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Saturday, 4 May, 2024
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी महिला आरक्षण बिल को मंजूरी, अब यह कानून बना

20 सितम्बर को, लोकसभा में इसके प्रस्ताव पर पक्ष में वोट करने वाले सदस्य 454 थे, जबकि 2 सदस्यों ने विरोध में वोट किया था और राज्यसभा में यह सर्वसम्मति से पास हो गया था. 

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नई दिल्ली : पिछले हफ्ते संसद में पास हुए महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब यह कानून बन गया है. ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ जो कि महिलाओं को लोकसभा, साथ ही विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करता है, को राज्यसभा ने सर्वसम्मति पास किया था, यह नये संसद भवन में पास होने वाला पहला बिल है.

20 सितम्बर को, लोकसभा में इसके पक्ष में वोट करने वाले सदस्य 454 थे, जबकि 2 सदस्यों ने इसके विरोध में मतदान किया था.

विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए संशोधनों को अस्वीकार कर दिया गया था और मसौदा कानून के अलग-अलग खंडों पर भी मतदान हुआ.

21 सितम्बर को, नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राज्यसभा में ‘सर्वसम्मति से’ पारित किया गया था, जिस दिन हिंदू कैलेंडर मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन होता है.

संसद में इस ऐतिहासिक विधेयक के पारित होने के बाद पीटी उषा, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी समेत संसद के दोनों सदनों की महिला सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुलदस्ता भेंट किया था.

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राज्यसभा ने इससे पहले 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था, लेकिन यह लोकसभा में नहीं पास हो सका था और बाद में यह संसद के निचले सदन में रद्द हो गया था.

पिछले सप्ताह विधेयक के दोनों सदनों में विधायी बाधाओं को पार करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम देश में महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तीकरण के युग की शुरुआत करेगा.

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई. मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पक्ष में वोट किया. इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है. संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं का मजबूत प्रतिनिधित्व और उनके सशक्तीकरण के युग ले जाएंगे. यह महज एक विधान नहीं है; यह उन अनगिनत महिलाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारे देश को बनाया है. भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है. जैसा कि आज सेलिब्रेशन पर, हमें अपने देश की सभी महिलाओं की ताकत, साहस और अदम्य भावना की याद आ रही है. यह ऐतिहासिक कदम ये सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता है कि उनकी आवाज़ और भी अधिक प्रभावी ढंग से सुनी जाए.”

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भी विधेयक के पारित होने के लिए पीएम मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इतिहास में दर्ज किया जाएगा.

जबकि विपक्षी नेताओं ने विधेयक का स्वागत किया, कुछ ने मसौदा कानून में ओबीसी उप-कोटा को शामिल न करने पर चिंता व्यक्त की.

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के कविता, जो कानून बनाने वाली संस्थाओं में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले कानून के प्रमुख समर्थकों में से एक हैं, ने संसद में कोटा विधेयक के पारित होने को देश की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की मजबूत और अधिक महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम बताया.

हालांकि, उन्होंने कहा, “कुछ ऐसी चूक हुई है, जो किसी का भी ध्यान खींचती है. ओबीसी महिलाओं के लिए उप-कोटा का प्रावधान न करना दुखद है. उन्हें विधेयक में एक उप-कोटा जोड़ना चाहिए था, क्योंकि इससे देश की विधायी प्रक्रिया में पिछड़े वर्ग की महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता.”


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