नई दिल्ली: स्वामी आत्मबोधानंद हरिद्वार के मातृसदन में पिछले 177 दिनों से अनशनरत हैं. उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए उनसे मिलने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा और एग्जीक्यूटिव निदेशक जी अशोक कुमार मातृ सदन पहुंचें. हरिद्वार के मातृसदन में हुई बातचीत में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के आदेशों का जल्द से जल्द अनुपालन करवाने की बात कही गई और आश्वासन दिया कि वे एक सप्ताह के अंदर ही बांध परियोजना, जिसमें प्रस्तावित समस्त बांधों को निरस्त करने और निर्माणाधीन 4 बांधों को निरस्त करने की बात लिखित में देंगे. जिसके बाद ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जल त्यागने का निर्णय 2 मई तक बढ़ा दिया है.
क्या है मांग
19 अप्रैल को आत्मबोधानंद ने 9 पन्नों का पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा है. उनकी मांग है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों पर वर्तमान समय में मौजूद और आगे के लिए प्रस्तावित बांधों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. गंगा के किनारे हो रहे अवैध खनन और जंगल काटने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाए. इसके अलावा गंगा को बचाने के लिए गंगा एक्ट को जल्द से जल्द लागू किया जाए. गंगा की अवरिल धारा को बचाने के लिए की गई इस मांग के बाद उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनसे बातचीत के लिए जरूर आगे आएगी.
यह भी पढ़ें: दो का पहाड़ा पढ़ने में व्यस्त सरकार आत्मबोधानंद से बात नहीं करना चाहती
जल त्याग का किया है एलान
स्वच्छ और निर्मल गंगा के लिए पिछले 177 दिनों से अनशन कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की सुध किसी नेता ने नहीं ली. 19 अप्रैल को आत्मबोधानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र भी लिखा था. स्वामी आत्मबोधानंद ने 25 अप्रैल तक मांग पूरा नहीं किए जाने कि स्थिति में 27 अप्रैल से जल त्यागने का एलान किया था. लेकिन अब उन्होंने इसे बढ़ाकर 2 मई तक कर दिया है.
जीडी अग्रवाल दे चुके हैं प्राणों की आहुति
पिछले कुछ सालों में गंगा की निर्मल व अवरिल धारा बचाने के लिए कई आंदोलन हुए. गंगा बचाने की मुहिम से जुड़े कई साधु-सन्यासियों ने अनशन किया. बता दें कि स्वामी सानंद यानी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने 111 दिनों के अनशन के बाद जल त्याग कर दिया था, जहां हालत बिगड़ने के बाद उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उनकी मृत्यु हो गई थी.