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Friday, 22 November, 2024
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भारतीय वायु सेना ने एक साल पहले पाकिस्तान की क्षमता देखने के बाद भी अपनी ताकत नहीं बढ़ाई

दुश्मनों के फाइटर प्लेन को डिटेक्ट करने में एसयू 30 एमकेआई रडार की कमी के साथ ही तकनीकी कमी का भी मिराज 2000 शिकार बना. आईएएफ द्वारा अनुभव की जा रही कमियों की सूची काफी लंबी है.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान द्वारा 27 फरवरी को पिछले साल भारतीय वायु सेना पर दिखाई गई अपनी ताकत के बाद भी सूरते-हाल ज्यादा बदला नहीं है. पिछले साल फरवरी में ‘आप्स स्विफ्ट रिटॉर्ट’ के जरिए ये हुआ था.

पाकिस्तान ज्यादा बेहतर फाइटर प्लेन्स से लैस था. एएमआरएएएम जैसे एयर टू एयर मिसाइल भी उसके पास थे जिसने भारत को काफी पीछे छोड़ दिया.

दुश्मनों के फाइटर प्लेन को डिटेक्ट करने में एसयू 30 एमकेआई रडार की कमी के साथ ही तकनीकी कमी का भी मिराज 2000 शिकार बना. आईएएफ द्वारा अनुभव की जा रही कमियों की सूची काफी लंबी है.

अगर पाकिस्तान ‘आप्स स्विफ्ट रिटॉर्ट’ को आज की तारीख में फिर से दोहराता है तो साल भर बाद भी स्थिति कमोबेश वही होनी वाली है.

भारत की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए राफेल फाइटर जेट अच्छे हथियारों से लैस है जो खासकर मीटियोर एयर टू एयर मार भी कर सकता है जिससे पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भारत को मजबूत करेगा.

न पाकिस्तान और न ही चीन के पास मीटियोर से निपटने के लिए कोई मिसाइल है जिसकी रेंज 150 किलोमीटर है. ये अमेरिकी एएमआरएएएम से कहीं ज्यादा है जिसने सुखोई को पछाड़ा था- वो भी 70 किलोमीटर के रेंज के साथ.

इसका मतलब ये है कि राफेल 150 किलोमीटर दूर स्थित दुश्मन से भी निपट सकता है वो भी बिना भारतीय वायु सीमा के बाहर गए हुए.

लेकिन चार राफेल का इंतज़ार अभी भारत को एक साल और करना पड़ेगा.

साथ ही सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियोज़ (एसडीआर) इज़रायल से ऑर्डर किया गया है जिससे संचार सुरक्षा में मदद मिलेगी.

विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के विमान को मार गिराया गया था क्योंकि वो सही समय पर कमांड नहीं सुन पाए थे.

भारत दो और पीएचएएलसीओएन एडब्ल्यूएसीएस के आवंटन के लिए प्रयास कर रहा है जिससे आसमान में नज़र बनाए रखने में वायु सेना को मदद मिलेगी.


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एडब्ल्यूएसीएस की कमी 27 फरवरी को पिछले साल खली थी जब पाकिस्तान 10 सिस्टमों के साथ ऑपरेट कर रहा था.

जमीनी स्तर पर जो एक बदलाव देखने को मिला है वो है एसयू 30 एमकेआई को मिग 29 से बदल दिया गया है. जो कि श्रीनगर के बेस पर है जिसमें मिग 21 बाइसन के 51 सक्वाडर्न हैं.

हालांकि एसयू 30 एमकेआई को तुरंत ही लागू नहीं कर सकते हैं क्योंकि श्रीनगर में रसियन फाइटर्स को नहीं रखा जा सकता है. रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी है.

इसका मतलब है कि सुखोई को किसी और बेस से उड़ान भरनी पड़ेगी ऐसी स्थिति में.

पाकिस्तान ने बालाकोट पर कैसे जवाबी कार्रवाई की

27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर संभावित हमले का पहला संकेत तब मिला जब पाकिस्तान ने नागरिकों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वायु सीमा को बंद कर दिया और सभी कमर्शियल जहाजों को बंद कर दिया.

आधे घंटे पहले पाकिस्तान के कई फाइटर जेट विभिन्न एयर बेस से टेक-ऑफ कर रहे थे.

उस समय पीर पंजाल के दक्षिणी क्षेत्र में केवल दो एसयू 30 एमकेआई और उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में दो अपग्रेडिड मिराज 2000 कॉम्बेट एयर पैट्रोल कर रहे थे.

पाकिस्तान बेड़े में 25 फाइटर्स जिसमें एफ16 समेत मिराज शामिल थे, एलओसी की तरफ बढ़े लेकिन 10 किलोमीटर पहले निर्धारित कट-ऑफ प्वाइंट को पार नहीं किया.

कुछ पाकिस्तानी फाइटर्स राजस्थान को लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरफ बढ़े ठीक उसी तरह जैसा भारत ने एक दिन पहले किया था.

एफ16 पाकिस्तानी बेड़े का नेतृत्व कर रहा था जो एएमआरएएएम से लैस था.

अमेरिका में बना विमान दक्षिणी पीर पंजाल की तरफ बढ़े जबकि मिराज उस तरफ बढ़े जहां भारत के विमान उड़ रहे थे.

क्या गलत साबित हुआ

सुखोई में लगे आर-77 मिसाइल जिसकी मारक क्षमता एएमआरएएएम से कम थी, एफ-16 से उसका कोई मुकाबला नहीं था जो कि बेहतर एयर टू एयर हथियारों से लैस थी.

दूसरे सुखोई को बरनाला बेस्ड इंटिग्रेडिड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (आईएसीसीएस) के जरिए एएमआरएएएम पर हमला करने को कहा गया.


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दूसरा सुखोई भी अपने रडार से दुश्मन के फाइटर को डिटेक्ट नहीं कर पाया.

पीर पंजाल के उत्तरी तरफ, सीएपी ड्यूटी पर अपग्रेड किए गए मिराज को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था. उन्हें एक तकनीकी गड़बड़ का भी सामना करना पड़ा था, जिसके कारण वे पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) को एमआईसीए हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के साथ संलग्न नहीं कर सकते थे, जिनके पास उस क्षेत्र में पीएएफ द्वारा उपयोग की जाने वाली सीमा से बेहतर रेंज है.

जब लगा कि भारतीय फाइटर्स काम नहीं आ पा रहे हैं तब बरनाला बेस्ड आईएसीसीएस ने छह मिग 21 की छंटनी का आदेश दिया.

उसके बाद मिग पीर पंजाल के परछाई में उड़ान भर रहा था जिससे पाकिस्तानी एडब्ल्यूएसी उसे डिटेक्ट कर पाने में असफल हो रहा था. अचानक से मिग का सामना आना भारत के लिए अच्छा रहा जिसके बाद पाकिस्तानी फाइटर्स पीछे हट गए.

डरे हुए पाकिस्तानी पाइलट मिलिट्री कोड को छोड़ कर पंजाबी में बोलने लगे. उन्होंने भारतीय क्षेत्र में 11 एच-4 ग्लाइड बम जिसका वजन एक हज़ार किलो था, उससे हमला किया लेकिन कोई भी टार्गेट पर नहीं गिरा.

मिग पायलटों को तब ‘हॉट’ जाने के लिए कहा गया था, जिसका अर्थ है कि उन्हें दुश्मन के विमान पर मिसाइल लॉक के लिए जाना था. लेकिन मिग जल्द ही एफ-16 की फायरिंग रेंज के भीतर आ गए, और उन्हें ‘ठंडा होने’ के लिए कहा गया, जिसका अर्थ था कि वे पीछे हटने वाले थे.

हालांकि विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान जो एलओसी के करीब गए थे. पाकिस्तान द्वारा रेडियो फ्रिक्वेंसी को जाम करने की वजह से वो कमांड सुन नहीं सके थे.

पाकिस्तानी फाइटर पर हमला करते हुए वर्तमान एलओसी पार कर गए जो पाकिस्तानी फाइटर्स का फाइरिंग रेंज था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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