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Tuesday, 4 June, 2024
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आईसीएआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- कोविड के कारण जुलाई-अगस्त में नहीं कराए जा सकते सीए के इम्तिहान

सुप्रीम कोर्ट ने आईसीएआई से कहा है कि सभी केंद्रों से संपर्क करें और पता लगाए कि इम्तिहान कराए जा सकते हैं या नहीं. इसे कोर्ट के पास वापस आने के लिए 10 जुलाई तक का समय दिया गया है.

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नई दिल्ली: द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोविड-19 की वजह से 29 जुलाई और 16 अगस्त को निर्धारित चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) के इम्तिहान कराने में, ‘परिचालन की समस्याएं’ आ सकती हैं.

आईसीएआई ने न्यायमूर्ति एम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना की बेंच को सूचित किया कि हो सकता है कि वो मई 2020 साइकिल के लिए इम्तिहान न करा पाए.

अदालत ने आईसीएआई से कहा कि वो सभी केंद्रों से संपर्क करे और पता लगाए कि इम्तिहान कराए जा सकते हैं या नहीं. कोर्ट के पास वापस आने के लिए संस्थान को 10 जुलाई तक का समय दिया गया है.

आईसीएआई ने 15 और 20 जून को एक ‘ऑप्ट-आउट’ सुविधा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें छात्रों को अपनी उम्मीदवारी को अगले इम्तिहान के लिए आगे बढ़ाने की अनुमति दी गई थी, जो नवम्बर 2020 के साइकिल में आयोजित होने हैं. इस विकल्प की अंतिम तिथि 30 जून तय की गई थी.

संस्थान के इस कदम को अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने एक याचिका के ज़रिए चुनौती दी थी, जिनका कहना था कि ये अंतिम तिथि मनमानी थी.

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याचिका में दावा किया गया कि आईसीएआई का ये विकल्प, उन छात्रों से साथ भेदभाव है, जो दूर-दराज़ के इलाकों या कंटेनमेंट क्षेत्रों में रहते हैं क्योंकि उनके पास जुलाई का विकल्प छोड़कर, ‘इम्तिहान का एक कीमती प्रयास’ गंवाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा.

याचिकाकर्ता ने ये भी मांग की कि इम्तिहान केंद्रों की संख्या, कम से इतनी बढ़ाई जाए कि हर ज़िले में एक केंद्र हो ताकि ज़्यादा से ज़्यादा छात्र इम्तिहान में बैठ सकें.


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छात्रों को ‘अंतिम दिन तक’ इम्तिहान छोड़ने का विकल्प मिले

आईसीएआई ने पहले बेंच को सूचित किया था कि जुलाई इम्तिहान से बाहर निकलने की सीमित विंडो रखने का मकसद, ये अंदाज़ा लगाना था कि आखिर में कितने छात्र इम्तिहान में बैठेंगे.

29 जून को हुई एक सुनवाई में कार्ट ने आईसीएआई से कहा था कि वो छात्रों को अंतिम दिन तक इम्तिहान छोड़ने की अनुमति देने पर गौर करे.

कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा था कि कोविड-19 के हालात ‘स्थिर नहीं’ बल्कि ‘गतिशील’ थे और ऐसे समय में इम्तिहानों के पैटर्न को लेकर, आईसीएआई को भी ‘लचीला होना चाहिए, कठोर नहीं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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