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Friday, 26 April, 2024
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आरएसएस की ‘जासूसी’ सियासत की ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’!

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार चला रही जनता दल (यूनाइटेड) के किसी भी नेता ने अब तक, इस मामले में अपना मुंह नहीं खोला है.

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पटना : बिहार की राजनीति में भी घमासान मचा हुआ है. बिहार पुलिस की विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) के एक अधिकारी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), उसके अन्य संगठनों और इनसे जुड़े पदाधिकारियों की जानकारी एकत्रित करने के फरमान को लेकर उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसके कारणों को लेकर अब कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष तुफैल कादरी ने कहा, ‘जो लोग आरएसएस को नहीं समझते हैं, वही ऐसा कर सकते हैं. आरएसएस समाज के सभी लोगों को एक साथ लेकर चलने पर विश्वास करती है. आरएसएस की जांच करवाकर जो लोग मतों का तुष्टिकरण चाह रहे होंगे, वह नहीं होगा.’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार चला रही जनता दल (यूनाइटेड) के किसी भी नेता ने अब तक इस मामले में अपना मुंह नहीं खोला है, मगर भाजपा के नेता इस मुद्दे पर लाख मंथन के बाद भी इसका कारण नहीं ढूंढ पा रहे हैं. कई लोग अब इसे विधानसभा चुनाव के पहले जद (यू) की ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ से जोड़कर देख रहे हैं.

जमीअत-ए-उलेमा के महासचिव हुस्ने अहमद कादरी ने इस जांच को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘प्रेशर पालिटिक्स’ कहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा कर नीतीश कुमार की पार्टी विधानसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीट पर दावेदारी करना चाह रही है. कादरी ने कहा कि नीतीश की राजनीति शुरू से ऐसे ही चलती आ रही है.

गौर करने वाली बात है कि फिलहाल बिहार सरकार में शामिल भाजपा कोटे के अधिकांश मंत्रियों की पृष्ठभूमि आरएसएस की ही रही है. बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी हों या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हों सभी आरएसएस पृष्ठभूमि से ही हैं.

राष्ट्रीय मुस्लिम परिषद के अध्यक्ष मोहम्मद इमरान बुखारी हालांकि इसे ‘प्रेशर पालिटिक्स’ के रूप में नहीं देखते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को किसी विषय को लेकर शंका हुई होगी, जिसे लेकर आरएसएस और उसकी इकाइयों की जांच के आदेश दिए गए होंगे. इसे दूसरे रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

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उल्लेखनीय है कि विशेष शाखा ने आरएसएस और उसके अन्य संगठनों के पदाधिकारियों की जानकारी इकट्ठा करने के निर्देश जारी किए हैं. विशेष शाखा ने यह निर्देश इस साल 28 मई को सभी क्षेत्रीय पुलिस उप-अधीक्षक, विशेष शाखा और सभी जिला विशेष शाखा के पदाधिकारी को जारी किया है.

इस आदेश में इन संगठनों के पदाधिकारियों का नाम और पते की जानकारी इकट्ठा कर एक सप्ताह में मांगा गया है. इस आदेश पत्र में इसे ‘अति आवश्यक’ बताया गया है. हालांकि बाद में, अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ज़े एस़ गंगवार ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों की जानकारियां जुटाई जा रही थी.

वैसे सूत्रों का कहना है कि इस आदेश को जारी करने वाले अधिकारी पर गाज गिरनी तय है. भाजपा विधायक संजीव चौरसिया ने कहा कि विशेष शाखा के इस निर्देश पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

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