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Monday, 9 December, 2024
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नई संसद में पानी टपकने को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर कसा तंज, रिव्यू पैनल की मांग की

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भवन की ‘मौसम की मार झेलने’ पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया, अन्य विपक्षी नेता चाहते हैं कि पुरानी इमारत को फिर से खोला जाए.

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नई दिल्ली: दिल्ली में कल शाम हुई भारी बारिश के बाद नए संसद भवन में पानी का रिसाव होने पर विपक्षी दलों ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला.

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भवन की ‘मौसम की मार झेलने’ पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया.

अन्य कांग्रेसी नेताओं, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने टाटा समूह द्वारा लगभग 922 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित और आर्किटेक्ट बिमल पटेल के गुजरात स्थित एचसीपी डिजाइन द्वारा डिजाइन की गई इमारत में रिसाव पर सवाल उठाया.

लोकसभा में कांग्रेस के दो व्हिप में से एक टैगोर ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन के महासचिव को पत्र लिखकर समय मांगा है, उन्होंने इसे तत्काल महत्व का मामला बताया है.

टैगोर ने अपने नोटिस में उल्लेख किया है कि बुधवार की भारी बारिश के कारण “हमारे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन में प्रवेश करते समय इस्तेमाल किए जाने वाले मार्ग के साथ संसद लॉबी के अंदर पानी का रिसाव हुआ. यह घटना भवन के पूरा होने के एक साल बाद ही मौसम की मार झेलने के साथ संभावित समस्याओं को उजागर करती है”.

उन्होंने भवन के गहन निरीक्षण के लिए सभी पार्टी सांसदों सहित एक विशेष समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा. टैगोर ने कहा, “समिति रिसाव के कारणों पर ध्यान केंद्रित करेगी, डिजाइन और सामग्रियों का मूल्यांकन करेगी और आवश्यक मरम्मत की सिफारिश करेगी. इसके अतिरिक्त, इसे एक रखरखाव प्रोटोकॉल स्थापित करना चाहिए और अपने निष्कर्षों को सार्वजनिक रूप से साझा करके पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए. मैं सभी सदस्यों से हमारी संसद की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए इस पहल का समर्थन करने का आग्रह करता हूं.”

‘पुराना संसद भवन बेहतर था’

कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत नए संसद भवन के निर्माण के नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के फैसले की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी. अधिकांश दलों ने 2023 में नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया.

19 विपक्षी दलों के एक संयुक्त बयान में कहा गया था, “नए संसद भवन को सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बहुत अधिक खर्च करके बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए इसे बनाया जा रहा था. जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को चूस लिया गया है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता.”

बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने मांग की थी कि पुराने संसद भवन में सेंट्रल हॉल को सांसदों के एक-दूसरे से बातचीत करने और पार्टियों के बीच संचार को बेहतर बनाने के लिए खुला रखा जाए.

सपा के अखिलेश यादव ने गुरुवार को पोस्ट किया कि पुरानी संसद, “इस नई संसद से अच्छी तो वो पुरानी संसद थी, जहां पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे. क्यों न फिर से पुरानी संसद चलें, कम-से-कम तब तक के लिए, जब तक अरबों रुपयों से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है. जनता पूछ रही है कि भाजपा सरकार में बनी हर नई छत से पानी टपकना, उनकी सोच-समझकर बनायी गयी डिज़ाइन का हिस्सा होता है या फिर…” टीएमसी की मोइत्रा ने भी टपकती छत को लेकर पीएम पर कटाक्ष किया.

उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया: “नई संसद लॉबी से पानी टपक रहा है. यह देखते हुए कि इमारत @narendramodi के अहंकार के प्रतीक वाली इमारत है, यह उचित ही है कि 2024 के लोकसभा परिणामों के बाद यह हिल जाए. भारत मंडपम लीक एक और मामला है,”

एक्स पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नसीर हुसैन ने कहा कि “100 साल पहले बनी पुरानी संसद की इमारत में कभी कोई रिसाव नहीं हुआ, लेकिन एक साल पहले बनी नई संसद में रिसाव शुरू हो गया है”. उन्होंने राजधानी भर में जलभराव की ओर भी इशारा किया, जिसके कारण बुधवार शाम को भारी यातायात जाम हो गया, जिससे मध्य दिल्ली लगभग ठप्प हो गई.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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