नई दिल्ली: एएम नाइक के नाम से मशहूर अनिल मणिभाई नायक को इस साल देश के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
1965 में बतौर जूनियर इंजीनियर लार्सन एंड टर्बो (एलएंडटी) ज्वाइन करने वाले नाइक, आज 1.82 लाख करोड़ का कारोबर करने वाली भारत की इस सबसे बड़ी एमएनसी के अध्यक्ष हैं. एलएंडटी ने केवल निर्माण के क्षेत्र में नहीं, बल्कि रक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया है.
भारत की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी, ‘अरिहंत’, को बनाने में अह्म योगदान निभाने से लेकर भारतीय सेना को ‘के9’ वज्र जैसे तोपों को मुहैया कराना हो, नायक के नेतृत्व में एलएंडटी हमेशा आगे आया है.
साल 2009 में ‘अरिहंत’ लॉंच हुआ था और उसी साल अनिल नारायण को पद्म भूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
आरबीआई के स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने एक ट्वीट करते हुए कहा, ‘अनिल नाइक पद्म विभूषण के असली हकदार हैं. जैसा कि उनकी जीवनी से पता चलता है, वे वास्तव में राष्ट्रवादी हैं. एक प्रोफेशनल मैनेजर के रूप में वे जीनियस हैं. उन्होंने एलएंडटी को अंबानी से बचाया और उसे महज एक इंजीनियरिंग कंपनी से नेशनल सिक्योरिटी एसेट में बदल दिया.’
एस गुरुमूर्ति साल 2000 की शुरुआत में अंबानी और बिड़ला द्वारा एलएंडटी के अधिग्रहण करने संबधित मुद्दे का जिक्र कर रहे थे. जिसका उल्लेख नाइक ने 2017 में प्रकाशित अपनी जीवनी ‘दि नेशनलिस्ट’ में किया है. मिनहाज मर्चेंट की इस किताब में बताया गया है कि बिड़ला और अंबानी द्वारा की जा रही इस टेकओवर की कोशिश से कंपनी को बेहद मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा. ऐसे में नाइक ने सभी कर्मचारियों को कंपनी का मालिक बनाने का निर्णय लिया. महीनों तक चर्चा चली उठापटक में एलएंडटी के कर्मचारियों के ट्रस्ट ने बिड़ला की पूरी हिस्सेदारी खरीद ली.