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Friday, 29 March, 2024
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बोले मोदी- अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी, बांग्ला में भी

पीएम ने कहा, 'अब स्टूडेंट कितना पढ़ें यह यूनिवर्सिटी या बोर्ड नहीं तय करेंगे बल्कि स्टूडेंट्स की भी सहभागिता होगी. मल्टिपल एंट्रेंस और एग्जिट की जो व्यवस्था शुरू हुई है. इसने स्टूडेंट को एक ही क्लास, एक ही कोर्स में जकड़े रहने से मुक्त कर दिया है.'

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के एक साल पूरा होने पर अपनी बात रखी. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में होने वाले बड़े बदलावों और अलग-अलग कार्यक्रमों की जानकारी दी. प्रधानमंत्री ने कहा देश का युवा जिस दिशा में जाना चाहे, खुले आसमान में उड़ना चाहे, नई शिक्षा व्यवस्था उसे वैसे ही अवसर उपलब्ध कराएगी.

पीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को किसी भी दबाव से मुक्त रखा गया है. जो पॉलिसी के ओपनेस लेवल पर है, वही स्टूडेंट को मिल रहे विकल्पों में भी है.

‘अब स्टूडेंट कितना पढ़ें यह यूनिवर्सिटी या बोर्ड नहीं तय करेंगे बल्कि स्टूडेंट्स की भी सहभागिता होगी. मल्टिपल एंट्रेंस और एग्जिट की जो व्यवस्था आज शुरू हुई है. इसने स्टूडेंट को एक ही क्लास, एक ही कोर्स में जकड़े रहने से मुक्त कर दिया है.’

उन्होने बताया कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कालेज 5 भारतीय भाषाएं- हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में इंजीनयरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं. इंजीनियरिंग कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डेवलप किया जा चुका है.

‘इसका सबसे बड़ा लाभ देश के गरीब वर्ग को गांव, कस्बों में रहने वाले मध्यम वर्ग के स्टूडेंट को, दलित, पिछड़े आदिवासी लोगों को होगा. इन्हीं के परिवारों से आने वाले बच्चों को लैंग्वेज डिवाइड का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं परिवारों के होनहार बच्चों को उठाना पड़ता था.’

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पीएम ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वे कहा करते थे कि राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों को रेफलेक्ट करना चाहिए. बापू के इसी दूरदर्शी विचार को पूरा करने के लिए स्थानीय भाषाओं में, मदर लैंग्वेज में शिक्षा का विचार एनएपी में रखा गया है.

मातृभाषा में पढ़ाई से गरीब बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा. उनके सामर्थ्य और प्रतिभा के साथ न्याय होगा.

पीएम मोदी ने कहा प्राथमिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रोत्साहित करने का काम शुरू हो चुका है. जो विद्या प्रवेश प्रोग्राम आज लांच किया गया, उसकी भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के ‘महायज्ञ’ के प्रमुख तत्वों में से एक है.

इसलिए विशेषज्ञों ने इसे बहुत ही आधुनिक बनाया है, फ्यूचर रेडी बनाया है. आज हमारे युवाओं में एक नयापन है, एक नई ऊर्जा है, वह बदलाव के लिए तैयार हैं. वह इंतजार नहीं करना चाहते.

मोदी ने कहा कोरोना काल में हमने देखा कि कैसी हमारे सामने शिक्षा को लेकर इतनी बड़ी चुनौती आई. छात्रों के पढ़ाई के जीवन का ढंग बदल गया. देश के विद्यार्थयों ने तेजी से इस बदलाव को अपनाया. ऑनलाइन एजुकेशन अब सहज चलन बनता जा रही है.

उन्होंने कहा शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए अनेक प्रयास किए हैं. दीक्षा प्लेटफार्म शुरू किया. स्वयं पोर्टल पर पाठ्यक्रम शुरू किए. हमारे स्टूडेंट्स पूरे जोश से इनका हिस्सा बन गए. जानकारी के मुताबिक दीक्षा प्लेटाफार्म पर 23 सौ लाख से ज्यादा हिट (लाइक्स) होना बताता है कि यह कितना उपयोगी प्रयास है. आज भी इसमें हर दिन करीब 5 करोड़ हिट्स हो रहे हैं.

पीएम ने कहा कि 21वींं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है. इसलिए उसे एक्सपोजर चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिजड़ों से मुक्ति चाहिए. आज छोटे- गांव, कस्बों के युवा कैसे-कैसे कमाल कर रहे हैं. इन्हीं दूर-दराज गांवों से आने वाले युवा टोक्यो ओलंपिक में देश का झंडा बुलंद कर रहे हैं.

कोई पुरातन और आधुनिक फ्यूजन से नई विधाओं को जन्म दे रहा है, रोबोटिक क्षेत्र में तमाम कल्पनाओं को हकीकत में बदल रहा है. कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में मानवीय क्षमताओं को नई ऊंचाई दे रहा है. हर क्षेत्र में युवा अपना परचम लहराने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.

पीएम ने कहा इसलिए नई शिक्षा नीति युवाओं को यह विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौंसलों के साथ है. जिस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्रोग्राम को अभी लांच किया गया है वह भी हमारे युवाओं को फ्यूचर ओरिएंटेड बनाएगा.

मोदी ने कहा कि शिक्षा में यह डिजिटल रिवोल्यूशन पूरे देश में एक साथ आए, गांव, शहर सब समान रूप से डिजिटल लर्निंग से जुड़ें, इसका भी खास खयाल रखा गया है.

नेशनल डिजिटल अर्किटेक्चर एजुकेशन यानि एनडियर और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम पूरे देश में डिजिटल और टेक्नालॉजी उपलब्ध कराने में भूमिका निभाएंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब युवा अपनी सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम को चुन सकता है और छोड़ सकता है. अब कोर्स सेलेक्ट करते समय यह डर भी नहीं रहेगा कि अगर हमारा फैसला गलत हो गया तो क्या होगा. ‘सफल’ के जरिए स्टूडेंट वैज्ञानिक आकलन की भी व्यवस्था शुरू हुई है. यह व्यवस्था आने वाले समय में स्टूडेंट को परीक्षा के डर से भी मुक्ति दिलाएगी.

ये डर जब युवा मन से निकलेगा तो नये-नये स्किल लेने का साहस और नये-नये इनोवेशंस का दौर शुरू होगा.

उन्होंने कहा कि आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो नए कार्यक्रम शुरू हुए हैं उनमें भारत का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है.

मोदी ने कहा अब तक यह समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश ही जाना होगा. लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से स्टूडेंट भारत आए हैं. वेस्ट के इंस्टीट्यूशंस भारत आए हैं.

देश के 150 से ज्यादा यूनवर्सिटीज में ऑफिस इंटरनेशनल अफेयर्स स्थापित किए जा चुके हैं. भारत के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च एंड एकेडमिक में और आगे बढ़ें, इसके लिए आज नई गाइडलाइंस जारी की गई है.

आज बन रही संभावनाओं में हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा. हेल्थ हो, डिफेंस हो, इन्फ्रास्ट्रक्चर हो, टेक्नोलॉजी हो देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा.

‘आत्मनिर्भर भारत का रास्ता स्किल और टेक्नोलॉजी से होकर जाता है. जिस पर एनईपी में विशेष ध्यान दिया गया है.’

उन्होंने कहा कि बीते एक साल में 1200 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सौकड़ों नए कोर्सों को मंजूरी दी गई है.

उन्होंने कहा कि प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट जो बड़े शहरों तक ही सीमित है विद्या प्रवेश प्रोग्राम के जरिए वह अब दूर-दराज के गांवोंं तक जाएगा. यह आने वाले समय में यूनिवर्सिल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा. राज्य भी इसे अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में बच्चा गरीब का हो या अमीर का हो उसकी पढ़ाई खेलते या हंसते हुए ही होगी, आसानी से होगी इस दिशा का यह प्रयास है.

जब शुरुआत मुस्कान के साथ होगी तो आगे सफलता का रास्ता भी आसानी से पूरा होगा.

उन्होंने कहा एक और काम हुआ है आज देश में 3 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनको शिक्षा के लिए सांकेतिक भाषा की आवश्यकता पड़ती है. इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक सब्जेक्ट का दर्जा प्रदान किया गया है. इससे दिव्यांगों को बहुत मदद मिलेगी.

पीएम ने शिक्षकों की तारीफ करते हुए कहा कि हमारे शिक्षक इस सक्रिय अभियान का हिस्सा हैं, उनके बिना कुछ नहीं हो सकता. निष्ठा 2.0 इसमें अहम भूमिका निभाएगा. इससे देश के शिक्षकों को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से ट्रेनिंग भी मिलेगी और अपने सुझाव को भी विभाग को दे पाएंगे.

मोदी ने शिक्षकों से अपील की कि इन प्रयासों में शिक्षक बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले आपके प्रयास राष्ट्र को बहुत आगे लेकर जाएंगे. आपके के हाथों में स्वर्णिम अवसर आया है कि देश की भविष्य रेखा अपने हाथों से खींचेंगे.

आने वाले समय में नई शिक्षा नीति के एक चीजें जब हकीकत बनेंगी तो हमारा देश नये युग का साक्षात्कार करेगा.

गौरतलब है कि सरकार 29 जुलाई 2020 को भारत एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई है. मकसद है नई सदी की नई पीढ़ी को मांग के अनुरूप योग्य बनाना. इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों शिक्षा को प्रोत्साहन दिया गया है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एक साल पूरे हो गए हैं.

 

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