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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशबिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों में से सिर्फ तीन ही ‘ब्राह्मण हैं—BJP विधायक का दावा गलत निकला

बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों में से सिर्फ तीन ही ‘ब्राह्मण हैं—BJP विधायक का दावा गलत निकला

बाकी 8 दोषियों में से 5 ओबीसी, 2 एससी समुदाय से और एक बनिया है. आरोपियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ कहने वाले भाजपा विधायक सी.के. राउलजी की टिप्पणी को सोशल मीडिया पर ‘शर्मनाक’ बताया गया.

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नई दिल्ली: बीजेपी विधायक सी.के. राउलजी ने गुरुवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में सजा से छूट पाने वाले 11 दोषी ‘अच्छे संस्कार’ वाले ‘ब्राह्मण’ हैं और बहुत संभव है कि इसी वजह से किसी ने ‘उन्हें चोट पहुंचाने के गलत इरादे’ के साथ उन्हें ‘फंसाया’ हो.

हालांकि, दोषियों को ब्राह्मण बताने वाला गोधरा के विधायक का दावा तथ्यात्मक तौर पर गलत पाया गया है.

स्थानीय भाजपा नेताओं और पुलिस के साथ बातचीत करके दिप्रिंट ने पाया कि दोषियों में से केवल तीन ब्राह्मण हैं. शेष आठ में से पांच अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हैं, वहीं दो अनुसूचित जाति (एससी) और एक बनिया समुदाय से है.

गोधरा के एक स्थानीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘वे सभी ब्राह्मण नहीं हैं. ज्यादातर ओबीसी जाति के हैं लेकिन वैसे भी यह टिप्पणी बेतुकी है क्योंकि अपराध में जाति नहीं देखी जाती है.’

जानकारी के मुताबिक दोषियों में शैलेश भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी और मितेश भट्ट ब्राह्मण हैं, जसवंत नाई, गोविंद नाई, रमेश चंदना, राजू सोनी और प्रदीप मोढिया ओबीसी हैं और केसर वोहानिया और बाका वोहानिया अनुसूचित जाति के हैं. राधेश्याम शाह बनिया हैं.

गुजरात सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के कई सदस्यों की हत्या के लिए 2002 में सभी 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. ये 15 अगस्त को राज्य में भाजपा सरकार की आम माफी नीति के तहत मिली राहत के बाद रिहा होकर गोधरा उप-जेल से बाहर आ गए.

स्थानीय नेता ने कहा, ‘जेल के अंदर अच्छे आचरण के कारण इन लोगों को रिहा किया गया है और बस इससे ज्यादा कुछ नहीं है.’

गौरतलब है कि माफी देने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.

राउलजी ने यह भी कहा था कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने कोई अपराध किया है या नहीं.

विधायक की टिप्पणियों की इंटरनेट यूजर्स ने कड़ी आलोचना की है.

वकील दिशा वाडेकर ने ट्वीट किया, ‘मनुस्मृति में स्वीकृत ब्राह्मण ‘आरक्षण’ का एक उदाहरण. मनु की दंड संहिता में समान अपराध के लिए शूद्र की तुलना में ब्राह्मण के लिए कम सजा का प्रावधान है. जहां ‘संवैधानिक आरक्षण’ पर हमले जारी हैं, वहीं ‘मनुस्मृति आरक्षण’ अनंत काल से चला आ रहा है.’

कई अन्य लोगों ने बयान को ‘चौंकाने वाला’ और ‘शर्मनाक’ करार दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने एक ट्वीट करके सवाल उठाया कि देश ‘भारतीय संविधान के आधार पर चल रहा है या मनुस्मृति द्वारा शासित है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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