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Friday, 22 November, 2024
होमदेशप्रकाश जावड़ेकर- भाजपा के चुनावी प्रबंधक जो पिछले दो वर्षों में हर चुनाव हारे हैं

प्रकाश जावड़ेकर- भाजपा के चुनावी प्रबंधक जो पिछले दो वर्षों में हर चुनाव हारे हैं

कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रकाश जावड़ेकर के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उनके चुनाव जिताने की क्षमता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर के पास एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे कोई भी नहीं रखना चाहेगा- वह हर राज्य के चुनाव में भाजपा के प्रभारी हैं और भाजपा की हार की अध्यक्षता कर रहे हैं. 2018 में कर्नाटक राज्य चुनावों से लेकर दिल्ली के चुनावों तक, जावड़ेकर पिछले दो वर्षों से लगातार चुनाव हारे हैं.

उनके ट्रैक रिकॉर्ड पर किसी का ध्यान नहीं गया. कई बीजेपी नेताओं ने सवाल उठाया कि पार्टी नेतृत्व किसी ऐसे व्यक्ति को चुनाव का प्रभार दे रहा है जिसने कभी खुद चुनाव नहीं जीता है.

जावड़ेकर 1990 से 2002 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य थे और 2008 से राज्यसभा के सदस्य हैं.

कुछ भाजपा के सदस्य जावड़ेकर की विफलताओं के बारे में कहते हैं कि वो अयोग्य चुनाव प्रबंधक हैं, उनमें टिकट वितरण और राज्य के नेताओं के साथ समन्वय की कमी है.

राजस्थान, 2018

दिसंबर 2018 में जब राजस्थान में चुनाव हुए तो वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सत्ता में रही भाजपा ने विधानसभा में 200 में से केवल 73 सीटें हासिल की थी. जावड़ेकर को अक्टूबर 2018 में चुनाव प्रभारी बनाया गया था.

उनके समर्थकों का तर्क है कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राजस्थान के प्रभारी थे, जब भाजपा ने सभी 25 सीटों पर कब्जा कर लिया था. हालांकि, उनके आलोचकों का कहना है कि 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने इतनी ही सीटें हासिल की और इसलिए देशभर में ‘मोदी लहर’ के परिणामस्वरूप जावड़ेकर को श्रेय नहीं दिया जा सकता था.

कर्नाटक, 2018

चुनाव से ठीक 9 महीने पहले अगस्त 2017 में जावड़ेकर को कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था, सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता-विरोधी और राज्य कांग्रेस इकाई में बड़े पैमाने पर झगड़े को देखते हुए चुनाव में भाजपा की निश्चित जीत लग रही थी. हालांकि, भाजपा ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 104 सीटें हासिल की. बहुमत के निशान से छह सीटें कम.

चुनाव के बाद जावड़ेकर गठबंधन बनाने के लिए समय पर कदम उठाने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप जनता दल (सेकुलर) ने कांग्रेस के साथ सरकार बनाई. सरकार के विश्वास मत खोने के बाद जुलाई 2019 में भाजपा की सरकार बनी, आखिरकार भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख, बीएस येदियुरप्पा गठबंधन सरकार को गिराने में कामयाब रहे.

तमिलनाडु, 2016

2016 में जावड़ेकर को तमिलनाडु राज्य चुनाव का प्रभार दिया गया था. भाजपा ने राज्य में कोई भी सीट हासिल नहीं की. हालांकि, तमिलनाडु में भाजपा का शायद ही कोई जनाधार है, राज्य ने परंपरागत पार्टियों को वोट दिया था.

दिल्ली चुनाव

दिल्ली चुनाव के बारे में बात करते हुए राज्य भाजपा के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि वह (जावड़ेकर) जन नेता नहीं हैं. वह नहीं समझते हैं कि चुनाव किस तरह से प्रबंधित किए जाते हैं. वह मोदी या अमित शाह को दिए जाने वाले ईमानदार फीडबैक पर प्रतिक्रिया नहीं पहुंचाते हैं.

बीजेपी के अन्य नेताओं का कहना है कि जावड़ेकर नीतिगत फैसलों पर विचार करने में असमर्थ रहते हैं.

राज्य इकाई के नेता ने कहा, एक समय यह महसूस किया गया कि बीजेपी को घोषणा पत्र में कुछ बेहतर करने की घोषणा करके आप की मुफ्त (योजना) का मुकाबला करना चाहिए था. जब यह बात जावड़ेकर जी को बताई गई, तो उन्होंने साफ मना कर दिया. उन्होंने पार्टी के लोगों के साथ-साथ कार्यकर्ता की नब्ज को भी नहीं समझा.

हालांकि, पार्टी के सदस्यों को जो भ्रमित करता है वो हैं जावड़ेकर की टिप्पणी कि भाजपा के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ‘आतंकवादी’ होने के सबूत हैं.

एक केंद्रीय भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस टिप्पणी के तुरंत बाद, आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने पूरे अभियान को केजरीवाल को आतंकवादी के मुद्दे पर लाकर खड़ा कर दिया, और कहा कि क्या वे सोचते हैं कि उनका बेटा है. जावड़ेकर की इस तरह की टिप्पणी हैरान करने वाली थी.

नेता ने कहा यह विशुद्ध रूप से एक व्यक्तिगत टिप्पणी थी और शीर्ष नेतृत्व से इसका कोई समर्थन नहीं था. राज्य इकाई ने स्पष्ट किया था कि वह अपना बयान वापस ले रही थी लेकिन नुकसान पहले ही हो चुका था.

दिप्रिंट द्वारा इस मामले पर टिप्पणी मांगने का प्रयास किया गया पर जावड़ेकर के कार्यालय ने कोई टिप्पणी नहीं की.

हालांकि, नेता के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि उन्होंने राजस्थान में 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 25 सीटों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ‘कर्नाटक में भी, हम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे और बहुमत से कुछ ही सीटें कम थीं. उन्होंने हमेशा पार्टी के लिए अथक प्रयास किया है और दिल्ली के लिए भी उन्होंने कड़ी मेहनत की.’

जावड़ेकर के कांग्रेस और आप दोनों में दोस्त हैं. उन्हें एक उदारवादी आवाज के रूप में जाना जाता है और उनकी छवि काफी हद तक साफ है.

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, अतीत में कई विवाद हुए हैं, खासकर विश्वविद्यालय परिसरों में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में, उन्होंने (जावड़ेकर) यह सुनिश्चित किया कि उन्होंने कुछ ऐसा नहीं कहा जिससे प्रेस में नकारात्मक खबर बने. इसलिए सभी को उनके आतंकवादी टिप्पणी से अचंभित थे.

पार्टी के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी के खिलाफ क्या चीजें गईं. वह ये कि जावड़ेकर ने स्थानीय नेताओं से सलाह किए बिना टिकट बांटने का फैसला किया, कुछ ऐसा ही उन्होंने राजस्थान में भी किया था.

‘भाजपा के एक अधिकारी ने कहा, वह दिल्ली चुनाव के प्रभारी थे और एक उम्मीद थी कि वह सभी गुटों को एक साथ लाने में सक्षम होंगे. हालांकि, मनोज तिवारी और मीनाक्षी लेखी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उनकी सिफारिशों को अंतिम सूची में कोई स्थान नहीं मिला. यह स्वाभाविक रूप से कैडर के मनोबल को प्रभावित करता है.

उन्होंने कहा, (तजिंदर पाल सिंह) बग्गा और कपिल मिश्रा जैसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था, जो उन कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे थे जो वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहे थे. इस मुद्दे को उनके ध्यान में लाया गया था लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया था. यह आश्चर्यजनक नहीं है कि दोनों बड़े अंतर से हार गए.

पार्टी ने उनकी ट्विटर गतिविधि और उनके पदों पर व्यस्तता को भी नोट किया. जावड़ेकर ने कहा, ‘आप सभी लोगों को, हर समय मूर्ख नहीं बना सकते.

इस पर आप ने पलटवार किया और कहा, हां, यह भाजपा की विशेषता है, इसे व्यापक रूप से साझा किया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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