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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशगर्मी में बढ़ती मांग और कोयले की कमी के बीच पंजाब में गहराने लगा है बिजली संकट

गर्मी में बढ़ती मांग और कोयले की कमी के बीच पंजाब में गहराने लगा है बिजली संकट

पंजाब में कुछ ही समय के भीतर 3 बिजली उत्पादन इकाइयां काम करना बंद कर चुकी है, जबकि एक रखरखाव के अभाव में अस्थायी तौर पर काम नहीं कर रही है. इससे राज्य का बिजली उत्पादन 1,200 मेगावाट तक घट गया है.

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चंडीगढ़: पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार अभी तो हर घर को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का अपना वादा पूरा करने की दिशा में कोई ठोस कदम भी नहीं उठा पाई है और अभी से राज्य में बिजली संकट गहराने लगा है.

कोयला भंडार में कमी के बीच, राज्य की तीन बिजली उत्पादन इकाइयां थोड़े ही समय के भीतर काम करना बंद कर चुकी हैं, जबकि एक यूनिट सालाना रख-रखाव के अभाव में बंद पड़ी है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसके साथ ही राज्य का संचयी बिजली उत्पादन कम से कम 1,200 मेगावाट घट गया है, वहीं, गर्मियों के कारण मांग भी बढ़ी है.

अधिकारी ने आगे कहा कि अन्य बिजली संयंत्रों में भी कई यूनिट क्षमता से कम काम कर रही हैं.

पंजाब में पांच थर्मल पावर प्लांट हैं. लहर मोहब्बत (920 मेगावाट) और रोपड़ (840 मेगावाट) संयंत्रों में से प्रत्येक में चार बिजली उत्पादन इकाइयां हैं, मनसा स्थित तलवंडी साबो (1,980 मेगावाट) में तीन इकाइयां हैं, और पटियाला के गोइंदवाल साहिब स्थित जीवीके (540 मेगावाट) और राजपुरा (1,400 मेगावाट) में दो-दो इकाइयां हैं.

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी जीवीके की दोनों यूनिट और रोपड़ और तलवंडी साबो की एक-एक यूनिट काम नहीं कर रही हैं.

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पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन (पीएसपीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बलदेव सिंह सरन के मुताबिक, जीवीके प्लांट में कोयले का स्टॉक खत्म हो गया है.

इस बीच, सरन ने बताया कि बुधवार तक लहर मोहब्बत संयंत्र में आठ दिनों का स्टॉक बचा था, वहीं रोपड़ संयंत्र (जहां कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण एक इकाई ठप पड़ी है) में 10 दिनों का स्टॉक बचा था. राजपुरा में 14 दिनों का, और तलवंडी संयंत्र (जहां एक यूनिट वार्षिक रखरखाव के अभाव में अस्थायी तौर पर बंद है) के पास 2 दिन का स्टॉक बचा था.

सरन ने आगे बताया कि सरकार ने जीवीके संयंत्र के साथ अपने बिजली खरीद समझौते को समाप्त कर दिया है—जिसका सीधा मतलब है कि इसे जल्द चालू किए जाने की संभावना नहीं है. लेकिन अन्य दो जल्द ही काम करना शुरू कर देंगे.

सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सभी कोयला खदानें पंजाब से 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर हैं, इसलिए किसी भी समय थर्मल प्लांट में 28 दिनों का स्टॉक होना जरूरी होता है.

यह पूछे जाने पर कि आने वाले दिनों में पंजाब आपूर्ति को स्थिर रखने की व्यवस्था कैसे करेगा, सरन ने कहा, ‘हमारे पास इसका इंतजाम है.’

पंजाब के बिजली सचिव दिलीप कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने बिजली संकट पर सोमवार को दिल्ली में केंद्र सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की. उन्होंने कहा, ‘हम इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.’

एक दूसरे वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि राज्य के कई क्षेत्रों, खासकर ग्रामीण इलाकों में लंबे समय की बिजली कटौती शुरू हो गई है.

हालांकि, सरन ने कहा कि गांवों में बिजली कटौती के लिए पूरी तरह से कमी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. गेहूं के खेतों में दिन के समय आग लगने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किसानों की तरफ से खुद ट्रांसमिशन में कटौती का अनुरोध किया जा रहा है.

आप के एक सूत्र के मुताबिक, मंगलवार को पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच ढाई घंटे चली बैठक में बिजली संकट पर विस्तार से चर्चा हुई थी.

दिप्रिंट ने फोन कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज के जरिये पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह से संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

कोयले की कमी से जूझ रहा राज्य

ऊपर उल्लिखित पहले सरकारी अधिकारी ने कहा कि पंजाब भर में चालू थर्मल प्लांट इकाइयां कोयले की कमी के कारण अपनी क्षमता से बहुत कम उत्पादन कर रही हैं.

अधिकारी ने कहा कि पंजाब में अभी लगभग 7,200 मेगावाट बिजली की दैनिक मांग दर्ज की जा रही है, जो जून में पारा चढ़ने और धान की बुवाई का समय होने के कारण और बढ़ने की संभावना है.

6 अप्रैल को पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की थी और राज्य के थर्मल पावर स्टेशनों के लिए धान के पीक मौसम—जब बिजली की मांग बढ़ जाती है—के लिए अतिरिक्त कोयला रैक की मांग की थी.

उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह से भी मुलाकात की थी और पीक सीजन की मांग के मद्देनजर राज्य को अधिक बिजली के आवंटन की मांग की थी. साथ ही पंजाब के मौजूदा कोयला संकट और बिजली से संबंधित अन्य मुद्दों पर उन्होंने राज्य की चिंताओं से अवगत कराया था.

पिछले साल के अंत से कई राज्यों में बिजली की कमी के बीच कथित तौर पर मांग-आपूर्ति में अंतर के कारण भारत में कोयले की कमी का संकट मंडरा रहा है.

रॉयटर्स ने 12 अप्रैल की अपनी एक रिपोर्ट में अधिकारियों और विश्लेषकों के हवाले से कहा है कि भारत को इस साल और अधिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ‘उपयोगी’ कोयला भंडार पिछले कम से कम नौ वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है और करीब 38 सालों में बिजली की मांग सबसे तेज गति से बढ़ने के आसार हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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