नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के केंद्रीय कक्ष में शनिवार को अपने विदाई समारोह दौरान संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने भारत सरकार की उपलब्धियों और कोरोना महामारी के दौरान मानवता के सामने आई मुश्किलों का खास तौर से जिक्र किया.
इस दौरान, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, वेंकैया नायडू, पीएम मोदी, समेत विपक्ष के नेता मौजूद थे.
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘मेरे हृदय में अनेकों यादें उभर आई हैं. इसी संसद भवन में मैंने अनेकों साल बिताए हैं. इसी सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ लिया था. राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने मौका देने के लिए आप सभी का आभारी रहूंगा.’
उन्होंने साथ देने के लिए सांसदों का आभार जताया, कहा कि आपके सहयोग से काम को बेहतर ढंग से कर सका.
राष्ट्रपति पद से विदा हो रहे रामनाथ कोविंद ने कहा ‘अपने कार्यकाल के दौरान मैंने अपनी पूरी क्षमता से अपने कर्तव्यों के निर्वहन का प्रयास किया है. आप सबने (जनप्रतिनिधियों ने) मेरे प्रति जिस अटूट विश्वास का परिचय दिया उसके बल पर मैं अपने कर्तव्यों को भलीभांति निभा सका’
उन्होंने कहा, ‘मेरे सभी पूर्ववर्ती राष्ट्रपति मेरे लिए प्रेरण का स्रोत रहे हैं. राष्ट्रपति और सांसद उसी विकास के सहयात्री हैं जो हमारे देश की प्रगति उच्चतर उपलब्धियों की ओर ले जा रहा है. इस पथ को प्रशस्त्र करने वाली महान विभूतियों ने हमारे संविधान की रचना करके लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखी.’
संसद को लोगों का तंत्र यानि लोकतंत्र का मंदिर भी कहा जाता है.
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कोविंद ने कहा, ‘जैसा कि किसी भी परिवार में होता है संसद में भी कभी-कभी मतभेद होते हैं. आगे का रास्ता कैसे तय करना है इस पर विभिन्न दलों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सब संसद रूपी परिवार के सदस्य हैं. हम संसद रूपी परिवार की मकसद है राष्ट्र रूपी संयुक्त परिवार के लिए निरंतर कार्य करते रहना.’
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक प्रक्रियाएं अपने दलों के तंत्रों से चलती हैं. लेकिन पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और राष्ट्र के रूप में विचार करना चाहिए कि देशवासियों के कल्याण के लिए क्या जरूरी है.’
‘जब हम पूरे राष्ट्र को एक संयुक्त विशाल परिवार को रूप में देखते हैं तो यह समझ में आता है कि पारिवारिक मतभेदों को सुलझाने के अनेक रास्ते हो सकते हैं जो शांति, सद्भाव और सम्मान पर आधारित होते हैं.’
कोविंद ने कहा कि विरोध प्रकट करने के अनेक संवैधानिक रास्ते राजनैतिक दलों और नागरिकों को उपलब्ध हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने उद्देश्यों को पाने के लिए शांति, अहिंसा और सत्याग्रह के अस्त्र का इस्तेमाल किया. लेकिन वह दूसरे पक्ष का सम्मान भी करते थे.
‘हमारे नागरिकों को मांगें मनवाने, दबाव बनाने का संवैधानिक अधिकार उपलब्ध है लेकिन इसका इस्तेमाल मेरे विचार से गांधीवादी तरीकों से इस्तेमाल किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि स्वच्छता का अभियान सरकार की ओर से महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि है. दूसरी उपलब्धि भारत के स्वाधीनता के 75 वर्ष पर देशवासियों द्वारा अमृत महोत्सव उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है. इसके लिए देश की जनता और सरकार को बधाई देता हूं.
कहा- कोविड-19 ने झकझोर दी दुनिया
राष्ट्रपति ने कहा वर्ष 2020 में देखते-देखते हमारी दुनिया बदल गई. एक वैश्विक महामारी ने मानवता को झकझोर कर रख दिया. कोविड-19 के दुष्परिणामों से दुनिया अब तक जूझ रही है. उम्मीद है कि पूरा विश्व समुदाय भविष्य के लिए इससे सबक हासिल करेगा.
उन्होंने कहा कि पहला सबक यह है कि मानव समाज प्रकृति का ही एक अभिन्न हिस्सा है. वास्तविकता यह है कि वह न तो प्रकृति से अलग है और न ही प्रकृति से ऊपर है. महामारी का प्रकोप कुछ हद तक पर्यावरण में असंतुलन से भी जुड़ा है. इस विभीषिका ने यह भी याद दिलाया है कि पूरी मानवता एक ही परिवार है और सभी का अस्तित्व आपसी सहयोग पर निर्भर करता है. कोविड का सामना करने में भारत की विश्वव्यापी सराहना हुई है. हमने 18 महीने में ही 200 करोड़ वैक्सीन लगाने में सफलता पाई है. कोरोना काल में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन भी पहुंचाया.
कोविंद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब वाद-विवाद का विषय नहीं रह गया है. बल्कि इसके परिणाम हमारे जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने लगे हैं. इस लिहाज से ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाने की भारत की कोशिश सराहनीय है.
समाज के हाशिए के लोगों को लिए बहुत कुछ किया गया है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हमारा देश डॉ. आम्बेडकर के सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
गिनाई सरकार की उपलब्धियां
उन्होंने कहा, ‘मैं मिट्टी से बने एक कच्चे घर में पला-बढ़ा हूं, लेकिन अब ऐसे बच्चों की संख्या कम हो गई है जिन्हें आज भी उन कच्चे घरों में रहना पड़ता है, जिनमें छत से पानी टपकता हो. आज बड़ी तादात में गरीब भाई-बहनों के पास पक्के घर हैं. यह बदलाव सरकार के विशेष प्रयासों से संभव हुआ है.’
उन्होंने कहा कि अब हमारी बहनों को पीने का पानी लाने के लिए मीलों पैदल नहीं चलना पड़ता है क्योंकि हमारा प्रयास है कि हर घर नल से जल पहुंचे.
राष्ट्रपति ने कहा कि हमने घर-घर में टॉयलेट्स भी बनवाये हैं. जो एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के निर्माण की नींव डाला है.
सूर्यास्त के बाद दिया जलाने की यादें भी पुरानी हो रही हैं. क्योंकि लगभग सभी गांव तक बिजली का उजाला पहुंच गया है.
जैसे-जैसे हमारे देशवासियों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं, उनकी आकांक्षाओं में भी बदलाव आ रहा है.
कोविंद ने कहा कि महिला सशक्तीकरण होता देख मुझे विशेष संतोष हो रहा है. यह युवा बेटियों को आगे बढ़ा रहा है. बेटियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर रहा है. मुझे भरोसा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बदलाव को और तेजी से आगे बढ़ाएगी.
द्रौपदी मुर्मू का चुनाव महिला सशक्तीकरण को बढ़ाने और महत्वाकांक्षा का संचार करने वाला है. उम्मीद है कि उनके अनुभव से पूरे देश को प्रेरणा मिलेगी.
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