नई दिल्ली: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मंगलवार को सूबे के सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश किसी गुजराती (नरेंद्र मोदी) के मैनेजर नहीं, बल्कि बिहार के करोड़ों लोगों के नेता हैं. किशोर ने अगले एक दशक के लिए बिहार के रोडमैप पर बात की.
अप्रत्यक्ष तौर पर पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘कोई गुजरात का नेता नहीं बताएगा कि नीतीश को क्या करना है. वो बिहार की करोड़ों लोगों का नेतृत्व करते हैं. नीतीश किसी के मैनेजर या पिछलग्गू नहीं हो सकते.’
किशोर ने ये भी कहा कि अगले 10 सालों में बिहार में ऐसा बदलाव आए कि गुजरात के सूरत से आकर लोग यहां काम करें. बिहार की राजधानी पटना में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बिहार चुनाव से पहले अपनी रणनीति साफ़ करते हुए राज्य को टॉप 10 में शामिल करने के लिए जी जान लगा देने की बात कही.
शाह की सिफारिश वाली बात को किशोर ने नकारा
हाल में बिहार के सीएम नीतीश ने मीडिया से ये कहकर हडकंप मचा दिया था कि उन्होंने प्रशांत को अपनी पार्टी में भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह के कहने पर शामिल किया था. हालांकि, किशोर ने इस दावे को निराधार बताया.
सीएए-एनपीआर और एनआरसी जैसे विभाजनकारी मुद्दों पर अपना मत साफ़ करते हुए प्रशांत ने कहा, ‘गांधी और गोडसे साथ-साथ नहीं चल सकते.’ इन्हीं मुद्दों पर मतभेद और सार्वजनिक बयानबाज़ी की वजह से नीतीश ने हाल ही में किशोर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
‘2 सीटों वाले नीतीश 16 सीटों वाले नीतीश से बेहतर’
विवाद की अन्य वजहों का ज़िक्र करते हुए किशोर ने नीतीश की कमज़ोर विचारधारा पर हमला किया और कहा कि दो सीट वाले नीतीश 16 सीट वाले नीतीश से बेहतर. दरअसल जब 2014 के आम चुनाव में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को भाजपा का पीएम पद उम्मीदवार बनाए जाने के बाद जब एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ लिया था.
इसके बाद उन्होंने आम चुनाव अकेले लड़ा और दो सीटों पर सिमट गए. बाद में उन्होंने नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा नेता बताते हुए 2017 में फिर से एनडीए का दामन थाम लिया. 2019 में वो भाजपा नीत एनडीए के साथ चुनाव लड़े और अब पार्टी के पास 16 सासंद हैं. प्रशांत इसे उनकी कमज़ोर विचारधारा के तौर पर देखते हैं.
उन्होंने साल 2005 से एनडीए और नीतीश के शासन पर हमला करते हुए कहा कि ये देखने वाली बात है कि क्या गठबंधन से बिहार का विकास हो रहा है. उन्होंने कहा कि मूल बात ये है कि नीतीश अगर समझौता भी करते हैं तो कोई दिक्कत नहीं. लेकिन अहम बात ये है कि क्या इस समझौते से कुछ हासिल हो रहा है.
उन्होंने कहा, ‘पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए नीतीश ने हाथ जोड़ा फिर भी केंद्र सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.’ इसके बाद उन्होंने कहा कि गठबंधन की कीमत दो ज़्यादा सीटें और सीएम की कुर्सी नहीं हो सकती और सिर्फ जीत के लिए भाजपा के साथ बने रहने की बात सही नहीं.
विकास के बावजूद जस का तस बिहार
कुमार ये मानते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास हुआ है, ख़ूब विकास हुआ लेकिन गति वैसी नहीं रही जिससे अमूलचूल परिवर्तन हुआ है. उन्होंने कहा, ‘विकास के 20 पैमानों पर बिहार 2005 में जहां था आज भी मोटा-मोटी वहीं है.’
इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए साइकिल और स्कूल ड्रेस बांटे लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे पाए. आपको बता दें कि बिहार में स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों की गुणवत्ता हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. परीक्षा प्रणाली और शिक्षा से जुड़ी नीतियां भी लगातार सवालों के घेरे में रही है.
इसी पर ज़ोर देते हुए किशोर ने कहा कि नीती आयोग के इंडेक्स में शिक्षा के मामले में भारत महज़ झारखंड से बेहतर है.
उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 10 साल में बिहार में घर-घर बिजली आ गई लेकिन एक परिवार की बिजली की खपत के मामले में बिहार सबसे पीछे है.
उन्होंने कहा, ‘सड़कें बनी पर लोगों की गाड़ी खरीदने की क्षमता विकसित नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार 2005 में भी 22वें नंबर पर था और आज भी वहीं है. ऐसे ही 20 पैमानों पर बिहार की हालत जस की तस होने की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि वो इस पर नीतीश के साथ खुले मंच पर बात करने को तैयार हैं.
उन्होंने लालू के दौरा का हवाला देते हुए कहा कि पिछली सरकारों में कुछ नहीं हुआ इसलिए जो नीतीश कर रहे हैं उसे सबसे बेहतर नहीं माना जा सकता. किशोर ने कहा कि लोग ये जानना चाहते हैं कि अगले 10 सालों में नीतीश क्या करेंगे और हालात इतने बदलने चाहिए कि गुजरात के सूरत के निकल के लोग बिहार में काम करने आएं.
उन्होंने बताया कि देश के 40 प्रतिशत ज़िलों में बिहार के आइएएस अधिकारी हैं. सबसे ज़्यादा इंजीनियरिंग के छात्र बिहार के हैं. लेकिन दिल्ली में हाल में एक फैक्ट्री में जलकर 40 लोग जलकर मर गए और उनमें से भी ज़्यादातर लोग बिहार-यूपी के थे.
किशोर ने लालू से बेहतर बिहार वाली राजनीति को ख़ारिज किया
उन्होंने सवाल किया कि ये स्थिति कब बदलेगी और कहा कि ये तब बदलेगी जब ग्रामीण स्तर पर लोग नए बिहार के लिए तैयार हों. किशोर ने कहा, ‘लालू के राज से ख़ुद को बेहतर बताने वाली राजनीति नहीं चलेगी. लोग ये देखना चाह रहे हैं कि अगर बॉम्बे पूरी रात खुला रह सकता है तो पटना क्यों नहीं.’
इसके बाद उन्होंने बिहार के लिए अपना जीवन समर्पित करने की बात कही. किशोर ने कहा, ‘मेरा प्लान किसी को जिताना-हराना नहीं है. ये काम मैं लंबे समय से कर रहा हूं. मैं बिहार के ऐसे युवाओं को जोड़ना चाहता हूं जो बिहार को बेहतर बनाने के सपना जीना चाहते हों.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा प्रयास लंबा है. इसके लिए अगले दो दिन में मैं ‘बात बिहार की’ के नाम से एक नया कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूं जिसके तहत बिहार के 8800 पंचायतों के युवाओं को बिहार को स्वर्णिम और टॉप 10 में शामिल करने के प्रयास के लिए जोडूंगा.’
उन्होंने अपना रोडमैप बताते हुए उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की आय जब आठ गुणा बढ़ेगी तो बिहार टॉप 10 में शामिल होगा. इस दौरा उन्होंने 10 लाख़ युवाओं को इस मुहिम से जोड़ने की बात कही. हालांकि, उन्होंने अभी पार्टी बनाने की बात से इंकार कर दिया.
किशोर ने नीतीश की आलोचना के साथ ये भी कहा कि बिहार कैसे बेहतर बने इस प्रयास में अगर नीतीश भी शामिल हों तो उनका भी स्वागत है. प्रशांत किशोर राजनीतिक रणनीतिकार हैं. आईपैक नामक संस्था चलाते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर बिहार के युवाओं से आने की अपील की और कहा कि ट्विटर-फेसबुक गुजरात का एकाधिकार नहीं है. वहां के लोगों को भी ये सब बिहार के लोगों ने ही सिखाया था.
अगले 100 दिन में अपना कार्यक्रम लॉन्च करना और हर जगह जाकर लोगों को बिहार को टॉप 10 में शामिल करने की मुहिम से लोगों को जोड़ना मेरा ध्येय है. इस कैंपेन के अंत में अगर पार्टी बनती है तो कोई दिक्कत नहीं. इसे अगर नीतीश और सुशील मोदी भी लीड़ करना चाहते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है.