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Thursday, 21 November, 2024
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हरियाणा परिवार की हत्या-आत्महत्या के पीछे कोविड के बाद कर्ज, आर्थिक तंगी, पुलिस ने कहा

खेत में काम करने वाले नरेश ने बुधवार को कथित तौर पर अपनी पत्नी, दो बच्चों और भतीजी की कथित तौर पर हत्या कर आत्महत्या कर ली थी.

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पलवल: हरियाणा पुलिस के अनुसार राज्य के पलवल जिले में एक खेत मजदूर द्वारा आत्महत्या करने से पहले अपनी पत्नी, अपने दो बच्चों और भतीजी की कथित तौर पर हत्या करने की दर्दनाक घटना के पीछे आर्थिक अनिश्चितता, कोविड महामारी के प्रभाव के कारण उपजे वित्तीय संकट और पारिवारिक तनाव जैसे कारण हो सकते हैं.

पुलिस के अनुसार, बुधवार सुबह इस परिवार के पांच सदस्य जिले के औरंगाबाद गांव स्थित अपने घर पर मृत पाए गए थे.

एक राजनीतिक कार्यकर्ता, ने दिप्रिंट को बताया कि मृतकों में नरेश (34), उसकी पत्नी आरती (30 या 31), बेटा संजय (9 या 10), बेटी वर्षा (8) और नरेश के चचेरे भाई भगत की बेटी रविता (10 या 11 वर्ष) शामिल है.

द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार कृषि क्षेत्र में कोई नौकरी नहीं होने के कारण, नरेश झांसी में रह रहा था. वह वहीं अपना ढाबा चला रहा था और पिछले छह महीनों से अपने ससुराल वालों के साथ रह रहा था.

भगत ने बताया कि मंगलवार दोपहर को नरेश कुछ दिनों तक अपने परिवार के साथ रहने के लिए औरंगाबाद लौटा था और बाद में उस दिन शाम को अपने पड़ोसियों के साथ भी समय बिताया था.

इस मामले में बुधवार को दर्ज एक प्राथमिकी, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी उपलब्ध है, के अनुसार नरेश के पिता लखी राम सुबह 5.30 बजे उठे और अपने बेटे को पुकारा, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. .

इसके बाद परिवार के सोने के कमरे में प्रवेश करने के बाद लखी राम ने देखा कि नरेश ने कमरे के पंखे से फांसी लगा ली है. इसके बाद उन्होंने पड़ोसियों को सहायता के लिए पुकारा. उनलोगों ने उसी कमरे में रखी चारपाई पर आरती, रविता, संजय और वर्षा को भी मृत पाया.

हालांकि पहली नजर में इसके एक हत्या-आत्महत्या का मामला होने का संदेह है, लेकिन परिवार के कुछ रिश्तेदार पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी होने तक हत्या के बारे में कोई भी आरोप लगाने से हिचक रहे हैं.

पलवल पुलिस ने इस मामले में नरेश के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि नरेश ने पहले अपने परिवार को नींद की गोलियां खिलाईं और फिर फांसी लगा ली. ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें जहर खिलाया गया है.’

The bedroom of the residence in which Naresh was found hanging from the ceiling fan pictured, while Aarti and the children were found dead on the charpoy | Photo: Suraj Singh Bisht/ThePrint
जिस आवास में नरेश पंखे से लटके मिले थे, उसके शयन कक्ष में आरती और बच्चे चारपाई पर मृत पाए गए थे./ फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

उनका कहना है, ‘वह अपनी आम जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था’

पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों पति-पत्नी के बीच अक्सर घर में झगड़ा होता रहता था. एक पुलिस सूत्र ने यह भी कहा कि नरेश ने अलग-अलग लोगों से काफी सारा पैसा उधार पर लिया था और उसे वापस नहीं कर पा रहा था.

मामले में की जा रही जांच से अवगत एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘शुरुआती जांच में हमने पाया है कि वह बड़े कर्ज में था. इसके अलावा, उसकी कोई स्थायी आय भी नहीं थी. वह दूसरे लोगों की जमीन पर एक खेतिहर मजदुर के रूप में काम करता था और काफी मामूली मजदूरी कमाता था.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले दो वर्षों में, चूंकि कृषि क्षेत्र को नुकसान हुआ है और जमीन मालिकों को ज्यादा फायदा नहीं हो पा रहा था, इसलिए उन्होंने कई दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार देना बंद कर दिया. नरेश, जो वहां से कुछ पैसे कमा रहा था, हर दिन नौकरी की तलाश कर रहा था. इसकी वजह से अक्सर घर में लड़ाई हो जाती थी.’

अधिकारी ने आगे कहा कि पोस्टमॉर्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि नरेश की मौत फांसी लगाने के कारण दम घुटने से हुई, जबकि परिवार के चार अन्य सदस्यों की मौत जहर खाने से हुई.

अधिकारी ने बताया कि ‘उसके परिवार के सदस्यों के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं हैं. हम आगे की जांच के लिए परिवार के विसरा नमूने भेजेंगे. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कौन सी नींद की गोलियां दी गईं थीं.’

नरेश के पिता, लखी राम (भूरे रंग के कपड़ों में), और औरंगाबाद के अन्य बुजुर्ग एक गांव की सभा में/ सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

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‘उसने कुछ दिन पहले ही अपना कर्ज चुका दिया था’

हालांकि, नरेश के चचेरे भाई भगत ने दिप्रिंट को बताया कि भगत को किसी प्रकार की आर्थिक कठिनाई नहीं थी.

उन्होंने कहा, ‘आठ दिन पहले ही उसने (नरेश) अपने ट्रैक्टर पर बकाया 1,55,000 रुपये का कर्ज चुकाया था. हो सकता है कि उसके पड़ोसियों ने उसकी आर्थिक तंगी में किसी प्रकार की सहायता की हो, लेकिन उन्होंने उसका सारा कर्ज तो नहीं चुकाया होगा.’

भगत ने आगे कहा, ‘यह स्थिति पूरी तरह से अप्रत्याशित थी, और मंगलवार को रात 10 या 11 बजे के बाद किसी समय तब हुई होगी जब पड़ोसी और आसपास के सभी लोग सो रहे थे.’

नरेश के चचेरे बड़े भाई मनोहर लाल ने कहा कि पुलिस को बुलाने और प्राथमिकी दर्ज करने से पहले गांव के सरपंच को भी इस घटना के बारे में सूचित कर दिया गया था.

भगत का यह भी कहना है कि नरेश का किसी तरह की बुरी लत, मादक द्रव्यों के सेवन या अवसाद का कोई इतिहास नहीं था, और उन्होंने इस घटना के पुलिस द्वारा पेश किये जा रहे संस्करण के साथ-साथ इस मामले में मीडिया कवरेज के साथ भी अपनी असहमति व्यक्त की.

वे कहते हैं, ‘हम इसे अभी तक हत्या का मामला नहीं कह सकते… अभी निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि आरती और बच्चों के साथ क्या हुआ. नरेश के मामले को तो आत्महत्या कहा जा सकता है लेकिन पोस्टमॉर्टम से ही पता चलेगा कि दूसरों के साथ क्या हुआ था.’

पड़ोसियों द्वारा पांचों शवों को एक साथ देखे जाने के एक दिन से अधिक के समय बीत जाने के बाद भी गुरुवार को औरंगाबाद गांव में मायूसी का माहौल छाया था. यहां रहने वाले लोगों को अब पुलिस के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है.

अनन्या भारद्वाज के इनपुट्स के साथ

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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