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Friday, 22 November, 2024
होमखेलतीन विश्व कप अपने नाम कर दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने पेले

तीन विश्व कप अपने नाम कर दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने पेले

पेले की लोकप्रियता का आलम यह था कि 1960 में नाइजीरिया के गृहयुद्ध के दौरान 48 घंटे के लिए युद्धविराम हो गया ताकि वे लागोस में एक मैच देख सकें.

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नई दिल्लीः दिग्गज खिलाड़ी पेले के बारे में कह सकते हैं कि फुटबॉल खेलना अगर कला है तो उनसे बड़ा कलाकार दुनिया में शायद कोई दूसरा नहीं हुआ.

तीन विश्व कप, 784 मान्य गोल और दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने पेले उपलब्धियों की एक महान गाथा छोड़कर विदा हुए.

यूं तो उन्होंने 1200 से अधिक गोल दागे थे लेकिन फीफा ने 784 को ही मान्यता दी.

खेल जगत के पहले वैश्विक सुपरस्टार में से एक पेले की लोकप्रियता भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधी थी. एडसन अरांतेस डो नासिमेंटो यानी पेले का जन्म 1940 में हुआ था और 29 दिसंबर की आधी रात को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

ब्राजील के महान फुटबॉल खिलाड़ी पेले को ‘ट्यूमर’ के इलाज के लिए पिछले महीने यहां के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.

विश्वभर से लोगों ने महान खिलाड़ी को श्रद्धाजंलि दी.

भारत में सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, अभिनेता अनिल कपूर, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव, सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने उन्हें याद किया.

वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेले के साथ सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर साझा की.

उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1977 में जब वह कोलकाता आए तो मानों पूरा शहर थम गया था. वह 2015 और 2018 में भी भारत आए थे.

पेले ने 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील को विश्व कप जीतने में अहम भूमिका निभाई थी.

उन्होंने राष्ट्रीय टीम के लिए 92 मैचों में 77 गोल किए है. वह ब्राजील के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं.

पेले के निधन के कारण मोहन बागान ही नहीं, उसके प्रतिद्वंदी ईस्ट बंगाल और मोहम्मडन स्पोर्टिंग ने भी अपने झंडे को आधा झुकाया.

मोहन बागान क्लब के सचिव देवाशीष दत्ता ने घोषणा की कि उनके क्लब में जल्द ही एक पेले गेट होगा.

दत्ता ने कहा कि हमने पहले ही इसकी घोषणा कर दी है और इस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही इसका काम पूरा होने के बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.


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17 साल की उम्र में खेला विश्व कप

भ्रष्टाचार, सैन्य तख्तापलट, सेंसरशिप और दमनकारी सरकारों को झेल रहे देश में उनका जन्म हुआ. 17 साल के पेले ने 1958 में अपने पहले ही विश्व कप में ब्राजील की छवि बदलकर रख दी.

स्वीडन में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने चार मैचों में छह गोल किए, जिनमें से दो गोल फाइनल के दौरान किए थे. ब्राजील को उन्होंने मेजबान पर 5.2 से जीत दिलाई और कामयाबी के लंबे चलने वाले सिलसिले का सूत्रपात किया.

फीफा द्वारा महानतम खिलाड़ियों में शुमार पेले राजनेताओं के भी पसंदीदा रहे.

विश्व कप 1970 से पहले उन्हें राष्ट्रपति एमिलियो गारास्ताजू मेडिसि के साथ एक मंच पर देखा गया जो ब्राजील की सबसे तानाशाह सरकार के सबसे निर्दयी सदस्यों में से एक थे.

ब्राजील ने वह विश्व कप जीता जो पेले का तीसरा विश्व कप भी था.

उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1960 के दशक में नाइजीरिया के गृहयुद्ध के दौरान 48 घंटे के लिए विरोधी गुटों के बीच युद्धविराम हो गया ताकि वे लागोस में पेले का एक मैच देख सकें.

भारत से हजारों हजार मील दूर ब्राजील के इस महान फुटबॉलर का जादू ऐसा ही था. वह कोस्मोस के एशिया दौरे पर 1977 में मोहन बागान के बुलावे पर कोलकाता भी आए.

डिएगो माराडोना के ‘खुदा के हाथ’ और लियोनेल मेस्सी की विश्व कप जीतने की अधूरी ख्वाहिश पूरी होने से बरसों पहले ब्राजील के इस धुरंधर ने बंगाल को इस खूबसूरत खेल का दीवाना बना रखा था.

उन्होंने ईडन गार्डंस पर करीब आधा घंटा फुटबॉल खेला जिसे देखने के लिए 80 हज़ार दर्शक मौजूद थे.उस मैच के बाद मोहन बागान की मानो किस्मत बदल गई और टीम जीत की राह पर लौट आई.

ईस्ट बंगाल के बढ़ते दबदबे से चिंतित मोहन बागान ने फुटबॉल के इस किंग को गोल नहीं करने दिया और लगभग 2.1 से मैच जीत ही लिया था लेकिन विवादित पेनल्टी के कारण स्कोर 2.2 से बराबर हो गया.


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‘भारत बहुत खास देश है’

पेले के 80वें जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा था ,‘आपने कभी ओलंपिक नहीं खेला लेकिन आप ओलंपिक खिलाड़ी हैं क्योंकि पूरे कैरियर में ओलंपिक के मूल्यों को आपने आत्मसात किया.’

सात साल पहले पेले दुर्गापूजा के दौरान फिर बंगाल आए लेकिन इस बार उनके हाथ में छड़ी थी. बढ़ती उम्र के बावजूद उनकी दीवानगी जस की तस थी और उनके मुरीदों में ‘प्रिंस आफ कोलकाता’ सौरव गांगुली भी शामिल थे .

गांगुली ने नेताजी इंडोर स्टेडियम पर पेले के स्वागत समारोह में कहा था ,‘मैंने तीन विश्व कप खेले हैं और विजेता तथा उपविजेता होने में काफी फर्क होता है. तीन विश्व कप और गोल्डन बूट जीतना बहुत बड़ी बात है.’

पेले ने कहा था ,‘मैने भारत आने का न्योता स्वीकार किया क्योंकि मुझे यहां के लोग बहुत पसंद है.’

उन्होंने जाते हुए यह भी कहा था ,‘अगर मैं किसी तरह से मदद कर सकूं तो फिर आऊंगा.’

पेले अक्टूबर 2015 में दिल्ली आए थे तब उन्होंने कहा था ,‘मेरे लिए दुनिया के सबसे बड़े खेल का आनंद भारत में बच्चों के साथ लेना फख्र की बात है .’

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा था ,‘आपको बेस बनाना होगा. भारत बहुत खास देश है और यहां के प्रशंसक जबर्दस्त हैं. मुझे उम्मीद है कि मेरी यात्रा से भविष्य के चैम्पियन खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी.’

पेले का जन्मदिन दिल्ली में ग्रासरूट्स डेवलपमेंट डे के रूप में मनाया जाता है. फुटबॉल दिल्ली ने पिछले साल यह फैसला लिया था.


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