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Thursday, 25 April, 2024
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नई जानकारी में पता चला है कि फलों के जूस से भी कैंसर का ख़तरा है

ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने इससे जुड़ी एक स्टडी पब्लिश की है. इसमें कहा गया है कि रोज़ 100 मिलिलीटर सोडा के सेवन से कैंसर का ख़तरा 18% तक बढ़ जाता है.

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पेरिस: एक नई स्टडी की मानें तो सोडा पीने से सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ता बल्कि इससे कैंसर का भी ख़तरा बढ़ जाता है. लेकिन हैरत में डालने वाली बात ये है कि ऐसा फलों के जूस से भी हो सकता है.

ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने इससे जुड़ी एक स्टडी पब्लिश की है. इसमें कहा गया है कि रोज़ 100 मिलिलीटर सोडा के सेवन से कैंसर का ख़तरा 18% तक बढ़ जाता है. ये मात्रा कोक के एक कैन की एक तिहाई के बराबर होती है. इसकी वजह से ब्रेस्ट ट्यूमर का ख़तरा 22% तक बढ़ जाता है. रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि जब लोग बिना चीनी वाला फ्रूट जूस पीते हैं तो भी उन्हें कैंसर का ख़तरा रहता है.

ये रिसर्च पोषण और स्वास्थ्य के बीच संबंध की जांच के लिए फ्रांस में किए गए व्यापक प्रयास का एक हिस्सा है. ये अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है जिसमें मीठे पदार्थों और कैंसर के बीच संबंध पाया गया है. इससे फल के जूस की छवि को भी धक्का लग सकता है जिन्हें अक्सर लाभदायक मानकर लोगों को सेवन करने की सलाह दी जाती है.

अमेरिकी पेय पदार्थ संस्था ने एक बयान में कहा, ‘किसी भी तरह का पेय चाहे उसमें चीनी हो या न हो, संतुलित आहार के तौर पर उनका सेवन किया जा सकता है.’ उद्योग समूहे के मुताबिक पेय कंपनिया लोगों को ज़्यादा विकल्प मुहैया कराने के प्रयास के तहत चीनी की कम मात्रा या बिना चीनी वाले पेय पदार्थ पेश कर रही हैं, इनकी पैकेजिंग का साइज़ छोटा होता है और कैलोरी की मात्रा साफ लिखी होती है.

मिलाई गई अन्य चीज़ें और कीटनाशक

रिसर्च में 97 पेय पदार्थों और कृत्रिम रूप से मीठी की गई 12 अन्य को शामिल किया गया और इनमें कार्बोनेटेड, स्पोर्ट्स, सीरप जैसे और फ्रूट जूस वाले ड्रिंक भी शामिल थे. जिस तरह की जानकारी सामने आई है उसका मतलब ये नहीं है कि कैंसर सिर्फ इन पेय पदार्थों की वजह से होता. स्टडी में कैंसर और पेय पदार्थों के बीच संबंध का कारण समझने की कोशिश नहीं की. हालांकि, इसमें इसका अनुमान लगाया गया है कि चीनी की वजह से आंत की चर्बी का बढ़ना, ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना और सूजन होने जैसी वजहें इसका कारण बन सकती हैं. इसमें लिखा गया है कि सोडा में अलग से डाली जाने वाली चीज़ें और फलों में डाले जाने वाले कीटनाशक का भी इस तरह का असर हो सकता है.

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इसके लेखकों ने निष्कर्ष में लिखा है, ‘ये डेटा चीनी वाले पेय पदार्थों के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए मौजूदा पोषण संबंधी सहालों की प्रासंगिकता का समर्थन करते हैं. इनमें फलों का जूस भी 100% शामिल है. इनके लिए नीतिगत निर्णय भी लिए जाने चाहिए जिनके तहत ऐसे पेय पदार्थों पर टैक्स और विपणन से जुड़े कदम उठाए जाने चाहिए.’

मई में प्रकाशित वाटरलू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक चीनी आधारित उत्पादों और टैक्स लगाने और पैकेज के सामने लेबल लगाने से चीनी की ख़पत में कमी आ सकती है, ख़ास तौर से अगर शुद्ध फलों का जूस सही मात्रा में शामिल किया जाए.

फ्रांस के अध्ययन में शुगर-फ्री ड्रिंक्स से कैंसर का कोई खतरा नहीं पाया गया. खोजकर्ता ने कहा कि हालांकि, अध्ययन इतने कम लोग शामिल थे कि परिणाम को बहुत महत्वपूर्ण नहीं माना जा सकता. पानी, बिना चीनी वाली चाय और कॉफी के भी कोई जोखिम का पता नहीं चला.

ये रिसर्च फ्रांस के न्यूट्रीनेट-सैंट का हिस्सा है जो कि एक वेब-आधारित अध्ययन है जिसे 2009 से लगभग 100,000 लोगों पर किया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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