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Monday, 4 November, 2024
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ग्रेस मार्क्स पाने वाले सिर्फ 52% कैंडीडेट ने दोबारा दी परीक्षा, माता-पिता चिंतित- क्या होगा इस बार

परिणाम 30 जून को घोषित होने की उम्मीद है. जो उम्मीदवार दोबारा परीक्षा में शामिल नहीं हुए, उनके मूल अंक बरकरार रहेंगे, लेकिन ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे.

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नई दिल्ली: 2024 के लिए रविवार को आयोजित नीट-यूजी की दोबारा आयोजित की गई परीक्षा में केवल 813 उम्मीदवार शामिल हुए, जो परीक्षा में शामिल होने योग्य उम्मीदवारों में से 52 प्रतिशत थे. 1,563 उम्मीदवारों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया गया था, जिन्हें मूल रूप से समय की कमी के कारण प्रतिपूरक या ग्रेस अंक दिए गए थे, जिन्हें बाद में रद्द कर दिया गया.

जो उम्मीदवार दोबारा परीक्षा में शामिल नहीं हुए, उनके मूल अंक बरकरार रहेंगे, लेकिन ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे. जिन्होंने दोबारा परीक्षा दी, उनके अंकों में संशोधन किया जाएगा, और परिणाम 30 जून को घोषित किए जाने की उम्मीद है.

13 जून को दोबारा परीक्षा की घोषणा की गई, जिसमें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि ग्रेस अंकों के मुद्दे की जांच करने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने इन 1,563 उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द करने का फैसला किया है.

यश कटारिया, जिन्होंने शुरुआत में 718 अंकों के साथ 69वीं रैंक हासिल की थी, उन लोगों में से एक थे जिन्होंने दोबारा परीक्षा नहीं देने का फैसला किया. उनके 640 के मूल अंक (ग्रेस मार्क्स के बिना) क्वालीफाई करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन उनका परिवार अभी भी चिंतित है कि आगे क्या होगा.

फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए, कटारिया की मां ने कहा, “उसने अपने मूल अंक 640 को बनाए रखने का फैसला किया, जो अच्छा है, और हम उम्मीद कर रहे हैं कि वह इन अंकों के साथ कॉलेज में प्रवेश लेगा. परिणामों के बाद हमारे घर में लोगों की भीड़ लगी हुई है. उसे रिवीज़न के लिए भी समय नहीं मिला. इस गड़बड़ी के लिए छात्र जिम्मेदार नहीं हैं, सिस्टम जिम्मेदार है.”

समाचार एजेंसी एएनआई ने कटारिया के हवाले से कहा, “मेरा प्रश्न सेट अलग था. उस समय यह अन्याय जैसा लगा था, लेकिन सामान्यीकरण के बाद, यह ठीक हो गया. अब उन्होंने ग्रेस मार्क्स वापस ले लिए हैं; यह भी ठीक है. मेरा वास्तविक स्कोर सुरक्षित है.”

दोबारा परीक्षा देने वाले कई छात्रों और उनके अभिभावकों ने कहा कि नया प्रश्नपत्र पहले वाले से कठिन था. जो लोग परीक्षा में शामिल नहीं हुए, वे दिए गए अंकों से संतुष्ट हैं.

महेश कादयान ने कहा, “मेरी बेटी बार-बार इतना तनाव नहीं झेल सकती. यह सब उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है. व्यवस्था ध्वस्त हो रही है. सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए. यह एक बड़ी विफलता है.” कादयान की बेटी दोबारा परीक्षा में शामिल होने के योग्य थी लेकिन वह इस बार शामिल नहीं हुई.

दोबारा परीक्षा के बावजूद, माता-पिता अभी भी आश्वस्त नहीं हैं कि उनके बच्चों की परेशानी खत्म हो गई है. उन्हें डर है कि परीक्षा तीसरी बार भी हो सकती है, क्योंकि पेपर लीक और अनियमितताओं का मामला अभी भी अदालतों में है.

दोबारा परीक्षा देने वाले एक अभ्यर्थी के पिता अनिल अहलावत ने कहा, “मेरे बेटे ने रविवार को दोबारा परीक्षा दी, और परीक्षा के बाद हम खुश थे. लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि यह अंतिम है. विवाद अभी भी जारी है और हमें नहीं पता कि क्या होने वाला है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को मामले की फिर से सुनवाई करेगा,”

हालांकि, अगर परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर फिर से आयोजित की जाती है, तो कटारिया उसमें शामिल होंगे और इसी संभावना के साथ वह पढ़ाई कर रहे हैं.

कटारिया की मां ने कहा, “संभावना है कि परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर फिर से हो सकती है. अगर ऐसा होता है, तो वह परीक्षा में शामिल होंगे.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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