नई दिल्ली: सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर), इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ) और ऑक्सफैम के दफ्तरों में इनकम टैक्स सर्वे के दो दिन बाद शुक्रवार को तीनों संगठनों ने अलग-अलग बयान जारी करके कहा कि वे भारतीय कानूनों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं और सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने आयकर अधिकारियों का पूरा सहयोग किया.
बेंगलुरु स्थित आईपीएसएमएफ ने कहा कि उसे ‘किसी भी स्तर पर कोई विदेशी धन नहीं मिला है, और फंड केवल मीडिया संस्थाओं को ही दिया गया.’ वहीं, दिल्ली स्थित थिंक टैंक सीपीआर ने कहा कि उसके पास ‘सभी आवश्यक अनुमोदन और स्वीकृतियां हैं, और सरकार की तरफ से उसे विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत चंदा लेने के लिए अधिकृत किया गया है.’
गैर-लाभकारी संस्था ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि वह ‘पूरी तरह भारतीय कानूनों के तहत काम करता है और अपनी स्थापना के बाद से ही हमेशा समय पर आयकर और एफसीआरए रिटर्न भरने समेत तमाम दस्तावेजी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है.’
व्यापारियों और व्यक्तिगत संपत्तियों सहित देशभर में 100 से अधिक स्थानों पर आईटी सर्वे किया गया था.
हालांकि, आयकर विभाग ने अभी तक सर्वे के संबंध में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है, सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई एफसीआरए के कथित उल्लंघन के संबंध में की गई थी.
आयकर विभाग की तरफ से किया जाने वाला सर्वे एक तरह की जांच प्रक्रिया है जिसे किसी वित्तीय वर्ष में करदाता की वास्तविक आय का पता लगाने के लिए अपनाया जाता है.
आयकर विभाग की तरफ से यह सर्वे दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक आदि राज्यों में किया गया था.
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IPSMF को ‘कोई विदेशी फंड नहीं मिला’
आईपीएसएमएफ ने अपने बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के चेयरमैन टीएन नायनन की ओर से जारी एक बयान में कहा, ‘फाउंडेशन का मानना है कि इसके मामले में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है. आईटी सर्वे पर कुछ मीडिया रिपोर्टिंग ने इसे विदेशी फंडिंग और राजनीतिक दलों की फंडिंग से जोड़ा है. हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि फाउंडेशन को किसी भी स्तर पर कोई विदेशी फंड नहीं मिला है, और इसकी तरफ से केवल मीडिया संस्थाओं को ही फंड दिया गया है.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘फाउंडेशन को स्वतंत्र और जनसरोकारों से जुड़े मीडिया के समर्थन के अपने मिशन में पूरा भरोसा है और वह अपना काम जारी रखने का इरादा रखता है.’
आईपीएसएफएम के बयान के मुताबिक, फाउंडेशन के कर्मचारियों ने पूरा सहयोग (आयकर कर्मियों के साथ) किया और ‘विभिन्न मामलों पर पूछे गए तमाम सवालों का जवाब दिया.’
फाउंडेशन ने आगे कहा कि आयकर अधिकारियों की एक टीम ने बुधवार को उसके बेंगलुरु स्थित कार्यालय का दौरा किया और सुबह 4.30 बजे तक ‘फाउंडेशन के कागजात और रिकॉर्ड को खंगाला और उनसे सवाल-जवाब किए.’ इसमें बताया गया है कि अधिकारियों ने तीन सीनियर स्टाफ मेंबर के बयान लिए और सभी लैपटॉप और मोबाइल फोन डेटा क्लोनिंग के लिए ले गए और फिर गुरुवार को उन्हें लौटा दिया गया.
बयान में कहा गया है कि सीईओ सुनील राजशेखर को छोड़कर सभी कर्मचारियों को 7 सितंबर की शाम से रात तक विभिन्न चरणों में घर जाने की अनुमति दी गई, और अगली सुबह आगे की पूछताछ के लिए लौटने को कहा गया.
आईपीएसएमएफ के बयान के मुताबिक, ‘सीईओ 7-8 सितंबर की मध्यरात्रि को कुछ घंटों के लिए कार्यालय में ही सो गए. न्यासी बोर्ड इतनी लंबी जांच-पड़ताल के दौरान भी कर्मचारियों के धैर्य बनाए रखने के लिए उन्हें बधाई देता है. आईटी अधिकारी भी अपने सर्वे के दौरान विनम्र थे.’
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‘CPR को सभी आवश्यक अप्रूवल हासिल हैं’
सीपीआर अध्यक्ष और सीईओ यामिनी अय्यर की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने संगठन को एफसीआरए के तहत चंदा हासिल करने के लिए अधिकृत किया है.
बयान में कहा गया है, ‘1973 में स्थापित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च एक गैर-लाभकारी, गैर-पक्षपातपूर्ण स्वतंत्र संस्थान है, जो रिसर्च वर्क के लिए समर्पित है और हाई क्वालिटी स्कॉलरशिप, बेहतर नीतियों और एक अधिक मजबूत सार्वजनिक विमर्श में अपना अहम योगदान देता है. भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के 24 रिसर्च इंस्टीट्यूट में से एक के तौर पर सीपीआर को सभी आवश्यक अप्रूवल और स्वीकृतियां हासिल हैं जो उसे सरकार की तरफ से विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम के तहत चंदा हासिल करने को अधिकृत करती हैं.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘आयकर विभाग ने 7 और 8 सितंबर 2022 को सीपीआर के सर्वे के लिए हमारे दफ्तर का दौरा किया. हमने सर्व के दौरान विभाग को पूरा सहयोग दिया, और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे.’
सीपीआर की तरफ से साथ ही स्पष्ट किया गया कि संस्था ने ‘कुछ भी गलत नहीं’ किया है.
सीपीआर का कहना है, ‘नियम-कायदों के पालन के मामले में हम उच्चतम मानक अपनाते हैं और हमें विश्वास है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है. हम अधिकारियों को उनके किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम भारत में नीति निर्माण के लिए बेहतरीन रिसर्च के अपने मिशन के लिए भी वचनबद्ध हैं.’
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ऑक्सफैम ने कहा—‘बिना कारण बताए’ किया गया सर्वे
ऑक्सफैम ने अपने बयान में आरोप लगाया कि आयकर सर्वे ‘बिना कारण बताए’ किया गया. इसने साथ ही कहा कि ऑक्सफैम इंडिया भारतीय कानूनों का पालन करता है और ‘अपनी स्थापना के बाद से ही हमेशा समय पर आयकर और एफसीआरए रिटर्न भरने समेत तमाम दस्तावेजी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है.’
बयान में कहा गया है कि ऑक्सफैम इंडिया ने सर्वे के दौरान विभाग के साथ पूरा सहयोग किया और भविष्य में भी ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इसने आगे कहा कि जनवरी 2022 में एफसीआरए डिवीजन द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षकों की तरफ से करीब हफ्ते भर तक एफसीआरए खातों का विस्तृत ऑडिट किया गया था.
ऑक्सफैम ने कहा, ‘बढ़ती असमानता और गरीबी उन्मूलन पर कार्रवाई की सख्त जरूरत के बीच ऑक्सफैम इंडिया जनहित में काम करना जारी रखे है और आगे भी करता रहेगा.’
बयान में कहा गया है, ‘हम गरीबी दूर करने, किसी के भी पीछे न रह जाने और भेदभाव मिटाने और एक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए स्थायी समाधान तलाशने के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहे हैं. ऑक्सफैम इंडिया का मानना है कि एक संगठन के तौर पर यह हमारा संवैधानिक दायित्व है, चाहे रास्ते में कोई भी बाधा क्यों न आए.’
बयान में आगे कहा गया है कि पिछले आठ महीने ‘ऑक्सफैम इंडिया के लिए संकटपूर्ण’ रहे हैं.
बयान के मुताबिक, ‘दिसंबर 2021 में गृह मंत्रालय की तरफ से एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू करने से इनकार कर दिया गया था. इसके बावजूद, ऑक्सफैम इंडिया भारत के 16 राज्यों में कोविड संकट के समय अपना सबसे बड़ा सामाजिक दायित्व निभाने में व्यस्त रहा. ऑक्सफैम इंडिया ने 16 राज्यों के 150 जिला अस्पतालों, 172 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 166 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जांच और इलाज से जुड़े जीवन रक्षक उपकरण उपलब्ध कराए. देशभर में 10 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जो चालू हो गए हैं.’
एनजीओ का कहना है कि टैक्स सर्वे और गृह मंत्रालय के ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने से मना कर देने के बावजूद ‘देश में कमजोर तबकों की सेवा करने और भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता प्रभावित नहीं होगी.’
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