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Friday, 15 November, 2024
होमदेशअब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी लेटरल एंट्री के लिए प्लान कर रहा है 

अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी लेटरल एंट्री के लिए प्लान कर रहा है 

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अलावा, कई अन्य मंत्रालय भी 'नीति मॉडल' को अपनाने की प्रक्रिया में हैं.

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नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी मीडिया इकाइयों को युवा पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए कहा है. मंत्रालय ने उन लोगों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं जिन्हें पहले से ही काम की जानकारी हो, वे उसमें विशेषज्ञ हों. पेशेवरों युवाओं को लाने का मकसद काम काज को सुचारू रूप से बेहतर बनाना है.

यह निर्देश नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न विभागों में अधिक से अधिक दक्ष लोगों को कामकाज में शामिल करने की योजना के अनुरुप है. इससे सरकार को लगता है कि यह शासन में सुधार आएगा.

मंत्रालय के उच्च सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रालय ने अपने सभी मीडिया इकाइयों को आवश्यक पेशेवरों की संख्या का आकलन करने का निर्देश देने के अलावा युवा अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कार्य के बारे में भी जानकारी की मांग की है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के देश भर में सैकड़ों कार्यालयों के साथ 10 मीडिया इकाइयां हैं. इनमें ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन (बीओसी), पब्लिकेशन डिवीजन, फिल्म्स डिवीजन, प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो, भारत के अखबारों के रजिस्ट्रार सहित अन्य शामिल हैं.

‘नीती मॉडल’

मंत्रालय की योजना ‘नीती मॉडल’ के अनुसार है, जिसे सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है. नीति निर्माण और अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए युवा सलाहकारों को काम पर रखा जाएगा.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अलावा, कई अन्य मंत्रालय भी नीति मॉडल को अपनाने की प्रक्रिया में हैं. सरकारी सूत्रों ने जानकारी दी और लोगों को काम पर रखा गया है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कौन सी भूमिकाएं सौंपी जाएंगी.

दिप्रिंट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जवाब मांगा है. प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.

जानकारी फैलाना

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयों में युवा पेशेवरों को काम पर रखना एक नया निर्णय है, इस तरह की कई इकाइयों का मुख्य काम मोदी सरकार ने अपने पिछले शासन के दौरान निजी कंपनियों को सौंप दिया था.

उदाहरण के लिए क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय- एक मीडिया इकाई जो सरकारी योजनाओं को सार्वजनिक करने के लिए जिम्मेदार है और बाद में बीओसी के साथ इसका विलय कर दिया गया. इसने आम और राज्य चुनावों से पहले गांवों में नीतियों, कार्यक्रमों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी फैलाने के लिए निजी कंपनियों को अनुबंध के आधार पर काम पर रखा था.

यह उम्मीद की जा रही है कि इन नए प्रोफेशनल्स में से कुछ मंत्री के कार्यालय से जुड़ेंगे या अन्य कार्यालयों को सौंपे जाएंगे.

दिप्रिंट ने पहले यह रिपोर्ट किया था सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सरकारी स्वामित्व वाले ब्रॉडकास्टरों दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो में नियमित सरकारी कर्मचारियों के बजाय सलाहकारों को शामिल करना चाहते थे. मंत्रालय ने तब कहा था कि इसके द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किए गए थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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