली: संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35 ए को हटाने के कानून के पास होने के बाद कुछ संगठन इसका विरोध कर रहे हैं तो कुछ अपनी पुरानी मांग के पूरा होने का जश्न मना रहे हैं. बुधवार को दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक धारा 370 के विरोध में वाम दलों ने एक मार्च निकाला. इसमें सीपीआई, सीपीआई (एम) और माले जैसी वामपंथी पार्टियां शामिल थीं. इस मार्च के दौरान इसमें शामिल लोग ‘तानाशाही नहीं चलेगी’, ‘370 पर बदलाव वापस लो’ और ‘अमित शाह-नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद’ जैसे नारे लग रहे थे. इस प्रदर्शन में महज 200-300 के करीब लोग ही शामिल हुए थे.

वहीं इन विरोध प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध सड़क की दूसरी ओर करीब दर्जन भर लोगों ने तिरंगा ओढ़ और थाम रखा था. ये लोग इस रैली में शामिल लोगों को गद्दार बुला रहे थे और ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सा* को’ जैसे नारे लगा रहे थे. पुलिस ने बंदोबस्त चाक-चौबंद रखा था. इन दोनों धड़ों को एक रस्सी की लाइन से बांट रखा था.

‘गोली मारने’ जैसा नारा लगा रहे लोगों में शामिल 28 वर्षीय कार्तिक ने कहा, ‘वो किसी संस्था से नहीं जुड़े हैं और शेहला रशीद का ट्वीट देखकर इस रैली का विरोध करने आए हैं, क्योंकि विरोध कर रहे लोग ‘देश विरोधी हैं और गद्दार हैं.’

इस मार्च में लोगों के शामिल होने की अपील से जुड़ा एक ट्वीट जेएनयू की पूर्व छात्रा और जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टी ‘जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की नेता शेहला रशीद ने मंगलवार को किया था. लोगों के शामिल होने से जुड़ी अपील वाले अपने ट्वीट में शेहला ने लिखा था, ‘मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक कल 11 बजे से शुरू होने वाले कश्मीर एकता मार्च में हिस्सा लें.’

इसी ट्वीट में उन्होंने राष्ट्रपति के आदेश को वापस लिए जाने, कैद नेताओं को रिहा करने और बातचीत के माध्यमों को फिर से स्थापित करने की मांग की थी.

रैली में शामिल एक कश्मीरी युवक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘कश्मीरियों के साथ अन्याय हुआ है. सरकार ने लोगों की भावना नहीं समझी. कितने दिनों तक वहां पर फौज की तैनाती रहेगी? जब फौज हटेगी तब सरकार को पता चलेगा. असली परिणाम आने वाले एक दशक में दिखेंगे.’

धारा 370 पर सरकार के कदम ख़िलाफ़ बोलते हुए सीपीआई के डी राजा ने कहा, ‘ये संविधान पर हमला है. लेफ्ट पार्टियां इसकी आलोचना करती हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था और मॉब लिंचिग पर बात नहीं करना चाहती और इन्हीं सब से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया है. वहीं, माले के दीपांकर भट्टाचार्या ने कहा, ‘जिस तरह से कश्मीर को तोड़ कर जो किया गया उसकी वजह से बिहार यूपी वालों को सोचना चाहिये कि इनके राज्यों को तोड़ दिया जाए तो कैसा लगेगा, कश्मीर ज़मीन का टुकड़ा नहीं एक मुल्क है.’

ऐसे छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के के बीच जम्मू-कश्मीर विचार मंच ने सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को तीन भागों में बंटाने का स्वागत किया है. जम्मू-कश्मीर विचार मंच ने कहा, ‘ये पूरे देश के लिए आम तौर पर और कश्मीरी पंडितों के लिए ख़ास तौर पर जश्न मनाने का ऐतिहासिक मौका है.’ उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी इसके लिए बधाई दी.

जम्मू-कश्मीर विचार मंच ने कहा, ‘यह उन सभी राष्ट्रवादी ताकतों को श्रद्धांजलि है जो एक भारत को प्राप्त करने के लिए सात दशकों से प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर राष्ट्रवादी नेताओं और कई अन्य कार्यकर्ताओं ने अपनी शहादत दी. हजारों सुरक्षा कर्मियों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और देश के लिए एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान के लिए अपना जीवन लगा दिया.’ मंच ने ये भी कहा कि नए कश्मीर से विकास और प्रगति का नया रास्ता खुलेगा और घाटी फिर से ‘स्वर्ग’ बन जाएगी.

आपको बता दें कि मंगलवार को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में 70 के मुक़ाबले 370 मतों से पास हुआ. इसके साथ ही राज्य अब तीन हिस्सों में बंट जाएगा. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीन केंद्र शासित प्रदेश होंगे. पहले दो में विधानसभाएं होंगी जहां चुनी हुई सरकारें होंगें, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगा. विपक्ष के सवाल के जवाब में गृहमंत्री शाह ने संसद में ये भरोसा दिलाया है कि राज्य में परिस्थितियां सामान्य होने और सही समय आने पर जम्मू और कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.

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