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Friday, 19 April, 2024
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राष्ट्रपति कोविंद के पैतृक गांव परौंख में बोले पीएम मोदी- मैं चाहता हूं देश में एक मजबूत विपक्ष हो

गांव वासियों को नमस्कार करने के साथ ही अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने जब मुझे कहा था कि मुझे यहां आना है, तभी से मैं आकर गांव वालों से मिलने का इंतजार कर रहा था.

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नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनके पैतृक गांव ‘परौंख’ में कहा, ‘मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है. मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र में समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों.’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गांव की सराहना करते हुए कहा कि ‘परौंख की मिट्टी से राष्ट्रपति को जो संस्कार मिले हैं, उसकी साक्षी दुनिया बन रही है.’

मोदी ने राष्ट्रपति की मौजूदगी में कानपुर देहात जिले के उनके पैतृक गांव परौंख में आयोजित एक समारोह में अपने भावुकता भरे संबोधन में कहा, ‘आज राष्ट्रपति ने गांव में पद के द्वारा बनी सारी मर्यादाओं से बाहर निकलकर मुझे हैरान कर दिया, स्वयं हेलीपैड पर रिसीव (आगवानी) करने आए.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं शर्मिंदगी महसूस कर रहा था कि उनके मार्गदर्शन में हम काम कर रहे हैं, उनके पद की एक गरिमा है, वरिष्ठता है.’

मोदी ने कहा कि मैंने कहा कि ‘राष्ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्याय कर दिया तो उन्होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं लेकिन कभी-कभी संस्कार की अपनी ताकत होती है, आज आप मेरे गांव में आए हैं, मैं यहां पर अतिथि का सत्कार करने आया हूं.’

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उन्होंने कहा, ‘अतिथि देवो भव का उत्तम उदाहरण राष्ट्रपति जी ने प्रस्तुत किया है.’

गांव वासियों को नमस्कार करने के साथ ही अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने जब मुझे कहा था कि मुझे यहां आना है, तभी से मैं आकर गांव वालों से मिलने का इंतजार कर रहा था.

मोदी ने कहा कि आज यहां आकर वाकई मन को बड़ा सुकून मिला, बड़ा अच्छा लगा. इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन देखा है और भारत का गौरव बनते भी देखा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां राष्ट्रपति जी ने गांव की कई यादें साझा की. मुझे पता चला कि पांचवीं के बाद उनका दाखिला पांच छह किलोमीटर दूर करा दिया गया था तो नंगे पांव स्कूल तक दौड़ते हुए जाते थे.

उनके संघर्षों को मिसाल बताते हुए मोदी ने कहा कि यह दौड़ सेहत के लिए नहीं होती, यह दौड़ इसलिए होती कि गर्मी से तपती पगडंडी पर पैर कम जले.

मोदी ने कहा कि ‘सोचिए, ऐसी ही तपती दोपहरी में पांचवीं में पढ़ने वाला कोई बालक नंगे पांव अपने स्कूल के लिए दौड़े जा रहा है, जीवन में ऐसा संघर्ष ऐसी तपस्या इंसान को इंसान बनने में बहुत मदद करती है, यह मेरे लिए जीवन की सुखद स्मृति की तरह है.’

प्रधानमंत्री ने परौंख गांव के दौरे की चर्चा करते हुए कहा कि मैं राष्ट्रपति जी के साथ कई चीजों को देख रहा था तो मैंने परौंख गांव में आदर छवियों को महसूस किया. यहां सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला. यह मंदिर इस गांव, इस क्षेत्र की आध्यात्मिक आभा के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत का प्रतीक है.

उन्होंने कहा कि ‘मैं कह सकता हूं कि ऐसा मंदिर है जहां देव भक्ति भी है, देश भक्ति भी है! देश भक्ति इसलिए कह रहा हूं कि राष्ट्रपति जी के पिता जी की सोच और उनकी कल्पना शक्ति को प्रणाम करता हूं.’

राष्ट्रपति के पिता का स्मरण करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में तीर्थाटन किया, अलग अलग यात्राएं की, ईश्वर का आशीर्वाद लेने, कभी बद्रीनाथ, कभी केदारनाथ, कभी अयोध्या, कभी मथुरा गए. उस समय उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि सबको प्रसाद लाकर बांट सकें.’

उन्होंने कहा कि ‘उनकी कल्पना मजेदार थी वह तीर्थ क्षेत्र से उस मंदिर परिसर से एक दो पत्थर लाते थे और पत्थर पेड़ के नीचे रख देते थे, इसके प्रति एक भाव जग जाता था, गांव वालों ने उसे मंदिर समझ कर पूजा की. इसलिए मैं कहता हूं कि इसमें देवभक्ति भी है, देशभक्ति भी है. इस पवित्र मंदिर का दर्शन कर मैं अपने आपको धन्य पाता हूं.’


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