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Wednesday, 8 May, 2024
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सरकारी स्कूल के 66 फीसदी फेल छात्रों में 30 हजार छात्रों को ओपन स्कूल भेजा गया

सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट को दिए जवाब में बताया गया कि कुल फेल हुए छात्रों में 52 हजार छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया.

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नई दिल्ली:  दिल्ली के स्कूलों में इस वक्त वार्षिक परीक्षाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं. कुछ दिनों में नई कक्षा में प्रवेश की प्रकिया शुरू हो जाएगी. एक तरफ जहां दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने का दमखम भर रही है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ लगाते हुए दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक फेल हुए करीब 66 फीसदी बच्चों को दुबारा स्कूलों में दाखिला नहीं देने पर जवाब मांगा था. जिसके जवाब में शिक्षा निदेशालय ने बताया कि फेल हुए कुल 1,55,436 छात्रों में से 52,582 छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया और 29571 छात्रों को ओपन स्कूलों में भेजा गया है. इससे साफ पता चलता है कि बाकी बचे 73283 छात्र पूरी व्यवस्था से बाहर हो गए हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्कूलिंग सिस्टम से इतनी बड़ी संख्या में बाहर हुए फेल छात्रों को लेकर 22 अप्रैल तक जवाब मांगा है.

लेकिन सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल ने किया इंकार

आरटीआई से प्राप्त छात्रों के एडमिशन में चल रहे इस मामले को जानने जब दिप्रिंट रोहिणी के एक सरकारी सेकेंड्री स्कूल के प्रधानाध्यापक अवधेश झा से पूछा तो उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां तो 10वीं और 12वीं में कोई छात्र फेल नहीं किया जाता है. लेकिन अगर कक्षा 9 वीं और 11वीं में कोई छात्र फेल हो जाए तो हम उसे दुबारा एडमिशन जरूर देते हैं. हम पूरे दिल्ली के स्कूलों का दावा तो नहीं कर सकते लेकिन जितना मुझे पता है दिल्ली का कोई भी सरकारी स्कूल किसी भी फेल छात्र को अपने यहां एडमिशन जरूर देता है.’

तो क्या ये आंकड़े गलत हैं.?
वे आगे कहते हैं, ’मुझे नहीं पता कि यह आंकड़े कैसे तैयार किए गए हैं. लेकिन जहां तक मुझे लगता है इन्हें बनाना बेहद कठिन है.’

कैसे ?

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‘अब जैसे मान लिजिए किसी सरकारी स्कूल में 40 छात्र फेल हुए तो उनमें से 30 छात्र तो दुबारा एडमिशन लेने आ जाते हैं लेकिन 10 छात्र किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ देते हैं. या फिर कई बार ऐसा होता है कि उनके पैरेंट्स परिवार सहित गांव चले जाते हैं. ऐसे में उन छात्रों की संख्या निकालना कठिन है.’

वहीं राजेश्वरी स्कूल की प्रिंसिपल ने दिप्रिंट से बातचीत में बताया, ‘इन आंकड़ों का तो मुझे नहीं पता लेकिन हमारे यहां तो हर फेल हुए छात्रों को एडमिशन दिया जाता है. हमारा मकसद ही है समाज में शिक्षा फैलाना.’

30 हज़ार छात्रों को पत्राचार में मिला एडमिशन

सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट को दिए जवाब में बताया गया कि कुल फेल हुए छात्रों में 52 हजार छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया. जबकि 30 हजार फेल छात्र जिन्हें एडमिशन नहीं मिला था, उनमें 11,226 छात्रों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के पत्राचार विभाग में भेजा गया, वहीं 18,345 छात्रों को एनआईओएस के जरिए दाखिला दिया गया.

बता दें, हाईकोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने 2018 में कक्षा दसवीं में फेल हुए छात्रों को दोबारा उसी स्कूलों में एडमिशन देने के लिए एक याचिका दायर की थी. अगस्त 2018 में उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर कोसा. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए फेल हुए छात्रों को दुबारा एडमिशन नहीं देने की प्रक्रिया पर आश्चर्य जताया था. और जल्द से जल्द इसका जवाब देने को भी कहा था.

आरटीआई से आए चौंकाने वाला आंकड़ें

दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले शिक्षा निदेशालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि सबसे ज्यादा कक्षा 10वीं और 12वीं में फेल हुए छात्रों को दुबारा एडमिशन नहीं दिया गया. 2017-18 में जहां 10वीं में 42,503 छात्र फेल हुए थे, और उनमें केवल 3812 छात्रों को ही एडमिशन दिया गया. यानी 91 फीसदी फेल छात्रों को दुबारा एडमिशन का मौका ही नहीं मिला. कुछ ऐसा ही आंकड़ा 12वीं का भी है. जहां 2017-18 में 10566 छात्र फेल हुए लेकिन दुबारा केवल 943 छात्र ही स्कूलों में दाखिला लिए.

आरटीआई डालने वाले वकील अशोक अग्रवाल ने दिप्रिंट से बातचीत में बताया कि दिल्ली सरकारी स्कूलों का यह मनमाना रवैया है. यह सीधे तौर पर दिल्ली एजुकेशन रूल्स 1973 के नियम 138 का उल्लंघन है. जिसके तहत सभी स्कूल फेल छात्रों को अपने यहां एडमिशन देने के लिए बाध्य है. इसके नहीं होने से आर्थिक स्थिति से कमजोर छात्रों को नुकसान उठाना पड़ता है.

अगर बात कक्षा 9वीं की करें तो 2017-18 सत्र में 73561 छात्र फेल हुए थे और 18-19 में केवल 35534 फेल छात्रों को एडमिशन दिया गया. मतलब 52 फीसदी फेल छात्र फिर से वंचित. वहीं 11वीं में 28806 फेल छात्रों में से 12293 को रिएडमिशन प्राप्त हुआ लेकिन 58 फीसदी फेल छात्र उससे वंचित हो गए.

यानी 2017-18 सत्र में कक्षा 9वीं से 12वीं तक में कुल 155436 छात्र फेल हुए थे, जिसमें 102854 छात्रों को ही दुबारा एडमिशन मिला. 66 फीसदी फेल छात्रों को स्कूलिंग की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया.

अशोक अग्रवाल के मुताबिक सरकारी स्कूल फेल बच्चों को दुबारा एडमिशन न देकर अपना परफॉरमेंस सुधारते हैं. जबकि यह शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है. जहां हर बच्चे को शिक्षा देने की बात कही गई है.

दिल्ली के किस इलाके में स्थिति है खराब

दिल्ली में कुल 1029 सरकारी स्कूल हैं. अगर क्षेत्र वाइज बात करें तो प्राप्त आंकड़ों के अनुसार नार्थ इस्ट दिल्ली के स्कूलों में कक्षा 12वीं में किसी भी फेल छात्र को दुबारा एडमिशन प्राप्त नहीं हुआ. वहीं कक्षा 9वीं में 115 छात्रों को दुबारा एडमिशन दिया गया और कक्षा 11वीं में केवल 7 छात्रों को. सेंट्रल दिल्ली में 10वीं में केवल 7 फेल छात्र ही दुबारा प्राप्त कर पाए. सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिंपल ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि कई बार ऐसा होता है कि फेल हुए छात्रों को जब दुबारा एडमिशन दिया जाता है तो वे क्लास में अपना धौंस जमाने लगते हैं. जिसके कारण क्लास के बाकी बच्चों पर भी असर पड़ता है.

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