scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशकबूतरों का पीछा करते हुए LOC पार करने वाला पाकिस्तानी स्कूली छात्र ‘दोषी’ होने के बावजूद लौट सकेगा अपने घर

कबूतरों का पीछा करते हुए LOC पार करने वाला पाकिस्तानी स्कूली छात्र ‘दोषी’ होने के बावजूद लौट सकेगा अपने घर

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में किशोर न्याय बोर्ड ने 14 वर्षीय असमद अली को इस आधार पर रिहा करने का आदेश दिया है कि वह नाबालिग है. वहीं, बरी किए गए 16 वर्षीय खय्याम मकसूद को भी जल्द रिहा किया जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को किशोर न्याय बोर्ड ने पिछले साल नवंबर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के इस तरफ भारतीय इलाके में घूमते मिले पाकिस्तानी स्कूली छात्र असमद अली को रिहा करने का आदेश दिया. इसके साथ ही ‘अपने पालतू कबूतरों’ का पीछा करते-करते एलओसी पार कर लेने वाले पाकिस्तानी किशोर की घर वापसी का रास्ता साफ हो गया है.

असमद अली (14 वर्ष) के अलावा, ये बोर्ड पिछले 5 अगस्त को पाकिस्तान के एक अन्य स्कूली छात्र खय्याम मकसूद (16 वर्ष) की रिहाई का भी आदेश जारी कर चुका है, जो देश में घुसने को लेकर एक साल से अधिक समय से भारतीय हिरासत में है. हालांकि उसकी रिहाई के आदेश की जानकारी भी गुरुवार को ही सामने आई.

हालांकि, मकसूद को बरी किया जा चुका है, जबकि अली को उचित अनुमति के बिना नियंत्रण रेखा पार करके भारत में आने का दोषी करार दिया गया है लेकिन एक किशोर होने के नाते, उसे कानूनन सजा नहीं दी जा सकती. इसी बात को पुंछ स्थित किशोर न्याय बोर्ड ने अपने आदेश का आधार बनाया है. दिप्रिंट ने मकसूद और अली दोनों से संबंधित आदेशों को एक्सेस किया है.

फरवरी में दिप्रिंट ने जानकारी दी थी कि अली के माता-पिता, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के रावलकोट के निवासी हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और बच्चे की रिहाई सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था. तब उन्होंने ये दावा किया था कि उनका बेटा अपने पालतू कबूतरों का पीछा करते हुए गलती से एलओसी पार कर गया था.

असमद को ‘जल्द मिल सकती है घर लौटने की अनुमति’

आदेश के मुताबिक, असमद अली को उचित अनुमति के बिना भारत में प्रवेश का दोषी पाया गया है. आदेश में कहा गया है कि इस किशोर ने दि इग्रेस एंड इंटरनल मूवमेंट (कंट्रोल) ऑर्डिनेंस, 2005 की धारा 2 और 3 के तहत अपराध किया है.

इसमें आगे कहा गया है, ‘बच्चे के खिलाफ आरोप साबित होते हैं. उसे दोषी ठहराया गया है लेकिन एक किशोर होने के नाते उसे कानूनन सजा नहीं दी जा सकती. इसलिए, उसकी रिहाई का आदेश दिया जाता है. बशर्ते, वह मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित हलफनामे की कार्यवाही पूरी करे कि भविष्य में वह अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगा.

अली और मकसूद दोनों केस में गहराई से जुड़े रहे एक मानवाधिकार कार्यकर्ता राहुल कपूर ने दिप्रिंट को बताया, ‘संक्षेप में कहें तो हालांकि उसे दोषी ठहराया गया है लेकिन एक किशोर होने की वजह से उसे जेल की कोई सजा नहीं काटनी पड़ेगी. यह आश्वासन देने के बाद कि वह फिर से ऐसा अपराध नहीं दोहराएगा, उसे जाने दिया जाएगा. वह जल्द ही घर लौट सकता है.’

कपूर ने बताया कि सीमा पार करने के संबंध में कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं मिलने से भी उसकी रिहाई में मदद मिली है.


यह भी पढ़ें: निर्मला सीतारमण की अहमियत- एकमात्र बीजेपी मंत्री जो मीडिया का सामना करती हैं


खय्याम पर लगे आरोप ‘अपुष्ट’

मकसूद की रिहाई का आदेश बताता है कि उसके भारत में प्रवेश करने संबंधी तथ्य और परिस्थितियां साबित नहीं हो पाई हैं.

आदेश में कहा गया है, ‘आरोपी के खिलाफ आरोप इस संदेह से परे साबित नहीं हो पाए हैं कि उसने एलओसी खुद पार की या फिर उसे नो मैन्स लैंड या एलओसी के दूसरी तरफ से गिरफ्तार किया गया.’

नतीजतन, कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मकसूद के खिलाफ आरोप अपुष्ट हैं और इसी आधार पर उसे बरी किया गया है.

कपूर ने बताया कि आदेश के तुरंत बाद उन्होंने राजनयिक चैनल स्थापित करने और इन दोनों की किशोरों की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग और भारतीयके विदेश मंत्रालय से बात की है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि वे जल्द ही घर वापस लौट सकेंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: लिकर-गेट, शराब राज, ऑपरेशन लूटस- टीवी न्यूज का असली मजा तो मौजूदा रेड राज में है


 

share & View comments