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Monday, 4 November, 2024
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‘धर्म के आधार पर खराब ग्रेड, धर्मांतरण’ — उज्जैन यूनिवर्सिटी के छात्रों का मुस्लिम प्रोफेसर पर आरोप

विक्रम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने केमिस्ट्री के प्रोफेसर अनीस शेख के खिलाफ विश्वविद्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश के उज्जैन में विक्रम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने अपने केमिस्ट्री के प्रोफेसर पर जानबूझकर उनके धर्म के आधार पर उन्हें खराब ग्रेड देने, धर्मांतरण को बढ़ावा देने और छात्राओं के साथ “दुर्व्यवहार” करने का आरोप लगाया है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े कुछ छात्रों ने शुरू में प्रोफेसर अनीस शेख के खिलाफ यूनिवर्सिटी के कुलपति से मौखिक शिकायत की थी. उन्होंने शुक्रवार देर रात लिखित शिकायत भी दर्ज कराई.

दिप्रिंट से बात करते हुए शेख ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है.

यूनिवर्सिटी में फरवरी-मार्च में आयोजित पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाओं के परिणाम इस हफ्ते घोषित किए गए थे.

विक्रम यूनिवर्सिटी के कुलपति अखिलेश पाण्डेय ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ स्टूडेंट्स ने हमें जानबूझकर खराब ग्रेड दिए जाने की मौखिक शिकायत की और कुछ व्हाट्सएप चैट दिखाए, जिसमें आरोप लगाया गया कि विशेष धर्म की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. हमने उनसे लिखित शिकायत देने का अनुरोध किया ताकि हम जांच कर सकें और निष्कर्षों के अनुसार आगे की कार्रवाई कर सकें.”

स्टूडेंट्स का प्रतिनिधित्व करते हुए ABVP के महामंत्री आदर्श चौधरी शुक्रवार को यूनिवर्सिटी पहुंचे और कुलपति से बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि शेख जानबूझकर स्टूडेंट्स को फेल कर रहे हैं और कॉलेज में नमाज जैसी धार्मिक गतिविधि को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

दिप्रिंट से बात करते हुए विश्वविद्यालय के तकनीकी विंग में फार्मेसी में ग्रेजुएशन के थर्ड इयर के स्टूडेंट ओजस गुप्ता ने आरोप लगाया कि प्रोफेसर ने उन्हें जानबूझकर ‘सी’ और ‘डी’ ग्रेड दिए. उन्होंने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को लिखित शिकायत दी थी.

उन्होंने कहा, “अच्छी अटेंडेंस होने और 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में डिस्टिंक्शन स्कोर करने वाले छात्र होने के बावजूद, मुझे अनीस शेख द्वारा पढ़ाए जाने वाले ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में ‘सी’ और ‘डी’ ग्रेड मिले.” उन्होंने कहा कि अन्य स्टूडेंट्स, जिनकी पहचान उन्होंने निखिल मंडलोई, विकास बरोड़े, विकास परमार और अमन चौहान के रूप में की, को भी जानबूझकर खराब ग्रेड दिए गए थे.

विक्रम विश्वविद्यालय में पिछले 13 साल से बतौर गेस्ट फैकल्टी पढ़ा रहे शेख ने दिप्रिंट से कहा, “मैं जानबूझकर ओजस गुप्ता सहित किसी भी स्टूडेंट को खराब ग्रेड नहीं दे सकता, क्योंकि परीक्षक बाहर से आते हैं और वाइवा लेते हैं. जब पेपर चेक करने की बात आती है, तो गेस्ट फैकल्टी होने के नाते, मैं पेपर चेक नहीं कर सकता और वे विश्वविद्यालय के बाहर मूल्यांकन के लिए जाते हैं और इसके अलावा, अगर कोई स्टूडेंट छह महीने तक कक्षा में नहीं आता है, तो आप उन्हें अच्छे ग्रेड कैसे दे सकते हैं?”


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‘व्हाट्सएप ग्रुप पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा दिया गया’

विक्रम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट ओजस गुप्ता ने भी आरोप लगाया है कि “महिला छात्राओं के साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए थे” जहां धर्मांतरण को “बढ़ावा” दिया जा रहा था.

उन्होंने कहा, “अनीस शेख ने महिला छात्राओं के बारे में भद्दी टिप्पणियां कीं, लेकिन उन्होंने आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें डर है कि उनके माता-पिता उन्हें घर वापिस ले जाएंगे.”

गुप्ता ने प्रोफेसर पर “मुस्लिम पुरुष छात्रों को हिंदू लड़कियों से दोस्ती करने और धर्मांतरण को बढ़ावा देने” का भी आरोप लगाया.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “पिछले साल हमारे पास दो विजिटिंग महिला प्रोफेसर थीं जो मुस्लिम थीं और उन्होंने मुस्लिम छात्राओं को लैब में नमाज अदा करने के लिए प्रोत्साहित किया. जब हमने इस पर आपत्ति जताई, तो विभागाध्यक्ष ने हमें आश्वासन दिया कि वो सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा दोबारा न हो. इसके अलावा, व्हाट्सएप ग्रुप महिलाओं द्वारा बनाए गए थे जो हिजाब पहनती थीं और उन्होंने अन्य लड़कियों के बीच भी इसे बढ़ावा दिया.”

एक अन्य स्टूडेंट रामनारायण चौधरी, ने शेख पर ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की एटीकेटी (टर्म एग्जाम को बनाए रखने की अनुमति) परीक्षा में उसे “जानबूझकर” फेल करने का आरोप लगाया.

उन्होंने आरोप लगाया, “मुझे दूसरे, तीसरे और चौथे सेमेस्टर में विभिन्न विषयों में फेल होने के बाद टर्म रखने की अनुमति दी गई. दूसरे सेमेस्टर में, मैं (एटीकेटी) पेपर नहीं दे सका, लेकिन बाकी एटीकेटी पेपर में, मैं फेल हो गया. मेरे टीचर्स मुस्लिम थे और उनमें से दो संस्थान में महिला गेस्ट फैकल्टी थीं.”

फार्मेसी में ग्रेजुएशन कर रहे सेंकड इयर के स्टूडेंट गौरव जाटव ने शुक्रवार को उज्जैन में मीडिया को बताया कि मुस्लिम स्टूडेंट्स को “हाई स्कोर दिए जाते हैं जबकि हिंदू लड़के और लड़कियों को कम ग्रेड दिए जाते हैं”.

उन्होंने कहा, “स्टूडेंट्स को धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें कलावा और तिलक लगाने से रोका जाता है, जबकि बुर्का पहनकर आने वालों को नहीं रोका जाता है. महिला छात्राओं को अलग-अलग नंबरों से परेशान करने वाले फोन कॉल आते हैं.”

शेख के इस बयान पर कि परीक्षा के प्रश्नपत्र मूल्यांकन के लिए भेजे गए थे, गुप्ता ने कहा कि सहायक प्रोफेसर होने के नाते, “शेख का ग्रेड पर अंतिम फैसला होता था”.

उन्होंने आरोप लगाया, “पहले भी, उन्होंने मुझसे ‘तू पास होकर दिखाना’ जैसी टिप्पणियां की हैं.”

‘खाली उत्तर पुस्तिकाओं पर ग्रेड कैसे?’

आरोपों के बारे में बात करते हुए शेख ने कहा कि 2-3 दिन पहले, शिकायतकर्ता स्टूडेंट्स में से एक ओजस गुप्ता अपने ग्रेड में सुधार के लिए उनके पास आया था, उसने कहा कि उसे परीक्षा में 85 प्रतिशत से अधिक स्कोर चाहिए क्योंकि वो ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए अप्लाई करना चाहता है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “लेकिन इस मामले में, मैं कुछ नहीं कर सकता. खराब ग्रेड की शिकायत करने वाले कई अन्य स्टूडेंट्स पूरे साल में अधिकांश प्रैक्टिकल कक्षाओं में नहीं आए और उनमें से कुछ ने तो अपनी परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं खाली छोड़ दी हैं. तो उन्हें स्कोर कैसे दिए जा सकते हैं?”

शेख ने कहा कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने न केवल गुप्ता को ग्रेड बढ़ाकर देने से इनकार किया, बल्कि जब पूर्व छात्र को प्रैक्टिकल परीक्षाओं की निगरानी के लिए बुलाया गया तो भी उन्होंने आपत्ति जताई थी.

शेख ने कहा, “छात्र की पहचान सार्थक जोशी के रूप में हुई है, जो पिछले साल पास हुआ और उसे प्रैक्टिकल परीक्षा की निगरानी के लिए बुलाया गया था. जब वो छात्रों के साथ दुर्व्यवहार कर रहा था, तो मैंने विभागाध्यक्ष से पूछा कि संबंधित शिक्षक प्रैक्टिकल की निगरानी क्यों नहीं कर रहा है. यह घटना कॉलेज के कुछ लोगों को पसंद नहीं आई.”

छात्राओं के साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के आरोपों पर, शेख ने कहा कि ये ग्रुप कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए थे और इसमें सभी छात्राएं शामिल थीं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.

उन्होंने कहा, “मुस्लिम छात्राओं में से एक ने कुछ समय पहले हिजाब बेचने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था और इसमें सभी छात्राओं को उनके धर्म की परवाह किए बिना जोड़ दिया. इस मामले को प्रशासन ने उठाया, उसे डांटा गया और ग्रुप को हटा दिया गया.”

शेख ने दिप्रिंट से कहा, “विक्रम विश्वविद्यालय में 13 साल के कार्यकाल में उनके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं आई. अभी तक न तो कुलपति ने और न ही किसी और ने मुझसे मेरे आचरण के बारे में पूछा है. मीडिया के माध्यम से ही मुझे छात्रों की शिकायतों के बारे में पता चला.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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