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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशकोविड-19 के बीच बंगाल में गरमाई कथित राशन घोटाले की राजनीति, टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लग रहे हैं आरोप

कोविड-19 के बीच बंगाल में गरमाई कथित राशन घोटाले की राजनीति, टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लग रहे हैं आरोप

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा कहते हैं, 'तृणमूल कांग्रेस के लोग राशन डीलरों से ज्यादातर सामान ले लेते हैं और फिर उनको अपनी पार्टी के नाम पर बांट रहे हैं. यह गलत है.'

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोरोनावायरस से संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अब कथित राशन घोटाले पर राजनीति गरमाने लगी है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ समेत तमाम विपक्षी दलों ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए गरीबों को मुफ्त मिलने वाले खाद्यान्न में घोटाले का आरोप लगाया है. कहा जा रहा है कि यह खाद्यान्न गरीबों को मिलने की बजाय सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं के इशारे पर पैसे वाले लोगों को मिल रहा है और गरीब इससे वंचित हैं. माकपा ने इसके खिलाफ शनिवार को विरोध प्रदर्शन भी किया था. राज्यपाल ने इस कथित घोटाले के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग है. लेकिन राज्य सरकार ने राज्यपाल को भेजे पत्र में उनके आरोपों को निराधार बताया है.

वैसे, पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए थे जब तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर राशन की दुकानों से खाद्यान्नों पर कब्जा करने और इसे अपने या पार्टी के नाम से लोगों में बांटने के आरोप लगे थे. इसके अलावा कुछ मामलों में सत्तारुढ़ पार्टी के करीबियों को ही राशन मिलने के आरोप भी लगे थे. इससे नाराज ममता ने पार्टी के नेताओं को तो चेताया ही है, उन्होंने खाद्य सचिव का भी तबादला कर दिया है.

लॉकडाउन शुरू होने के बाद ममता बनर्जी सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को छह महीने तक पांच किलो खाद्यान्न (प्रति व्यक्ति तीन किलो चावल और दो किलो गेहूं) मुफ्त देने का एलान किया था. यह वितरण इसी महीने शुरू हुआ है. लेकिन पहले दिन से ही इसमें भारी अनियमितता के आरोप लग रहे हैं. ऐसी खबरें भी सामने आईं कि कई जगह तृणमूल कांग्रेस नेताओं के इशारे पर राशन दिए गए तो कई जगह पार्टी के नेताओं ने इसके स्टॉक पर कब्जा कर लिया और बाद में उसे अपने नाम से बांट कर वाहवाही लूटी.

मिसाल के तौर पर उत्तर 24-परगना जिले के कई इलाकों में लंबी कतार में इंतजार करने के बावजूद कई लोगों को राशन नहीं मिला. जिसको मिला भी उसे आधा-अधूरा सामान ही मिला. उनसे कहा गया कि पर्याप्त स्टॉक नहीं मिला है. जिले के अशोक नगर के रहने वाले सुब्रत दास कहते हैं, ‘मैं कड़ी धूप में दो दिन घंटों लाइन में खड़ा रहा. लेकिन जब मेरी बारी आई तो मुझे पांच किलो की जगह ढाई किलो ही खाद्यान्न मिला. कई लोगों को तो वह भी नहीं मिला. डीलर ने कहा कि स्टॉक कम है.’

ऐसी ही शिकायतें राज्य के दूसरे इलाकों से भी मिलीं हैं. उसके बाद विपक्षी भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया. उसके अलावा माकपा भी इस मुद्दे पर मुखर हुई. दूसरी ओर, राज्यपाल धनखड़ भी इस मुद्दे पर ट्वीट के जरिए सरकार पर लगातार हमले करने लगे.


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इन हमलों से तिलमिलाई ममता बनर्जी ने जब इसकी जांच कराई तो कई आरोप सही निकले. उसके बाद ही उन्होंने पार्टी के नेताओं को राशन वितरण व्यवस्था से दूर रहने की चेतावनी दी और खाद्य सचिव को बदल दिया. लेकिन बावजूद इसके विपक्ष के हमले लगातार तेज हो रहे हैं. राज्यपाल ने कहा है कि मुफ्त राशन गरीबों में बांटने के लिए है, अमीरों की तिजोरियां भरने के लिए नहीं. उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अपहरण का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

राशन लेते लोग | फोटो : प्रभाकर मणि तिवारी

दूसरी ओर, राज्य सरकार ने राज्यपाल और विपक्षी दलों पर इस मुद्दे पर बेवजह राजनीति करने का आरोप लगाया है. खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केंद्र से हर महीने तीन लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न मिलना था. लेकिन अब तक इसका आधा ही मिला है. इससे राशन वितरण में समस्या हो रही है. इसके अलावा चावल मिलों के बंद होने से भी समस्या हो रही है.’

राज्यपाल के आरोप के बाद मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने भी उनको एक पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की ओर से पर्याप्त सप्लाई नहीं की जा रही है.

राज्यपाल धनखड़ कहते हैं कि बंगाल में वितरण प्रणाली की तीन प्रमुख समस्याएं हैं. पहली- जरूरतमंदों तक सामान नहीं पहुंच रहा है. सत्तारुढ़ प्रणाली ने पूरी व्यवस्था का अपहरण कर लिया है और उनके जरिए ही राशन बांटा जा रहा है. इसके अलावा लोगों को कम मात्रा में खराब क्वालिटी का खाद्यान्न मिल रहा है. खाद्य मंत्री मानते हैं कि राशन की दुकानों पर कुछ समस्याएं हैं. 21 हजार दुकानों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए सरकार के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं है. वह कहते हैं कि महज कुछ लोग गड़बड़ कर रहे हैं. सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कर्रवाई कर रही है.

माकपा नेताओं ने राशन की अनियमितताओं के विरोध में शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया था. माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती आरोप लगाते हैं, ‘कई गरीब परिवार को राशन नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी के लोग ही समस्या पैदा कर रहे हैं.’ भाजपा भी शुरू से ही सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ राशन घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाती रही है.

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा कहते हैं, ‘तृणमूल कांग्रेस के लोग राशन डीलरों से ज्यादातर सामान ले लेते हैं और फिर उनको अपनी पार्टी के नाम पर बांट रहे हैं. यह गलत है.’


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लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों का खंडन किया है. पार्टी के प्रवक्ता स्नेहाशीष चक्रवर्ती कहते हैं, ‘राज्यपाल लोगों को गुमराह कर रहे हैं. राशन की दुकानों के जरिए मुफ्त अनाज बांटा जा रहा है. तृणमूल के नेता अपने पैसों से राहत बांट रहे हैं. राज्यपाल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली और पार्टी की ओर से किए जा रहे राहत कार्यों में घालमेल नहीं करना चाहिए.’

दूसरी ओर, ऑल इंडिया फेयर प्राइस शाप डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव विश्वंभर बसु कहते हैं, ‘डिजिटल राशन कार्ड वाले तमाम लोगों को राशन मिल रहा है. यह गड़बड़ी वही लोग कर रहे हैं जो सरकारी राशन के पात्र नहीं हैं.’ बसु मानते हैं कि कई मामलों में स्टॉक की कमी से लोगों को पांच किलो की बजाय आधा खाद्यान्न ही मिला है. वह बताते हैं कि ऐसे लोगों को इस महीने के आखिर तक बाकी राशन भी मिल जाएगा. परिवहन के साधनों और गोदाम की कमी से कई जगह पर्याप्त स्टॉक नहीं पहुंचा है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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