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Sunday, 22 December, 2024
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राजकीय सम्मान के साथ सुषमा स्वराज पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से देश ने दी विदाई

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सहित पार्टी के बड़े नेता मौके पर पहुंचे हुए हैं. विपक्ष के प्रमुख नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे.

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नई दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की दिग्गज महिला नेता सुषमा स्वराज का अंतिम संस्कार लोधी रोडी स्थित शवदाह गृह में कर दिया गया. उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.सुषमा का अंतिम संस्कार उनकी बेटी बंसुरी स्वराज ने किया.

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सहित पार्टी के बड़े नेता मौके पर पहुंचे हुए हैं. विपक्ष के प्रमुख नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, अन्य शामिल रहे. इसके अलावा अलग-अलग महत्वपूर्ण क्षेत्रों लोग भी मौके पर मौजूद हैं. विभिन्न दलों के कई राजनेता और विदेशी गणमान्य व्यक्ति दिवंगत भाजपा नेता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. विदेशी शख्सियतों में भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे भी उपस्थित थे.

इसके अलावा शिवसेना नेता संजय राउत, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, दिग्गज भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब, राजनाथ सिंह, अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री मोदी, वेंकैया नायडू और कई अन्य गणमान्य लोगों ने दिवंगत भाजपा नेता को पुष्पांजलि अर्पित की.

इससे पहले, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और अन्य भाजपा नेताओं ने उनके पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय से दिल्ली के लोधी रोड के श्मशान गृह ले जाते समय कंधा दिया.

राजनयिकों ने सुषमा को सच्ची और महान दोस्त बताया

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों के राजनयिकों द्वारा भी शोक व्यक्त किया जा रहा है. कई राजदूतों ने आज उनके आवास पर जाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने उनके आवास पहुंचे रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने कहा, ‘सुषमा स्वराज को रूस में भारत के अंतरराष्ट्रीय हितों और इसकी वैश्विक शक्ति प्रतिष्ठा के दृढ़ रक्षक और इसके प्रवर्तक के रूप में जाना जाता था.’ उन्होंने कहा, ‘वह रूस की एक ईमानदार और सच्ची दोस्त थी, जिन्होंने हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में अहम योगदान दिया. वह हमेशा हमारे दिल और यादों में बसी रहेंगी. उनकी आत्मा को शांति मिले.’

इजरायल के राजदूत रॉन मलका ने सुषमा स्वराज को इजरायल का एक महान दोस्त बताया. रॉन ने कहा, ‘उन्होंने इजराइल-भारत संबंधों की उल्लेखनीय प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई.’

सुषमा को अमेरिका हमेशा एक मित्र मानेगा : दूतावास

नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘उन्हें देश और विदेश दोनों जगहों पर भारतीय लोगों की एक उत्कृष्ट प्रतिनिधि के रूप में सम्मान मिला.’ बयान में कहा गया, ‘वह अपने हमवतनों के लिए एक दृढ़ समर्थक थीं. विदेश मंत्री के रूप में वह अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार रहीं, खासतौर पर सितंबर 2018 में 2प्लस2 मंत्रिस्तरीय संवाद के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’

बयान में आगे कहा गया, ‘हम हमेशा उन्हें अमेरिका का मित्र मानेंगे. हमारी सहानुभूति स्वराज के परिवार और दोस्तों के साथ-साथ उन सभी भारतीयों से है जो उनके जीवन और कार्यो से सकारात्मक रूप से प्रभावित रहे हैं.’

एम्स में ली अंतिम सांस

मंगलवार रात को अचानक तबियत खराब होने की वजह से उन्हें एम्स ले जाया गया. एम्स के सूत्रों के मुताबिक, 67 वर्षीय सुषमा को मंगलवार रात 9 बजे बेचैनी महसूस हुई, आनन-फानन में उन्हें एम्बुलेंस से लगभग 9:30 बजे अस्पताल पहुंचाया गया. डॉक्टरों की एक टीम ने उन्हें 70 से 80 मिनट तक फिर से जीवित करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे. स्वराज को रात 10:50 बजे मृत घोषित कर दिया गया.

सुषमा का 2016 में किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था, वह मधुमेह की भी मरीज थीं. 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वराज को विदेश मंत्री नियुक्त किया गया था. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 2019 के लोकसभा चुनावों से खुद को बाहर कर लिया था.

2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वराज विदेश मंत्री थे. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था.

बीजेपी के झंडे और तिरंगे में लिपटीं हैं सुषमा 

सुषमा को पार्टी दफ्तर में उनके पार्थिव शरीर को फूलों से लदे मेज पर रखा गया था. कुछ देर में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने उनका शव बीजेपी के झंडे से ढंक दिया. अंतिम सफर पर जाने से पहले तिरंग से भी ढक दिया गया.

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