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Sunday, 22 December, 2024
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660 से अधिक मौतें, 4.1 प्रतिशत की मृत्यु दर- आखिर क्यों पंजाब के लुधियाना में सबसे खराब कोविड आंकड़े हैं

पंजाब के 22 जिलों में सबसे अधिक आबादी वाले लुधियाना जिले में केवल दो सरकारी अस्पताल हैं. औद्योगिक हब में सबसे अधिक कोरोना से मौत और अधिकांश मामलों को दर्ज किया गया है.

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लुधियाना: पंजाब के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक लुधियाना जिला कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है, न केवल राज्य में इस जिले में सबसे अधिक मामले हैं, बल्कि इसने सबसे ज्यादा मौतें भी दर्ज की हैं.

20 सितंबर तक, लुधियाना जिले में 663 कोरोनावायरस मौतें हुईं. यह राज्य में लगभग 2,757 लोगों की मृत्यु का एक चौथाई है. इसकी मृत्यु दर पंजाब के 2.94 प्रतिशत और राष्ट्रीय औसत 1.62 प्रतिशत से ऊपर 4.1 प्रतिशत है.

कोविड-19 के संबंध में लुधियाना की अधिकांश घटनायें राज्य भर में गूंजी हैं.

समृद्ध पंजाबी आहार को राज्य के लोगों में कोमोरबिडिटी के एक प्रमुख कारण के रूप में देखा जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि इससे वे सभी कोविड के चपेट में आ गए गए थे.

अधिकारियों के अनुसार, राज्य की चिंताओं का प्रमुख कारण अफवाहों का प्रसार है. इसमें कोविड के उपचार को ऑर्गन-हार्वेस्टिंग रैकेट के साथ जोड़ना और परीक्षण के बारे में व्यापक आशंका पैदा करना शामिल है.

हालांकि, लुधियाना में इसने स्थिति को और अधिक अनिश्चित बना दिया गया है और इसे अपर्याप्त स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में वर्णित किया जा रहा है.

पंजाब के 22 जिलों में सबसे अधिक 35 लाख की आबादी के साथ लुधियाना में सिर्फ दो सरकारी अस्पताल हैं. लुधियाना सिविल अस्पताल और खन्ना में स्थित सिविल अस्पताल. हालांकि, इनमें से कोई भी तीन स्केल के पैमाने पर एल2 या एल3 सुविधा के रूप में अर्हता प्राप्त नहीं करते हैं. एल1 या स्तर 1 (असिम्पटोमैटिक या हल्के कोविड मामलों के लिए), एल2 (प्रबंधन और उपचार) और एल3 (वेंटीलेटर सुविधा ) अधिक गंभीर कोविड रोगियों को दी जाने वाली सुविधा है. बाकि, जिले के शेष 33 अस्पताल सभी निजी हैं.

इसका मतलब है कि गंभीर रोगियों को अक्सर 100 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर या पटियाला में सरकारी-संचालित राजिंदरा अस्पताल में ले जाना पड़ता है. एल3 सुविधा केंद्र, जो लगभग 94 किमी दूर है. यह रोगियों के लिए कठिन समय में उपचार मुहैया कराता है.

गंभीर संकट

663 लोगों की मृत्यु का कारण पंजाब में लुधियाना का सबसे बुरा हाल है. लुधियाना में भी 20 सितंबर तक सबसे अधिक 16,295 मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन यह मृत्यु दर चिंता का मुख्य कारण है.

मार्च में एक मौत से जुलाई में यह संख्या 73 हो गई थी लेकिन अगस्त में कोविड से हुई मौतों ने आसमान छू लिया और एक महीने के भीतर 321 मौते हुईं. सितंबर में (20 के अनुसार) पहले ही 246 मौतें हो चुकी हैं.

सरकार में शामिल लोग इसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और आबादी के भीतर दिल की समस्याओं जैसे कोमोरबिडिटी पर दोष देते हैं.

राज्य के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश भास्कर ने कहा, ‘देश भर में कोमोरबिडिटी एक सामान्य कारक है, लेकिन पंजाब में लोग अपने खान-पान की आदतों के लिए जाने जाते हैं और मधुमेह यहां के लोगों के लिए एक आम कारण है.

लुधियाना सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार, 663 में से 537 मौतें कोमोरबिडिटी वाले रोगियों में हुईं.

इन 537 मौतों में से, कम से कम 390 कोविड -19 रोगियों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, किडनी और धमनी रोगों जैसी स्थितियां थीं. कैंसर से पीड़ित रोगियों में कम से कम 26 मौतें हुईं. जबकि शेष 95 यकृत, फेफड़े, मोटापे और अन्य लोगों में डेंगू के रोगियों में से थे.

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, लुधियाना में 1,648 सक्रिय मामलों में से 17.5 प्रतिशत मरीज गंभीर स्थिति में हैं.

लुधियाना के जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि कई मरीजों को केवल तब भर्ती किया जाता है जब उनकी हालत बिगड़ने लगती है. उन्होंने कहा, ‘अगर लक्षणात्मक रोगियों को एक चरण में आने के बजाय पहले चरण में भर्ती कराया जाएगा, जब उन्हें तुरंत ऑक्सीजन सहायता की आवश्यकता होगी, तो डॉक्टर उनकी स्थिति की बेहतर निगरानी कर सकते हैं.’

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, लुधियाना में सक्रिय मामलों के 17.5 प्रतिशत मरीज गंभीर स्थिति में हैं.

डॉ सिंह ने एक और चिंता का विषय भी बताया- एक गलत सूचना अभियान जो कोविड-19 उपचार और परीक्षण को प्रभावित करता है.

उन्होंने कहा कि पंजाब के अन्य जिलों की तरह गलत सूचना अभियान ने लुधियाना को भी प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होती हैं कि कोविड के इलाज के लिए ले जाए जा रहे लोग मारे गए.

डॉ. सिंह ने कहा, ‘हमने जागरूकता अभियान चलाए हैं, जो उन क्षेत्रों में होते हैं, जहां नमूने लिए जाते हैं. हम वैन आने से पहले अपनी टीमों को भेजते हैं ताकि लोगों को परीक्षण करने के लिए प्रेरित किया जा सके.’


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खराब स्वास्थ्य सेवा

लुधियाना की समस्या बेहद खराब बुनियादी ढांचे द्वारा हुई है. जिले के दो सरकारी अस्पतालों में से कोई भी – लुधियाना सिविल अस्पताल और सिविल अस्पताल खन्ना में- एल 3 की सुविधा नहीं है, जो गंभीर कोविड -19 रोगियों के लिए होनी चाहिए है, जिसमें रोगियों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है.

वर्धमान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकारी स्वास्थ्य सुविधा है, लेकिन इसे एक छोटा अस्पताल माना जाता है.

लुधियाना के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पंजाब के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक होने के बावजूद यह एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा से अछूता है.

गंभीर रूप से बीमार रोगियों को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर और पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में भेजा जाता है, जो खुद बड़े पैमाने पर संकट का सामना कर रहे हैं, जो लोग वहन कर सकते हैं वे निजी अस्पतालों में जाते हैं.

पटियाला अस्पताल के अधिकारियों ने अपनी उच्च संख्या के लिए लुधियाना को दोषी ठहराया. आईएएस अधिकारी और  राजिंदरा अस्पताल में वार्ड कोविड-19 के प्रभारी सुरभि मलिक ने कहा, ‘गंभीर स्तर के एल 3 मरीजों को लुधियाना से रेफर किया जाता है और जब से वे ऐसी गंभीर स्थिति में आते हैं, तब होने वाली मौतों को अस्पताल पर दोषी ठहराया जाता है.’

हालांकि, डॉ एसपी सिंह ने लुधियाना सिविल अस्पताल के बारे में चिंताओं का बचाव किया, ‘हमारे पास अब एक नई इमारत है और चीजें बिल्कुल भी खराब नहीं हैं.’

पंजाब के एक अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की कमी पूरे राज्य में है.

उन्होंने कहा, ‘अगर आपके पास रसोई या शौचालय नहीं है तो एक सुंदर घर होने से क्या फायदा है? भोजन कक्ष का तब क्या होगा? उसी तरह, पंजाब को कई चीजों के लिए जाना जा सकता है, लेकिन यह स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहा है और अब कोरोना ने सभी को जगा दिया है.’

उद्योगों के साथ शहरी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, ज्यादातर मौतें जिले के शहरी इलाकों में हुई हैं. 663 मौतों में से, 525 लुधियाना शहर के निवासियों की हुई है, आस-पास के शहरी ब्लॉकों में 39 से अधिक मौतें हुईं. सिंह ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 99 मौतें हुई हैं.’

शहरी क्षेत्र लुधियाना के अधिकांश उद्योगों – होजरी, साइकिल, टायर और ऑटो पार्ट्स के कारखाने हैं. प्रवासी श्रमिकों की उपस्थिति के कारण वे भी घनी आबादी वाले इलाके हैं.

हिंदुस्तान टायर के जीएम एचआर मुनीश एसएस ने दिप्रिंट से कहा, ‘अधिकांश प्रवासी श्रमिक अपने पैतृक गांवों में लौट गए (लॉकडाउन के दौरान) जिससे यहां की जनसंख्या का घनत्व कम हो गया.’

एक बार उद्योग अनलॉक के साथ फिर से खुल गए. उनका कहना है, वे उन प्रवासी श्रमिकों की रक्षा के लिए उपाय कर रहे हैं जो वापस आ गए हैं.

हिंदुस्तान टायर्स, पौधार टायर्स, हीरो साइकिल्स और मोंटे कार्लो जैसी बड़ी औद्योगिक इकाइयों की यात्रा ने एहतियाती उपायों का पता लगाया जैसे कि प्रवेश द्वार पर तापमान और अनिवार्य संकेतन की जांच हो रही है या नहीं पोद्दार टायर्स के एक उप प्रबंधक ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘बाहरी आगंतुकों को अब के लिए किसी भी कारखाने में प्रवेश करने से रोक दिया गया है.’

हीरो साइकिल्स के एक वरिष्ठ प्रबंधक ने कहा, ‘यदि किसी वर्कर को प्रवेश द्वार पर भी कुछ लक्षण दिखाता है, तो उन्हें उस दिन के लिए घर लौटने के लिए कहा जाता है.’

हिंदुस्तान टायर्स के मुनीष एसएस ने कहा, मुझे यह भी पुलिस को बताना होता है कि वर्कर नहीं सुन रहे हैं और उनके या परिवार में किसी के भी कोविड पॉजिटिव आने पर वो नहीं बताते हैं तो मुझे बताना होता है.

लुधियाना में मोंटे कार्लो इंडस्ट्रियल प्लांट के कर्मचारी अपनी ड्यूटी ख़त्म होने के बाद जाते हुए। फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

मोंटे कार्लो के लुधियाना में पांच संयंत्रों में लगभग 3,000 कर्मचारी हैं. मानव संसाधन प्रबंधक कुलवंत सिंह ने कहा, ‘हमारे श्रमिकों को कारखाने के अंदर रहते हुए पीपीई किट पहनना अनिवार्य है.’

सितंबर के पहले सप्ताह में कारखाने के श्रमिकों के लिए आयोजित एक शिविर में लगभग 65 कर्मचारियों को पॉजिटिव पाया गया था. उन्होंने कहा कि क्वारेंटाइन की सिफारिश की गई थी, जबकि कुछ को सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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