नई दिल्ली: पहली से दसवीं क्लास तक का वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर लॉन्च करने वाला मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही उच्च माध्यमिक यानी 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए भी ये जारी करने की तैयारी में है. इसकी भी तैयारी है कि सभी वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर की समय सीमा को चार हफ्ते से तीन महीने का किया जाएगा.
कैलेंडर का ध्येय ये है कि इसे छात्रों, परिजनों और शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल किया जाए, ताकि 25 मार्च के जारी लॉकडाउन के दौरान छात्रों की पढ़ाई को नुकसान न पहुंचे.
दिप्रिंट को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक सूत्र द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय उच्च माध्यमिक के लिए इस वैकल्पिक अकदामिक कैलेंडर को ‘जल्द’ लाने की तैयारी में है. सूत्र ने ये भी बताया कि 17 मई तक बढ़े लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए कैलेंडरों की समय सीमा को बढ़ाकर 3 महीने करने की योजना है.
सूत्र ने कहा, ‘लगातार बढ़ते लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए इन कैलेंडरों की समय सीमा को भी बढ़ाए जाने की योजना है. पहले इसकी समयसीमा चार हफ्ते की होती थी, अब इसे 3 महीने करने की योजना है.’ सरकारी नोटिफिकेशन में पहले ही ये बात बताई गई है कि इनकी समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने ये भी बताया कि लॉकडाउन की वजह से छात्रों के मन में काफ़ी तनाव पैदा हुआ है और इसी को ध्यान में रखते हुए उच्च माध्यमिक के छात्रों के लिए आने वाले कैलेंडर में ‘किशोर तनाव प्रबंधन’ को भी शामिल किया गया है. इसे युवा अवस्था की ओर बढ़ रहे छात्रों को मानसिक तनाव से निपटने में मदद मिलेगी.’
क्या है वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर
इस कैलेंडर के पीछे का विचार ये है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करके बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आने दी जाए.
इन कैलेंडरों को एनसीईआरटी ने राज्यों के स्कूल शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर तैयार किया है. इसे तैयार करने के लिए व्हाट्सएप, गूगल हैंगआउट और ज़ूम जैसे ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है.
पहली से दसवीं तक के कैलेंडरों को अलग-अलग समय पर शिक्षा मंत्री रमेश ‘निशंक’ द्वारा जारी किया गया है. सबसे ताज़ा लॉन्च 2 मई को हुआ था जब उन्होंने माध्यमिक शिक्षा के छात्रों के लिए इसे जारी किया था.
इसके पहले के कैलेंडरों में ख़राब इंटरनेट व्यवस्था वाले जम्मू-कश्मरी और देश के अन्य राज्यों के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. ऐसी जगहें जहां 3जी और 4जी नेटवर्क नहीं आते वहां शिक्षकों से कहा गया है कि बच्चों को फ़ोन और एसएमएस के जरिए जानकारी दें. अच्छे इंटरनेट वाली जगहों पर शिक्षक और छात्र व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, ट्विटर, टेलिग्राम, जीमेल, गूगल हैंगआउट जैसे प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करेंगे.
इसके सहारे बच्चों को ऑडियो बुक से लेकर रेडियो प्रोग्राम तक के जरिए पढ़ाए जाने की योजना है. इसमें आर्ट और योग को भी शामिल किया गया है. इससे जुड़े स्टडी मैटेरियल ई-पाठशाला, एनआरओईआर और दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों और परिजनों के लिए स्वयं प्रभा पर भी लाइव सेशन शुरू किए हैं. स्वयं प्रभा की वेबसाइट पर शिक्षा से जुड़े कई मुफ्त चैनल प्रसारित होते हैं. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यूट्यूब के जरिए भी लाइव सेशन आयोजित किए जा रहे हैं.
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