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Saturday, 2 November, 2024
होमदेशप्रवीण प्रकाश—आंध्र के मुख्यमंत्री के फैसलों में अहम भूमिका निभाने वाला 1994 बैच का सबसे भरोसेमंद IAS

प्रवीण प्रकाश—आंध्र के मुख्यमंत्री के फैसलों में अहम भूमिका निभाने वाला 1994 बैच का सबसे भरोसेमंद IAS

सहकर्मी प्रकाश को निर्विवाद रूप से बेहद योग्य बताते हैं, लेकिन उन्हें जितनी ताकत मिली हुई उसे लेकर सवाल उठते रहते हैं. हालांकि, इस अधिकारी को आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं है.

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नई दिल्ली: क्या आप किसी ऐसे आईएएस अधिकारी के बारे में भी कल्पना कर सकते हैं जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में उससे 11 वर्ष पूर्व आए किसी मुख्य सचिव को हटवा सकता हो? 1994 बैच के आईएएस अधिकारी प्रवीण प्रकाश, जो अब जगनमोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत हैं, ने एक साल पहले कुछ ऐसा ही किया था.

आंध्र प्रदेश को 1987 बैच के आईएएस अधिकारी आदित्यनाथ दास के रूप में पिछले हफ्ते नया मुख्य सचिव मिला हैं. लेकिन शक्तियों के मामले में अधिकार क्षेत्र एक साल पहले जैसे स्थिति में ही बना हुआ है.

राज्य के सिविल सेवकों का कहना है कि सीएमओ में आधा दर्जन सलाहकारों में काफी जूनियर होने के बावजूद प्रकाश फैसले लेने में अहम भूमिका निभाते हैं. उनके पास दो पद हैं जिनकी वजह से वह राज्य के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में हावी रहते हैं. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के साथ-साथ वह बेहद अहम माने जाने वाले सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सचिव का पद भी संभालते हैं, जो राज्य में सभी वरिष्ठ नियुक्तियों संबंधी फैसले करता है.

मूलत: उत्तर प्रदेश के रहने वाले प्रकाश नई दिल्ली में आंध्र प्रदेश के रेजीडेंट कमिश्नर, जो पद अब उनकी पत्नी और 1996 बैच की आईएएस अधिकारी भावना सक्सेना संभालती है, के तौर पर दो साल के कार्यकाल के बाद 2019 में राज्य लौटने के बाद से वहां के सबसे ताकतवर सिविल सेवक बने हुए हैं.

सहकर्मी आईआईटी-कानपुर के स्नातक प्रकाश को निर्विवाद रूप से योग्य और ईमानदार व्यक्ति करार देते हैं, लेकिन उन्हें जैसी शक्तियां मिली हुई हैं, उन्हें लेकर सवाल उठते रहते हैं. पिछले साल वह उस समय विवादों में घिर गए थे जब उन्होंने आंध्र के तत्कालीन मुख्य सचिव और 1983 बैच के अधिकारी एल.वी. सुब्रह्मण्यम को हटवा दिया था, जिन्होंने एक कथित प्रक्रियात्मक चूक को लेकर प्रकाश को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

हालांकि, प्रकाश यह आरोप निराधार बताते हैं कि सीएमओ में सारी शक्तियां उनके पास ही निहित हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा मुख्यमंत्री रेड्डी ने सभी सिविल सेवकों के साथ सीधा संपर्क बना रखा है.


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‘तुरंत केमेस्ट्री’ बन गई

2019 में सत्ता मिलने पर पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभालने के कुछ ही महीनों बाद रेड्डी ने प्रकाश को अपने प्रमुख सचिव के रूप में चुन लिया था. प्रकाश ने दिप्रिंट को बताया कि उनके बीच ‘तुरंत ही एक केमेस्ट्री’ बन गई थी.

प्रकाश ने कहा, ‘मुझे उस समय तक मुख्यमंत्री के बारे में कुछ पता नहीं था, जब उन्होंने मुझे प्रमुख सचिव के पद के लिए चुना था. यह सब तत्काल बनी केमेस्ट्री का कमाल था.’

उन्होंने बताया, ‘मैं उनके मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद दिल्ली में उनसे मिला था, और तब मैं कमिश्नर ही था.’

उन्होंने कहा, ‘सिर्फ एक-दो बार की बातचीत के बाद मैं उन्हें आंध्र भवन से हवाई अड्डे के लिए ड्रॉप करने जा रहा था. तब मुख्यमंत्री ने मुझसे कहा—मुझे आईएएस अधिकारियों के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है लेकिन जहां तक मेरा अनुभव है जैसा आप चाहते हैं उसका केवल 30 प्रतिशत ही (अधिकारियों द्वारा) काम किया जाता है. ऐसा क्यों होता है?’

उसी समय कार में पीछे बैठे प्रकाश ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘सर, सिर्फ बताने से काम नहीं चलता जब तक कि आप दो काम नहीं करते. एक, लक्ष्य का पूरी तरह निर्धारण और दूसरा पूरी दृढ़ता से निगरानी. प्रशासन में मेरा अनुभव तो यही बताता है.’

प्रकाश ने वह दिन याद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने तत्काल पीछे मुड़कर देखा और उनसे पूछा कि क्या सीएमओ में वह उनके प्रमुख सचिव के तौर पर काम करना चाहेंगे. प्रकाश इसे किसी आईएएस अधिकारी के लिए एक जिला मजिस्ट्रेट के बाद सबसे अधिक अपेक्षित पद बताते हैं.


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रेड्डी के सबसे भरोसेमंद अफसर

आंध्र प्रदेश लौटने के बाद से रेड्डी के सबसे भरोसेमंद अधिकारी के तौर पर प्रकाश का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. यद्यपि रेड्डी के सीएमओ में सलाहकारों की भरमार है लेकिन राज्य के अधिकारियों का कहना है कि प्रकाश की तुलना में अन्य के अधिकार काफी सीमित हैं.

जुलाई 2020 में मुख्यमंत्री ने सीएमओ में दो सबसे वरिष्ठ सलाहकारों से उनके विभाग छीन लिए, और उन्हें भी प्रकाश को सौंप दिया, जो अब अन्य विषयों के साथ सामान्य प्रशासन, गृह, राजस्व, वित्त और कानूनी मामलों को संभालते हैं. उन्हें केंद्र सरकार से संपर्क रखने, प्रधानमंत्री, अन्य केंद्रीय मंत्रियों या संवैधानिक अधिकारियों के साथ पत्र-व्यवहार करने और दिल्ली दौरे के समय मुख्यमंत्री के साथ रहने समेत तमाम ‘खास’ जिम्मेदारियां भी सौंपी गई हैं.

मुख्यमंत्री रेड्डी के इस हद तक प्रकाश पर निर्भर होने के कारण पर आंध्र के सिविल सेवकों का कहना है कि वह भी तमाम सिविल सेवकों की तरह पुराने आजमाए हुए तरीके ‘यस बॉस’ पर काम करते हैं.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की बिजनेस-जैसी कार्यशैली बहुत अच्छी है. वह चाहते हैं काम पूरा हो और यही प्रकाश की उनसे निकटता की वजह को स्पष्ट करती है. अगर सीएम कुछ करना चाहते हैं, तो प्रकाश एक घंटे से भी कम समय में इसके लिए आदेश जारी कर देंगे. कोई परामर्श नहीं, इसके निहितार्थ पर कोई चर्चा नहीं. मुख्यमंत्री चाहते हैं तो वह (प्रकाश) इसे पूरा कर देंगे.’


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दोहरी शक्तियां

प्रकाश के दबदबे और रेड्डी, जिन्हें अधिकारियों के एक छोटे गुट पर ही भरोसा करने के लिए जाना जाता है, के साथ उनकी निकटता को लेकर अन्य विभागों की कीमत पर सत्ता के केंद्रीकरण के आरोप लगते हैं.

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आई.वाई.आर. कृष्ण राव ने कहा, ‘एक अधिकारी के लिए सीएमओ में रहना और किसी एक विभाग में नियमित रूप से पद संभालना शायद ही कभी होता है. इसने उन्हें असीम शक्तियां दे दी है क्योंकि यह उन्हें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर अपने स्तर पर निर्णय लेने में सक्षम बनाता है और जीएडी के सचिव के रूप में वह इस पर अमल करा सकते हैं.’

यही वजह है कि दोहरी शक्तियों के इस्तेमाल से हुआ यह फैसला प्रकाश के लिए अब तक सबसे विवादास्पद रहा है. नवंबर 2019 में राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव एल.वी. सुब्रह्मण्यम ने प्रकाश को कथित तौर पर बिना किसी प्रक्रिया के कैबिनेट बैठक में एक विषय रखने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

तीन दिन बाद ही सुब्रह्मण्यम को जीएडी सचिव के रूप में प्रकाश की तरफ से एक आदेश मिला कि मुख्य सचिव के पद से उन्हें हटा दिया गया है.

नाम न छापने की शर्त पर आंध्र प्रदेश के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस आदेश में तकनीकी रूप से कुछ भी गलत नहीं था, क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के नाते उन्हें राज्य के किसी भी अधिकारी के स्थानांतरण का आदेश जारी करने का अधिकार है.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘लेकिन जो कुछ गलत था, वह यह कि एक ऐसे अधिकारी को हटाने का आदेश जारी किया गया था जिन्होंने उनके किसी आचरण को लेकर उसका कारण बताने को कहा था.’

हालांकि, प्रकाश शक्तियों के केंद्रीकरण के आरोपों से इनकार करते हैं. सरकार में दो पदों पर होने के पीछे उन्होंने 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन को वजह बताया. उन्होंने कहा कि उस समय से स्टाफ की कमी को देखते हुए कई अफसरों को एक साथ कई पद संभालने पड़ रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने हर अधिकारी के साथ सीधे समीकरण बना रखे हैं, उन्होंने कहा, ‘प्रमुख सचिव के तौर पर मैं उन फैसलों पर केक पर आइसिंग की तरह ही कुछ कर सकता हूं जिस पर सारा काम संबंधित विभागों के सचिव करते हैं, और मुख्यमंत्री उनकी सलाह पर भरोसा करते हैं.’

पूर्व मुख्य सचिव के मामले पर प्रकाश ने कहा, ‘कभी-कभी कानून और न्याय के बीच टकराव की स्थिति आ जाती है. एक सिविल सेवक के रूप मैं कानून के बजाये न्याय को ज्यादा तरजीह देता हूं.’


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‘एक बड़ी समस्या’

आंतरिक सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश सरकार में प्रकाश का बढ़ा कद सीएमओ में शक्तियों के केंद्रीकरण की पूर्व धारणाओं को ही आगे बढ़ा रहा है, जो कि जगन रेड्डी के कार्यकाल से पहले भी कायम थीं.

सीएमओ में सत्ता के कथित केंद्रीकरण और पारदर्शिता की कमी को लेकर 2017 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एक केस दायर कर चुके राव का कहना है, ‘प्रकाश बेहद शक्तिशाली है, लेकिन ऐसा इसलिए क्योंकि सीएमओ में असीम शक्तियां निहित हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सीएमओ नौकरशाही की मौजूदा औपचारिक संरचना पर इस तरह हावी नहीं हो सकता कि सीएमओ में बैठा एक अधिकारी राज्य भर के अधिकारियों को फोन करता रहता है और आदेश जारी करता है. आंध्र में यही हो रहा है…सभी आदेश और निर्णय सीएमओ से आते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘प्रशासन के सामान्य ताने-बाने के लिए यह अच्छा नहीं है कि सीएमओ इतना ज्यादा शक्तिशाली हो जाए कि कोई निर्णय लेने में विभागों की भूमिका ही न रह जाए.’

राज्य के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ईएएस सरमा इससे सहमति जताते हैं. उन्होंने कहा, ‘सीएमओ हर सरकारी गतिविधि के केंद्रीकरण का हब बन गया है. सामूहिक जिम्मेदारी की कोई अवधारणा नहीं रह गई है. अब तो डीएम को भी सीधे सीएमओ से ही आदेश जारी होते हैं.’

‘सीखने के लिए बहुत कुछ बाकी’

बहरहाल, राज्य में प्रकाश के कई सहकर्मियों, जिसमें उनके विरोधी भी शामिल हैं, की तरह ही सरमा भी कहते हैं कि रेड्डी के सीएमओ में शक्तियों के केंद्रीकरण के आरोपों के बावजूद इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि वह एक बेहद सक्षम अधिकारी हैं.

उन्होंने कहा, ‘सीएमओ में शक्तियों के केंद्रीकरण का मुद्दा जायज है, लेकिन प्रकाश एक बेहद ईमानदार और सक्षम अधिकारी हैं. उन्होंने अपने पूरे कैरियर में कुछ बहुत ही कड़े फैसले लिए हैं, जिसका उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा है.’

2011 में आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम (एपीएमडीसी) के अध्यक्ष के रूप में प्रकाश ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बिना किसी प्रतिस्पर्धी बोली के कंपनियों को खनन पट्टे दिए जाने का मामला उजागर किया था. हालांकि, उनके पत्र पर राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि प्रकाश को ही एपीएमडीसी से स्थानांतरित कर दिया गया.

पूर्व पेयजल और स्वच्छता सचिव परमेश्वरन अय्यर के साथ दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की कमान संभालना प्रकाश के लिए एक आईएएस अधिकारी के नाते बेहद उत्साहित करने वाला और इस नौकरी में विविधता का अहसास कराने वाला रहा है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली लौटने की मंशा को लेकर आंध्र के सियासी गलियारों में चल रही अफवाहें पर उन्होंने कहा, ‘हर तरह का अनुभव हासिल करना, और आगे बढ़ते रहना किसी भी आईएएस अधिकारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है… अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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