नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वह विस्तृत हलफनामा दायर करने का इच्छुक नहीं है.
केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा कि उसके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे संबंधित जानकारी को हलफनामे का हिस्सा बनाना राष्ट्रहित में नहीं होगा. मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी.
इस पर, पीठ ने मेहता से कहा कि यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वह नहीं चाहते कि सरकार ऐसी कोई भी जानकारी का खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो. मामले में सुनवाई अभी चल रही है.
ये याचिकाएं, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइल के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी की खबरों से संबंधित है.
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था.
पेगासस जासूसी मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय को उपलब्ध करवाई जाएगी.
उन्होंने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उसके पास छिपाने को कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि वह विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा.
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)