नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरुवार को उद्घाटित 271 करोड़ रुपये की लागत वाले नए प्रधानमंत्री संग्रहालय में भारत के 13 पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों के साथ-साथ उनके कार्यकाल के दौरान हुए विवादों पर भी रोशनी डाली गयी है.
इस नए ‘हाई-टेक’ (उच्च तकनीक वाले) संग्रहालय में प्रदर्शित चीजों में 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए ‘गैर-संवैधानिक’ आपातकाल, विवादास्पद बोफोर्स सौदे और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान लगे रिश्वतखोरी के आरोपों के साथ-साथ 1991-92 का हर्षद मेहता शेयर बाजार घोटाला – जो पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार पर लगा एक बदनुमा दाग था – पर ऑडियो-विज़ुअल खंड भी शामिल हैं.
अपने उद्घाटन भाषण में भी पीएम मोदी ने आपातकाल का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा: ‘कुछ एक अपवादों को छोड़कर, भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है… इसलिए हमारा भी यह दायित्व है कि हम अपने प्रयासों से लोकतंत्र को मजबूत करते रहें.’
Do visit the Pradhanmantri Sangrahalaya and know more about all our PMs… pic.twitter.com/A8ok1Y4YFL
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2022
प्रधानमंत्री संग्रहालय, जो दिल्ली में तीन मूर्ति मार्ग पर नेहरू संग्रहालय भवन के अंदर स्थित है, में नए ब्लॉक की शुरुआत में लगी उनकी एक तस्वीर को छोड़कर पीएम मोदी पर कोई खंड नहीं है. यहां लाल बहादुर शास्त्री से शुरू कर के मनमोहन सिंह पर समाप्त होने तक 13 पूर्व प्रधान मंत्रियों से सम्बंधित चीजों को प्रदर्शन के लिए रखा गया है.
नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय के मूल ब्लॉक-I में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर प्रदर्शित वस्तुओं का एक नया सेट स्थापित किया गया है. यहां शामिल की गयी अतिरिक्त चीजों में एक मल्टीमीडिया डिस्प्ले और विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रधानमंत्री नेहरू को दिए गए उपहार शामिल हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, नरसिम्हा राव, चरण सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा, और अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार से जुड़े लोग इस उद्घाटन समारोह में शामिल हुए. हालांकि, गांधी परिवार या फिर मनमोहन सिंह परिवार से कोई भी मौजूद नहीं था.
नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय के उपाध्यक्ष एवं इसकी कार्यकारी परिषद के सदस्य सूर्य प्रकाश ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सभी सदस्यों को निमंत्रण भेजा है.’
इस बीच, संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मनमोहन सिंह ने उन्हें सूचित किया था कि वे अपने खराब स्वास्थ्य के कारण उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल का एक भावविभोर करने वाला अनुभव
प्रधानमंत्री संग्रहालय, जिसे बनाने में दो साल लगे, वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी के साथ-साथ ऑडियो-विजुअल डिस्प्ले और ध्वनियों के माध्यम से एक भावविभोर करने वाले (‘इमर्सिव’) अनुभव का निर्माण करने के लिए बहुत सारी तकनीकों का उपयोग करता है.
उदाहरण के तौर पर, अटल बिहारी वाजपेयी वाले खंड में, ऑपरेशन शक्ति शीर्षक वाला भाग 1998 में किये गए पोखरण परमाणु परीक्षण विस्फोट को पृष्ठभूमि में डाले गए साउंड इफेक्ट्स (ध्वनि के प्रभावों) के साथ प्रदर्शित करता है.
राजीव गांधी वाले खंड में इस बारे में एक मल्टीमीडिया डिस्प्ले है कि कैसे वे भारत में कंप्यूटर तकनीक को लेकर आये और दूरसंचार क्रांति की शुरुआत की. इसके साथ ही, पंजाब समझौते, असम समझौते, मिजो शांति समझौते पर हस्ताक्षर और 1986 में उनकी सरकार द्वारा किए गए ऑपरेशन ब्लैक थंडर की बातें भी इसमें है. उनके खंड में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी पर एक मल्टीमीडिया प्रदर्शनी भी शामिल है.
पी.वी. नरसिम्हा राव का कार्यकाल को आर्थिक उदारीकरण, व्यापार, उद्योग एवं बैंकिंग सुधारों तथा भारत के मिसाइल कार्यक्रम में तेजी से प्रगति से संबंधित प्रदर्शनियों के माध्यम से याद किया गया है.
इसमें हर्षद मेहता द्वारा किए गए 1991-92 के मुंबई स्टॉक एक्सचेंज घोटाले पर एक प्रदर्शनी भी शामिल है. इस प्रदर्शनी के अंत में शामिल एक पंक्ति कहती है, ‘यह विवाद राव सरकार पर एक धब्बा बन गया.’
वाजपेयी से जुड़ा प्रदर्शन उनकी सरकार द्वारा की गई कई महत्वपूर्ण पहलों पर प्रकाश डालता है, जिसमें विनिवेश नीति, 1999 की लाहौर बस यात्रा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका योगदान शामिल है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में वाजपेयी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण का एक वीडियो भी इस खंड में उपलब्ध है.
मनमोहन सिंह के खंड में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए विशिष्ट पहचान योजना (यूआईएडीआई या आधार) की शुरूआत और आंध्र प्रदेश का पुनर्गठन शामिल है.
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ओल्ड इज गोल्ड/ पुराना है सुहाना
प्रदर्शित वस्तुओं में सबसे आकर्षक चीज पूर्व प्रधानमंत्रियों के नाम और उनके द्वारा लिखे गए कई पत्र हैं.
इनमें 1966 में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लिखा गया एक पत्र शामिल है, जिसमें गोहत्या पर कानूनी प्रतिबंध की वकालत की गई थी.
आपातकाल के बीच की अवधि में 11 जून 1976 को इंदिरा गांधी को लिखे एक अन्य पत्र में नारायण ने उनके इलाज हेतु एक डायलिसिस मशीन के लिए उनके राहत कोष से पैसे भेजने के लिए इंदिरा जी को धन्यवाद दिया, लेकिन उन्होंने इस बात का भी उल्लेख कि उनके अनुयायियों ने पहले ही सार्वजनिक रूप से 3 लाख रुपये एकत्र कर लिए थे.
आपातकाल के बाद प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के कुछ समय बाद ही मोरारजी देसाई द्वारा सोशलिस्ट पार्टी के नेता एन.जी. गोरे को 27 अप्रैल 1977 को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि हालांकि उनकी सरकार का ‘परिवार नियोजन’ के कार्यक्रम को छोड़ने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन जिस तरीके से इसे लागू करना होगा, वह ‘जबरदस्ती’ के बजाय ‘समझाने-बुझाने’ वाला होगा.
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