बेंगलुरु: द लैंसेट ने जिस तरह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन ट्रायल के नतीजे सामने लाकर दुनियाभर में उम्मीद की किरण जगा दी है. दो अन्य दावेदारों ने भी आशाएं बढ़ाई हैं जिन्हें फाइजर इंक-बायोएनटेक एसई और मॉडर्ना द्वारा विकसित किया जा रहा है.
यद्यपि ज्यादा प्रतिभागियों पर इस्तेमाल के साथ ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ट्रायल को ज्यादा मजबूत माना जा रहा है, विश्लेषकों की चिंता इस पर केंद्रित है कि क्या उनका टीका अन्य दावेदारों की बराबरी कर सकता है.
उनका प्राथमिक तर्क यही है कि जब ठीक होने वाले मरीजों की तुलना की गई तो पाया गया कि अन्य वैक्सीन लेने वाले प्रतिभागियों में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (एजेडडी1222) की तुलना में एंटीबॉडी स्तर अधिक था.
इस तरह फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना कतार में आगे आ गई हैं और वे किस तरह एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन से इसकी तुलना करते हैं.
फाइजर-बायोएनटेक की बीएनटी162बी वैक्सीन
अमेरिकी फर्म फाइजर और जर्मन बायोएनटेक एक वैक्सीन पर मिलकर काम कर रही हैं, जिसका अमेरिका और जर्मनी में एक साथ पहले और दूसरे चरण का परीक्षण किया गया है.
जर्मनी में बीएनटी 162 बी 1 वैक्सीन, जिसे बायोएनटेक आरएनए फार्मास्युटिकल्स शंघाई फोसुन फार्मास्युटिकल और फाइजर ने विकसित किया था, का परीक्षण हाल ही में पूरा हुआ है.
इसके नतीजे सोमवार को प्री-प्रिंट (पीयर रिव्यू नहीं) रूप में अपलोड किए गए. एजेडडी1222 की तरह, बीएनटी162बी1 वैक्सीन ने भी 65 प्रतिभागियों में सशक्त और अनुकूल एंटीबॉडी और टी सेल बनाए.
अमेरिका में हुए परीक्षण में भी एंटीबॉडी रिस्पांस पर इसी तरह सकारात्मक नतीजे दिखे हैं. 45 लोगों पर परीक्षण के प्रारंभिक नतीजे इसी माह के शुरू में जारी किए गए थे.
फाइजर और बायोएनटेक को अपने परीक्षण में इस्तेमाल दो टीकों, बीएनटी162बी1 और बीएनटी162बी2 को फास्ट-ट्रैक करने के लिए एफडीए की मंजूरी मिली है जिससे इसे विकसित करने की प्रक्रिया और समीक्षा में तेजी आएगी.
इस सबके बीच ब्रिटेन ने वैक्सीन का जो भी प्रारूप कारगर हो उसकी तीन करोड़ खुराक का ऑर्डर दे दिया है, खरीद प्रक्रिया क्लीनिकल ट्रायल के रिजल्ट पर निर्भर करेगी. इसकी वजह से सोमवार को दोनों कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त उछाल दिखा.
बीएनटी162बी1 वैक्सीन एक एम-आरएनए वैक्सीन है. एम-आरएनए या मैसेंजर आरएनए वे अणु हैं जो कोशिकाओं को बताते हैं कि क्या उत्पादन या निर्माण करना है. यद्यपि पारंपरिक टीके के तौर पर अमूमन वायरस के एक हिस्से या उसके कमजोर रूप को शरीर में पहुंचाया जाता है. लेकिन एम-आरएनए टीके में केवल आरएनए का इस्तेमाल होता है जो शरीर को विशिष्ट प्रकार के एंटीबॉडी बनाने का निर्देश देता है.
यह वैक्सीन एम-आरएनए के एक सिंथेटिक वर्जन का उपयोग करके बनाई गई है. जिसका इस्तेमाल कोरोनवायरस करता है, जब एम-आरएनए को शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है, तो कोशिकाएं इसे एक टेम्प्लेट की तरह पढ़ती हैं और वास्तविक वायरस के समान वायरल प्रोटीन का निर्माण करने लगती हैं. लेकिन ये वायरस नहीं बन सकते क्योंकि इनमें एक वायरल स्ट्रक्चर के अलावा हर जरूरी चीज की कमी होती है. हालांकि, इम्यून सिस्टम इस प्रोटीन का पता लगा लेता है और तुरंत इसे एंटीबॉडी बनाने लगता है.
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मॉडर्ना का एम-आरएनए-1273
मॉडर्ना का एम-आरएनए-1273, जो एक एम-आरएनए टीका ही है. अमेरिका में विकसित किया गया था और 27 जुलाई से इसके तीसरे चरण के परीक्षण की शुरुआत होगी. इसमें शामिल किए जाने के लिए अमेरिका में 30,000 प्रतिभागियों का नामांकन होगा और परीक्षण 27 अक्टूबर तक चलेगा.
यह ट्रायल अमेरिकी सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिसीजेस (एनआईएआईडी) के साथ साझेदारी में किया जाएगा.
वैक्सीन का चरण 2ए ट्रायल (खुराक तय करने में उपयोग) किया जा रहा है, जिसके बाद 600 प्रतिभागियों पर 2बी ट्रायल (प्रभाव निर्धारित करने के लिए) किया जाएगा.
अमेरिका में 45 प्रतिभागियों पर वैक्सीन कैंडिडेट के परीक्षण के चरण-1 का आयोजित किया गया था. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में इस माह के शुरू में प्रकाशित प्रारंभिक नतीजों से पता चला कि सभी प्रतिभागियों को तीन अलग-अलग खुराक दिए जाने के बाद उनमें एंटीबॉडी निर्मित हुई. हालांकि, इसके काफी दुष्प्रभाव भी सामने आए जो खुराक में अंतर के साथ और गंभीर हो गए थे.
माडर्ना के शेयर उस समय 5.5 फीसदी चढ़ गए जब कंपनी ने घोषणा की कि वह वैक्सीन के निर्माण के लिए यूरोपीय फार्मास्युटिकल कंपनी लेबरेटोरियोस फार्मेसीकोस आरओवीआई के साथ हाथ मिलाएगी. विश्लेषकों को टीके के लिए एफडीए की मंजूरी की उम्मीद से शेयरों में एक बार फिर वृद्धि हुई. कंपनी के शेयर, जिसके पास अभी तक कोई अनुमोदित दवा नहीं है, इस वर्ष 385 प्रतिशत तक चढ़ चुके हैं.
हालांकि, जेपी मॉर्गन एनालिस्ट की तरफ से दूसरी बार डाउनग्रेड किए जाने पर इसके शेयरों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई, जिसका दावा था कि ओवरवेट के बजाय न्यूट्रल है. ऑक्सफोर्ड, कैनसिनो (एक चीनी उम्मीदवार), और फाइजर-बायोएनटेक के टीको ने भी सोमवार को इसके शेयरों में और गिरावट में अहम भूमिका निभाई.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कितनी सफल
यद्यपि फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना दोनों के वैक्सीन प्रारूप ने उसी तरह के नतीजे दिए जैसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के पहले चरण में आए थे, लेकिन माडर्ना के प्रारूप ने सुरक्षा रिकॉर्ड स्थापित किया, और 10,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ व्यापक परीक्षण पहले से ही चल रहा है.
ऑक्सफोर्ड फेज -1 अध्ययन 1,077 प्रतिभागियों के बड़े सैंपल साइज के साथ अधिक मजबूती से किया गया था.
इसके अतिरिक्त, ऑक्सफोर्ड का टीका ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ-साथ पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा भी निर्मित किया जाएगा. दोनों ने ही वैक्सीन का उत्पादन शुरू भी कर दिया है.
एस्ट्राजेनेका ने 2 बिलियन खुराक के उत्पादन की योजना बनाई है और यूरोपीय संघ को 40 करोड़ खुराक की आपूर्ति के लिए एक समझौता भी कर चुकी है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है, भी कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए वैक्सीन की एक बिलियन खुराक के उत्पादन के लिए तैयार हो गया है.
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है, जिसमें कोरोनोवायरस के स्पाइक प्रोटीन को सामान्य सर्दी वाले एडेनोवायरस में इंसर्ट किया जाता है.
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन विकसित करने वालों ने संकेत दिया है कि वे ह्यूमन चैलेंज ट्रायल शुरू करेंगे, जिससे वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया बहुत तेजी से बढ़ेगी. भारत में वैक्सीन के लिए परीक्षण अगस्त में शुरू होने की उम्मीद है.
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