scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमदेश'J&K में शांति तोड़ने से नहीं, जोड़ने से लौटेगी', UT में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर बोले राहुल गांधी

‘J&K में शांति तोड़ने से नहीं, जोड़ने से लौटेगी’, UT में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर बोले राहुल गांधी

राहुल ने ट्वीट कर कहा कि 'जम्मू-कश्मीर को चाहिए रोज़गार, बेहतर व्यापार और प्यार, मगर उन्हें मिला क्या? भाजपा का बुलडोज़र!

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे प्रशासने अभियान के खिलाफ कहा कि वहां शांति यूनिटी के साथ वापस लाई जा सकती है, न कि तोड़ने से आएगी.

राहुल ने ट्वीट कर कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर को चाहिए रोज़गार, बेहतर व्यापार और प्यार, मगर उन्हें मिला क्या? भाजपा का बुलडोज़र! कई दशकों से जिस ज़मीन को वहां के लोगों ने मेहनत से सींचा, उसे उनसे छीना जा रहा है. अमन और कश्मीरियत की रक्षा, जोड़ने से होगी, तोड़ने और लोगों को बांटने से नहीं.’

वायनाड के सांसद की टिप्पणी केंद्र शासित प्रदेश में चल रहे विध्वंस अभियान के बीच आई है, जिसका वहां विपक्ष द्वारा व्यापक रूप से विरोध किया जा रहा है.

केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने ‘बड़े भूस्वामियों’ और ‘प्रभावशाली’ लोगों द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ एक बेदखली अभियान चलाया है और जम्मू संभाग में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लगभग 23,000 हेक्टेयर जमीन को फिर से हासिल किया गया है.

बुधवार को यूटी में अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने प्रदर्शन किया और आरोप लगाया था कि वहां ‘गुंडा राज’ है, जिसके बाद उन्हें यहां पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.

मुफ्ती ने आरोप लगाया था, ‘जम्मू-कश्मीर में ‘गुंडा राज’ है. इसे अफगानिस्तान की तरह नष्ट किया जा रहा है.’ इस बीच, एक कथित वीडियो भी सामने आया जिसमें पीडीपी प्रमुख को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में लिया गया और पुलिस वाहन में ले गई.’

पहले के एक ट्वीट में, पार्टी ने आरोप लगाया कि ‘सरकार लोगों के साथ युद्ध में लगी है.’

इस महीने के शुरू में पीडीपी के एक ट्वीट में कहा गया है, ‘एलजी प्रशासन द्वारा शुरू किया गया यह निर्मम ‘बेघर अभियान’ जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनकी जमीन से बेदखल करने पर फोकस है.’

मुफ्ती ने इस महीने की शुरुआत में ट्वीट किया था, ‘अतिक्रमणकर्ताओं’ से ‘राज्य की भूमि को फिर से हासिल करने’ की आड़ में कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही वे स्वामित्व का प्रमाण स्वीकार करते हैं. यह केवल अमानवीय और अन्यायपूर्ण है.’

इसके साथ ही, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने 6 फरवरी को अपने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर प्रशासन पर निशाना साधा और कहा कि इस अभियान के परिणामस्वरूप केवल और केवल लोग बेघर होंगे.

लोन ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमें अतिक्रमण विरोधी अभियान पर कोई आपत्ति नहीं है अगर यह बड़े भूस्वामियों के खिलाफ है. बड़े ज़मींदार कल अपने वकीलों को लाएंगे और सभी अतिक्रमित भूमि वापस ले लेंगे. हालांकि, यह केवल गरीब हैं जिन्हें लक्षित किया जा रहा है और मरने के लिए छोड़ दिया गया है.’

जेके डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आज़ाद ने बुधवार (8 फरवरी) को चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर यूटी प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे समय में जब केंद्र के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के खिलाफ गुस्सा कम होने लगा था. प्रशासन ने स्वयं इस ड्राइव से इसे नुकसान पहुंचाया है.

आजाद ने दावा किया कि उनकी पार्टी सबसे पहले अतिक्रमण विरोधी अभियान का विरोध करने वाली थी, इससे पहले कि यूटी में अन्य विपक्षी आवाजें शामिल हुईं.

आजाद ने बुधवार को कहा था, ‘ऐसे समय में जब केंद्र के खिलाफ गुस्सा (अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने पर) थोड़ा ठंडा हो गया है और उग्रवाद के साथ-साथ हमले और पथराव पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है, सरकार, इनका लाभ लेने के बजाय सकारात्मक परिणाम, अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू करके खुद को नुकसान पहुंचाया है.’

उन्होंने यह भी कहा कि यूटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बेदखली नोटिस वापस लेना सरकार के हित में था.

आजाद ने कहा, ‘पथराव और आंदोलन फिर से शुरू हो गए हैं. सार्वजनिक व्यवस्था के हित में, प्रशासन के लिए अतिक्रमण विरोधी अभियान को समाप्त करना और (विधानसभा) चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाना महत्वपूर्ण है.’

उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने पहले ही यूटी में 50 से अधिक स्थानों – जिला मुख्यालयों, अनुमंडल मुख्यालयों और तहसील मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया है, जबकि अन्य दलों ने अभी तक इस कदम के विरोध में प्रदर्शन नहीं किया है.

इस महीने की शुरुआत में, डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी के प्रमुख ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर में ‘बेदखली के मुद्दों’ से अवगत कराने के लिए बुलाया था.

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने 6 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था और ध्वस्त की जाने वाली संपत्तियों की सूची को सार्वजनिक डोमेन में डालने की मांग की ताकि लोग अपना दावा पेश कर सकें.

उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन एक तरीका है जिससे बेदखली की जानी चाहिए. हम मांग करते हैं कि गिराई जाने वाली संपत्तियों की सूची सार्वजनिक की जाए ताकि लोग अपना दावा पेश कर सकें.’


यह भी पढ़ें: स्मैक और ‘सॉल्यूशन’ का जमकर सेवन कर रहे हैं दिल्ली के बेघर बच्चे, उनके लिए यह दर्द से मिलने वाली पनाह


 

share & View comments