नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फॉरम के तीसरे वार्षिक लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने रिकॉर्ड समय में अपनी कोविड-19 संबंधी सुविधाओं का विस्तार किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी से अनेक चीजें प्रभावित हुई होंगी लेकिन 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाएं नहीं.
मोदी ने कहा कि जब 2020 शुरू हुआ था तब क्या किसी को पता था कि ऐसा कुछ होगा. उन्होंने कहा, ‘वैश्विक महामारी ने सभी को प्रभावित किया है. इसने हमारी क्षमता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक व्यवस्था को जांचा है.’
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में नई सोच की जरूरत है जो मानव-केंद्रित होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत उन सबसे पहले देशों में से एक था जिसने मास्क को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी बताया था. सार्वजनिक जागरूकता और सोशल डिस्टेंसिंग में भी हमने सबसे पहले काम किया.
मोदी ने कहा कि कोविड के दौरान सरकार ने गरीबों की रक्षा के लिए काम किया है. सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 800 मिलियन लोगों तक मुफ्त अनाज पहुंचाया है.
Speaking at the @USISPForum #USIndiasummit2020. https://t.co/Lpd8c8AG4X
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2020
भारत में कोरोना की स्थिति पर पीएम मोदी ने कहा कि 130 करोड़ जनसंख्या वाले देश में सीमित संसाधनों के बावजूद यहां पर दुनिया में प्रति 10 लाख आबादी में मरने वाले लोगों की संख्या सबसे कम है. उन्होंने कहा कि रिकवरी रेट में भी बढ़ोतरी हो रही है.
बता दें कि भारत में पिछले एक सप्ताह से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. गुरुवार को देश में 80 हज़ार से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं.
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‘भारत आत्मनिर्भर मिशन पर आगे बढ़ रहा है’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले कुछ महीनों में काफी सुधार किए गए हैं. इन सुधारों से बिजनेस में आसानी होगी और लाल फीताशाही में कमी आएगी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की 130 करोड़ आबादी आत्मनिर्भर भारत के मिशन पर आगे बढ़ रही है. आत्मनिर्भर भारत के जरिए लोकल को ग्लोबल से जोड़ा जाएगा. इससे भारत की क्षमता में विस्तार होगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक क्षेत्रों से लेकर आर्थिक क्षेत्रों में अवसर मौजूद है. हाल ही में कोयला, माइनिंग, रेलवे, रक्षा, स्पेस और एटोमिक एनर्जी क्षेत्र को खोला गया है.
मोदी ने कहा, ‘महामारी ने दुनिया को दिखाया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास पर निर्णय केवल लागत पर आधारित नहीं होनी चाहिए. उसे भरोसे पर आधारित होना चाहिए. भौगोलिक माहौल के साथ ही कंपनियां अब विश्वसनीयता और नीतिगत स्थिरता की तलाश में हैं. भारत में ये सभी गुण हैं.’
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