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Friday, 1 November, 2024
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राष्ट्रपति कोविंद ने अपने विदाई संदेश में कहा- आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करें

कोविंद ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं.

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को अपने कार्यालय के अंतिम दिन राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश 21वीं सदी को भारत का बनाने में सक्षम है.

राष्ट्रपति कोविंद ने पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर कहा, ‘पांच साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति चुना गया था. राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है. मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं.’

कोविंद ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं.

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था. कोविंद ने आगे कहा, ‘हमें सिर्फ उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है.’

उन्होंने कहा, ‘अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है. मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं.’


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‘जलवायु संकट इस ग्रह को खतरे में डाल सकता है’

कोविंद ने कहा, ‘मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में कुछ दशकों में देश में नेताओं की एक गैलेक्सी थी जिनमें से प्रत्येक एक असाधारण दिमाग था. इस मामले में भारत जैसा भाग्यशाली कोई अन्य देश नहीं रहा है.’

इस दौरान उन्होंने गहराते जलवायु संकट पर भी अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है और जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है. हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का ध्यान रखना चाहिए.

अपने कार्यकाल के दौरान यादगार लम्हों के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अपने पैतृक गांव का दौरा करना और कानपुर स्कूल में बुजुर्ग शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना हमेशा उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक होंगे.

जानकारी के लिए बता दें कि रामनाथ कोविंद कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में एक बेहद साधारण परिवार में पले-बढ़े हैं.

उन्होंने युवाओं से अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का अनुरोध करते हुए कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. मैं युवा पीढ़ी से अनुरोध करूंगा कि वे अपने गांव या कस्बे, अपने स्कूलों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को जारी रखें.

बता दें कि भारत के 14वें राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन के बाद, उन्होंने बिहार के राज्यपाल के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 20 जून 2017 स्वीकार कर लिया था. कोविंद ने 20 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुनाव जीता था.


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