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Saturday, 2 November, 2024
होमडिफेंसमोदी ने की रक्षा क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े सुधार की घोषणा, जनरल रावत बन सकते हैं प्रथम सीडीएस

मोदी ने की रक्षा क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े सुधार की घोषणा, जनरल रावत बन सकते हैं प्रथम सीडीएस

सीडीएस तीनों सेनाओं से जुड़े मामलों में सरकार के मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाएगा. वह रक्षा खरीद और सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रियाओं को भी देखेगा.

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नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े बदलाव की घोषणा के बाद थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनने की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं. सीडीएस का पद सृजित किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद देश की सेनाओं को एकीकृत करने का रास्ता साफ हो गया है, जिसके बाद रक्षा मामलों पर प्रधानमंत्री को सिर्फ एक अधिकारी से विचार-विमर्श की जरूरत रहेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को अपने संबोधन में गुरुवार को कहा, ’हमारी सेना भारत की गौरव हैं. सेनाओं के बीच समन्वय को और बढ़ाने के लिए मैं एक बड़े फैसले की घोषणा करना चाहता हूं. भारत में अब एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होगा. इससे हमारी सेनाएं और प्रभावी हो सकेंगी.’

वरिष्ठ रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रधानमंत्री की घोषणा दो दशक पहले कारगिल युद्ध के जमाने से ही लंबित एक फैसले को ‘मंजूरी’ दिए जाने के समान है.

विभिन्न सूत्रों ने बताया कि नए शीर्षस्थ पद से संबंधित तौर-तरीकों को तय करने का काम चल रहा है, जबकि व्यापक रूपरेखा को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है. उन्होंने कहा कि ये प्रक्रिया एक से तीन महीने में पूरी हो जाएगी.

सूत्रों के अनुसार जनरल रावत नए पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं, हालांकि अभी तीनों सेना प्रमुखों में सबसे सीनियर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ हैं. दरअसल धनोआ 30 सितंबर को ही रिटायर हो रहे हैं, जबकि थल सेना प्रमुख की सेवानिवृति 31 दिसंबर को है.

एनएससीएस कर रहा था तैयारी

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अगुआई वाला राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) पिछले तीन महीनों से इस विषय पर काम कर रहा था. इस दौरान कई बार प्रधानमंत्री को इस संबंध में प्रगति की जानकारी दी गई थी.

रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट से बातचीत में इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार किया और इस बात की भी पुष्टि नहीं की कि सीडीएस सेना प्रमुखों के स्तर वाला एक चार-सितारा जनरल होगा या उनसे उच्चतर श्रेणी का पांच-सितारा जनरल.

साथ ही, अभी ये भी स्पष्ट नहीं है कि सीडीएस देश के शीर्षतम नौकरशाह कैबिनेट सचिव के बराबर के ओहदे का होगा या उससे ऊपर. हालांकि, सूत्रों का मानना है कि सीडीएस का दर्जा कैबिनेट सचिव के बराबर होगा.

वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन समेत सभी प्रमुख देशों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की व्यवस्था है.

भारतीय सशस्त्र सेनाओं के लिए इसके मायने

सीडीएस भारत सरकार के लिए रक्षा मामलों में मुख्य सलाहकारी भूमिका निभाएगा. वह तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना से जुड़े मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देगा.

वैसे तो इस संबंधी में नियम-प्रावधान अभी या तो तैयार नहीं हैं या सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, पर सूत्रों का कहना है कि रक्षा खरीद का मामला सीडीएस के अधिकार क्षेत्र में आएगा और तीनों सेनाओं को बजटीय आवंटन के मुद्दे को भी वही देखेगा.

एक सूत्र ने कहा, ‘सेनाओं के आधुनिकीकरण का कार्य सीडीएस के माध्यम से ही होगा. प्रधानमंत्री द्वारा सीडीएस से जुड़े नियम-प्रावधानों को मंजूरी मिलने के बाद पूरी स्थिति साफ हो जाएगी.’

सीडीएस का उद्देश्य तीन सेनाओं में परस्पर संबद्धता बढ़ाना और एकीकरण करना है. प्रधानमंत्री मोदी इस बारे में पूर्व में कई बार बोल चुके हैं.

विमानवाहक पोत विक्रमादित्य पर कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए 2015 में मोदी ने सशस्त्र सेनाओं के लिए अपनी योजना की घोषणा की थी. जिसमें सैनिकों की वीरता के अलावा उन्हें चुस्त, गतिशील और प्रौद्योगिकी संचालित बनाने पर भी ज़ोर दिया गया था.

मोदी ने तब कहा था, ‘हमें हमारी सेनाओं के बीच हर स्तर पर संबद्धता को बढ़ावा देना चाहिए. हमारी अलग-अलग पहचान भले ही हो, पर हम एक ही उद्देश्य के लिए और एक ही झंडे तले काम करते हैं. शीर्ष स्तर पर संबद्धता तो लंबे समय से अपेक्षित है.’

सीडीएस का फैसला कब से लंबित था?

सबसे पहले 1999 के कारगिल युद्ध के बाद तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए सीडीएस के पद की स्थापना की सिफारिश की गई थी.

कारगिल युद्ध के संदर्भ में देश के सुरक्षा ढांचे में कमियों की पड़ताल के लिए के. सुब्रमण्यन के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई, जिसने तीनों सेनाओं का चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए जाने की सिफारिश की थी.

समिति ने एक पांच-सितारा सैनिक अधिकारी नियुक्त करने की अनुशंसा की थी, यानि सीडीएस का पद तीनों सेनाओं के प्रमुखों, जो चार-सितारा अधिकारी होते हैं, से ऊपर के स्तर का होना चाहिए.

इसके अलावा 2001 में तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में गठित मंत्रियों के एक समूह ने भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने का अनुमोदन किया था.

वहीं 2012 में, सुरक्षा मामलों पर नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के स्थायी चेयरमैन का पद बनाए जाने की अनुशंसा की थी.

सीओएससी में तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल होते हैं और उनमें से सबसे सीनियर अधिकारी चेयरमैन की भूमिका निभाता है.

हाल के वर्षों में सीडीएस का मुद्दा अनेकों बार उठाया जा चुका है. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 2016 में संवाददाताओं से दो टूक शब्दों में कहा था कि वह सीडीएस का पद बनाए जाने के पक्ष में हैं और इस आशय का एक प्रस्ताव प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा.

संसद में भी फरवरी 2018 में ये सवाल उठाया गया था कि क्या सरकार की सीडीएस का पद बनाने की योजना है.

सरकार ने अपने जवाब में कहा था, ‘मंत्रियों के एक समूह ने 2001 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने की अनुशंसा की थी. राजनीतिक दलों से मशविरा कर इस बारे में फैसला किया जाना था. आगे 2012 में राष्ट्रीय सुरक्षा पर नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी चेयरमैन का पद बनाए जाने की अनुशंसा की थी. सरकार इन दोनों ही सिफारिशों पर साथ-साथ विचार कर रही है.’

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