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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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आईआईएम-रोहतक ने दाख़िलों के लिए घर पर ही कराए 12वीं पास छात्रों के एग्जाम, अभिभावकों का नक़ल कराने का आरोप

इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट (आईपीमैट), जिसके ज़रिए 12वीं पास छात्रों को आईआईएम रोहतक के एमबीए में दाखिला दिया जाता है, सोमवार को कराया गया.

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नई दिल्ली: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम)-रोहतक के पांच साल के इंटीग्रेटेड एमबीए प्रोग्राम के लिए, ऑनलाइन एंट्रेंस परीक्षा में बड़े पैमाने पर हुई चीटिंग के आरोपों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट (आईपीमैट) जिसके ज़रिए 12वीं पास छात्रों को आईआईएम रोहतक के एमबीए कोर्स में दाखिला दिया जाता है, सोमवार को कराया गया.

आईआईएम्स के सबसे प्रतिष्ठित पीजी एमबीए कोर्स के लिए दाख़िले, कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) के ज़रिए किए जाते हैं, जबकि आईपीमैट का आयोजन दो निजी शाखाएं कराती हैं, जो ये प्रोग्राम पेश करती हैं- रोहतक और इंदौर.

आईपीमैट आमतौर पर नामित केंद्रों पर कराया जाता है, और इसका प्रबंधन एक बाहरी एजेंसी करती है लेकिन कोविड-19 से जुड़ी बंदिशों के चलते, इस साल ये इम्तिहान घर से दिया जा सकता था.

ऑनलाइन एंट्रेंस टेस्ट देने वाले छात्रों के माता-पिता और टीचर्स ने शिकायत की है कि इसमें गड़बड़ी हुई है, क्योंकि बहुत से परीक्षार्थियों ने ‘चीटिंग’ की है.

उन्होंने कहा कि आईआईएम-रोहतक ने, प्रॉक्टर्ड तरीके से एग्ज़ाम कराने की बजाय जिसमें चीटिंग नहीं हो पाती, गूगल फॉर्म्स के ज़रिए ओपन-सोर्स, ओपन-बुक फॉरमैट में कराकर, इम्तिहान को एक तमाशा बना दिया.

प्रॉक्टर्ड एग्ज़ाम्स में टेस्ट का समय देखा जाता है जिसमें प्रॉक्टरिंग सॉफ्टवेयर डेस्कटॉप पर नज़र रखता है. एग्ज़ाम देते समय वेबकैम वीडियो और ऑडियो के ज़रिए परीक्षार्थी की निगरानी की जाती है. इम्तिहान करा रही एजेंसी पहले से ही, परीक्षार्थी से अपने डेस्कटॉप या लैपटॉप पर सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने के लिए कह देती है.

पैरेंट्स और टीचर्स ने कहा है कि छात्र इम्तिहान के पूरे समय, जवाबों को लेकर सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ चर्चा कर रहे थे. उन्होंने ये भी आरोप लगाए हैं कि छात्र मदद के लिए, परिवार के सदस्यों से भी संपर्क कर रहे थे. ये इम्तिहान 45 मिनट का था लेकिन पैरेंट्स की शिकायत थी, कि डेडलाइन का पालन नहीं किया गया.

पैरेंट्स और टीचर्स ने अपनी चिंताएं अभी तक केवल फेसबुक और व्हाट्सएप पर साझा की हैं और मामले को अधिकारिक रूप से आईआईएम-रोहतक के सामने नहीं लाए हैं.

दिप्रिंट ने आरोपों पर टिप्पणी करने के लिए, एक ई-मेल आईआईएम-रोहतक के मीडिया डिवीज़न को भेजा है. उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट के अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘आईआईएम से अपेक्षा नहीं’

सुजीत भट्टाचार्य, जिनकी बेटी ने इस साल इम्तिहान दिया, कहा कि वो आईआईएम से निराश हैं.

उन्होंने कहा, ‘आईआईएम जैसे संस्थान से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती जिसकी देश में इतनी प्रतिष्ठा है. उन्होंने एंट्रेंस एग्ज़ाम को पूरी तरह मज़ाक़ बना दिया…प्रॉक्टर्ड एग्ज़ाम कराने की जगह, उन्होंने गूगल फॉर्म्स पर इम्तिहान कराए, जिससे छात्रों के लिए चीट करना बेहद सुविधाजनक हो गया’.

भट्टाचार्य, जो ख़ुद भी एंट्रेंस एग्ज़ाम कोचिंग से जुड़े हैं, ने कहा कि छात्र इम्तिहान देते समय सोशल मीडिया एप्स पर, एक दूसरे के साथ जवाबों पर चर्चा कर रहे थे. उन्होंने बताया, ‘मुझे मैसेज मिल रहे थे कि बहुत से टेलिग्राम ग्रुप्स पर जवाबों की चर्चा की जा रही थी…इसलिए मैंने सुनिश्चित किया कि मेरे कोचिंग सेंटर के टेलिग्राम ग्रुप पर ऐसा न हो लेकिन दूसरे ग्रुप्स पर छात्र चीटिंग कर रहे थे, चीट करने के लिए वो अपने फैमिली मेम्बर्स की सहायता भी ले रहे थे’.

एक और पैरेंट ने भी ऐसी ही चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि उनकी बेटी के दोस्तों ने उन्हें बताया कि उन्होंने फैमिली मेम्बर्स से मदद ली थी.

उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे उसके और सिस्टम के लिए बहुत बुरा लगता है’. उन्होंने ये भी कहा, ‘मुझे समझ में नहीं आता कि संस्थान इस तरह इम्तिहान क्यों कराना चाहता था, जबकि दूसरे सभी संस्थानों ने अपने टेस्ट टाल दिए हैं’.

एक कोचिंग सेंटर की टीचर शुतपा चक्रवर्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आईआईएम शिकायतों पर ध्यान देगा. उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आईआएम जैसे संस्थान के इम्तिहान का स्तर ऐसा है, तो आप दूसरों से क्या उम्मीद कर सकते हैं?’

आईआईएम-रोहतक आईपीमैट 100 सीटों पर दाख़िले के लिए किया गया था जिसके लिए 12,000 से अधिक छात्रों ने आवेदन दिया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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