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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशNSA डोवाल ने भारत की 'असहमति को स्वीकार' करने की क्षमता की तारीफ की, कहा- गलत काम किसी धर्म से जुड़ा नहीं

NSA डोवाल ने भारत की ‘असहमति को स्वीकार’ करने की क्षमता की तारीफ की, कहा- गलत काम किसी धर्म से जुड़ा नहीं

एनएसए डोभाल का कहना है कि गलती करना किसी धर्म से जुड़ा नहीं है, उन्होंने भारत की 'असहमति को आत्मसात करने की क्षमता' की सराहना की.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार को इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि आतंकवाद किसी धर्म से जुड़ा नहीं है, यह व्यक्ति हैं जो गुमराह हो जाते हैं.

डोभाल ने मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव और पूर्व सऊदी मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा के साथ अंतर्धार्मिक संवाद, धार्मिक सहिष्णुता और कट्टरपंथ पर प्रमुख मुस्लिम नेताओं, विद्वानों और शिक्षाविदों को संबोधित किया. मुस्लिम वर्ल्ड लीग मक्का स्थित एक गैर सरकारी संगठन है जो उदारवादी इस्लाम की वकालत करता है.

अल-इस्सा का जिक्र करते हुए डोभाल ने कहा, ‘आपने अतीत में आतंकवाद को किसी भी राष्ट्रीयता, सभ्यता या धर्म से जोड़ने के किसी भी प्रयास को खारिज कर दिया है. मुझे लगता है कि यह बिल्कुल सही तरीका है. आतंकवाद किसी धर्म से जुड़ा नहीं है. ये लोग ही हैं जो गुमराह हो जाते हैं…”

डोभाल ने कहा, भारत में मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के लगभग 33 सदस्य देशों की संयुक्त आबादी के लगभग बराबर है. उन्होंने कहा कि संविधान समानता की गारंटी देता है और भारत में किसी को भी किसी के विचारों के कारण खतरा नहीं है क्योंकि देश में “असहमति को सहन करने” की अनंत क्षमता है.

डोभाल ने कहा, “भारत असहमति को आत्मसात करने की असीमित क्षमता के साथ अलग-अलग विचारों की शरणस्थली के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है. कोई भी धर्म किसी खतरे में नहीं है. एक गौरवशाली सभ्यता वाले राज्य के रूप में, भारत हमारे समय की चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है. उन्होंने कहा कि यह “कोई संयोग नहीं है कि लगभग 20 करोड़ मुस्लिम होने के बावजूद, वैश्विक आतंकवाद में भारतीयों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है”.

उन्होंने कहा, भारत को “2008 के मुंबई हमलों सहित कई आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा, जिसमें 168 लोगों की जान चली गई” और अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने, नए कानून बनाने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग कर रहा है.

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रस्ताव का आकार क्या होगा, इस पर देश भर में गहन बहस चल रही थी, इस कार्यक्रम में अन्य धर्मों के नेताओं, संसद सदस्यों (सांसदों), पूर्व नौकरशाहों, विद्वानों और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया.

‘भारत सह-अस्तित्व का एक बेहतरीन मॉडल’

अपने भाषण में, डोभाल ने अंतर-धार्मिक सद्भाव, शांति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने और इस्लाम की बेहतर समझ में योगदान देने के प्रयासों के लिए मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा की भी सराहना की. भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर आए पूर्व सऊदी मंत्री अल-इस्सा ने कहा कि संस्कृतियों के बीच संचार स्थापित करना समय की मांग है.

उन्होंने कहा, “विविधता संस्कृतियों के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देती है. विविधता में एकता ही आगे बढ़ने का रास्ता है. सहिष्णुता को हमारे जीवन का हिस्सा बनने की जरूरत है. मुस्लिम वर्ल्ड लीग का विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के साथ गठबंधन है. हिंदू कम्युनिटी में मेरे कई दोस्त हैं. हम आस्थाओं के बीच समझ को मजबूत करना चाहते हैं. हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र होने के बावजूद भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष है… हम जानते हैं कि मुस्लिम घटक एक महत्वपूर्ण घटक है. भारतीय मुसलमानों को भारतीय होने पर गर्व है.”

आगे उन्होंने कहा, “भारत पूरी दुनिया के लिए सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल है. भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत कुछ किया है” और “भारत पूरी दुनिया के लिए सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल है”.

इस बीच, डोभाल ने कहा कि भारत – जिसे वह एक “अत्यंत जिम्मेदार शक्ति” कहते हैं – ने “राष्ट्रीय हित” में आतंकवाद के खिलाफ पूरी ताकत लगा दी, जब “आतंकवादी पनाहगाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस हुई”. 1979 में मक्का की ग्रैंड मस्जिद पर हुए हमले को याद करते हुए डोभाल ने कहा, ‘भारत भी आतंकवाद का शिकार रहा है. आतंक के खिलाफ इस युद्ध में, बड़े उकसावे के बावजूद भी, भारत ने दृढ़ता से कानून के शासन, अपने नागरिकों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों व मानवाधिकारों की सुरक्षा को बरकरार रखा है.”

बातचीत और समझौते के माध्यम से संघर्षों या मतभेदों को हल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए डोभाल ने कहा कि जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों में धर्म एक रोशनी बनकर सामने आया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, “लेकिन, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं, यह अब युद्ध का युग नहीं है. मानवता की भलाई के लिए भविष्य की लड़ाई भूख, गरीबी, अज्ञानता और अभाव के खिलाफ लड़नी होगी. आज की दुनिया में, हमारे सामने जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों के साथ, शांति और सद्भाव के युग की शुरुआत करने के लिए धर्म को मानवता के लिए प्रकाश की किरण बनना होगा. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, अगर हम सच्ची मानवीय क्षमता का अहसास करना चाहते हैं और इस दुनिया को अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं तो हमारे मतभेदों को पीछे छोड़ना होगा.

अल-इस्सा की भारत यात्रा पर डोभाल ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा करने और साझेदारी के नए रास्ते तलाशने का एक अवसर है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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