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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशPM Modi ने आचार्य महाश्रमन की अहिंसा यात्रा को बताया वसुधैव कुटुम्बकम का विस्तार

PM Modi ने आचार्य महाश्रमन की अहिंसा यात्रा को बताया वसुधैव कुटुम्बकम का विस्तार

मोदी ने कहा, 'आचार्य श्री महाश्रमन जी ने 7 वर्षों में 18 हजार किमी की पदयात्रा पूरी की. यह यात्रा दुनिया के 3 देशों की पदयात्रा थी.'

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन धर्म के मुनि आचार्य महाश्रमन की 3 तीन देशों की 18 हजार किमी. की अहिंसा यात्रा सम्पन्नता समारोह कार्यक्रम पर बोलते हुए रविवार को इसे महान भारतीय परंपरा का हिस्सा बताया.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘भारत में हजारों वर्षों से ऋषि, मुनि और आचार्यों की एक महान परंपरा की धरती रही है. काल के थपेड़ों ने कैसी भी मुसीबत पेश की हों लेकिन यह परंपरा वैसी ही चलती रही है. हमारे यहां आचार्य वही बना है जिसने चरैवेति चरैवेति का मंत्र दिया.’

उन्होंने कहा, ‘आचार्य श्री महाश्रमन जी ने 7 वर्षों में 18 हजार किमी की पदयात्रा पूरी की. यह यात्रा दुनिया के 3 देशों की पदयात्रा थी. इसके जरिए आचार्य जी ने वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय विचार को विस्तार दिया. इस पदयात्रा ने देश के 20 राज्यों को एक विचार, प्रेरणा से जोड़ा है.’

आचार्य महाश्रमण जी ने अपनी यात्रा जरिए आचार्य ने वैसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय विचार को विस्तार दिया है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘अहिंसा यात्रा सम्पन्नता समारोह’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘जहां अहिंसा है, वहां एकता, अखंडता और बड़प्पन है. मैं आचार्य महाश्रमण और अन्य सभी को इस यात्रा को पूरा करने के लिए बधाई देता हूं … यह एक नए भारत के लिए एक नई यात्रा है.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अचार्य महाश्रमण जी ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत मंत्र को प्रसारित करने का काम किया है.’

आपने यह 2014 में दिल्ली के लालकिले से शुरू की थी, उस वर्ष देश ने भी नई यात्रा शुरू किया. देश के भी जन सेवा, जन कल्याण यही संकल्प रहा.

मुझे भरोसा है आपने देश के कोने-कोने में इस यात्रा में नई ऊर्जा देखा है. आपने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को संकल्प के रूप में पेश किया है. लाखों लोग इस नशा मुक्ति संकल्प से जोड़ा है.

आज आजादी के अमृत महोत्सव में स्व से उठकर राष्ट्र के लिए कर्तव्यों का आह्वान कर रहा है.

हमारे यहां कर्तव्य ही धर्म रहा है. आज हमारा भारत सामूहिक शक्ति से आगे बढ़ रहा है. आज हमारे संत, आचार्य सब भारत को दिशा दे रहे हैं. आजादी के अमृत काल में देश जिन संकल्पों को लेकर बढ़ रहा है. सभी संकल्पों में आपकी बड़ी भूनमिका है.

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